पावर मंत्रालय ने संसद को सूचित किया कि पूरे भारत में ATC (Aggregate Technical & Commercial Loss) लॉस या कहें तो छीजत वित्त वर्ष 25 में 16.16 परसेंट पर आ गए हैं। वित्त वर्ष 21 में एटीसी लॉस 21.91 परसेंट थे। मंत्रालय ने रिवैम्प्ड डिस्ट्रिब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) की प्रगति, ग्रिड कनेक्टिविटी रद्द करने और थर्मल पावर में उत्सर्जन कम करने के उपायों का भी विवरण प्रस्तुत किया। मंत्रालय ने कहा कि आरडीएसएस का उद्देश्य वित्तीय रूप से टिकाऊ और परिचालन में कुशल वितरण नेटवर्क के माध्यम से बिजली की आपूर्ति की गुणवत्ता और विश्वसनीयता बढ़ाना है। इस योजना का लक्ष्य एटीसी घाटे या कहें तो छीजत को 12-15 परसेंट तक लाना और एसीएस-एआरआर गैप को शून्य करना है। अब तक कुल 2.83 लाख करोड़ के प्रोजेक्ट स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें 1.53 लाख करोड़ डिस्ट्रिब्यूशन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए मंजूर किए गए हैं। मंत्रालय ने बताया कि सेंट्रल ट्रांसमिशन यूटिलिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड ने 24 ग्रीन एनर्जी कंपनियों को ग्रिड कनेक्टिविटी रद्द कर दी है, जिनकी कुल क्षमता 6,343 मेगावॉट है। इसका मुख्य कारण डवलपर की देरी थी, न कि ट्रांसमिशन क्षमता। वर्तमान में 172 गीगावॉट की ग्रीन एनर्जी के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम चल रहा है और 19 गीगावॉट की अतिरिक्त क्षमता के लिए बोली प्रक्रिया चल रही है।