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08-12-2025

एचएसबीसी बैंक ने शुरू की FPO के लिए स्टार्टअप जैसी फैसिलिटी

  •  एफपीओ यानी फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन। भारत में 44 हजार से अधिक रजिस्टर्ड एफपीओ हैं लेकिन इनमें से करीब एक-तिहाई को ही बैंक और फाइनेंस कंपनी से क्रेडिट मिल पा रहा है। इस गैप को देखते हुए कैटेलिस्ट प्लेटफॉर्म वृत्ति ने एचएसबीसी बैंक के साथ पार्टनरशिप में एफपीओ शक्ति नाम से एक ब्लेंडेड स्टेज-बेस्ड फाइनेंसिंग फैसिलिटी लॉन्च की है। इसका मकसद एफपीओ को समय पर और जरूरी पूंजी उपलब्ध कराना है। एचएसबीसी इंडिया की पार्टनरशिप में शुरू हुई इस स्कीम को फ्रेंड्स ऑफ विमेन्स वल्र्ड बैंकिंग इंडिया मैनेज कर रही है। एनेलिस्ट कहते हैं कि शुरुआती इंक्यूबेशन के बाद ज्यादातर एफपीओ फंडिंग की कमी के कारण आगे नहीं बढ़ पाते। ऐसे में इस स्कीम का मकसद लंबे समय से मौजूद क्रेडिट गैप को भरना है। शुरुआत में एफपीओ की अच्छी ग्रोथ होती है लेकिन फिर फाइनेंस की कमी के कारण वे आगे नहीं बढ़ पाते। इसका सबसे बड़ा कारण उन्हें लोन के लिए गिरवी रखना पड़ता है। साथ ही फाइनेंस लेने के लिए शर्त भी कड़ी हैं। नतीजा ये आगे बढ़ नहीं पाते। जिससे किसानों की आमदनी में कम ग्रोथ होती है और गांव में वेल्यू चेन का विकास नहीं हो पाता। एफपीओ शक्ति के प्लेटफॉर्म पर बैंक, कैटेलिटिक कैपिटल प्रदाता, बायर और टेक्निकल असिस्टेंस पार्टनर सभी को एक ऑपरेशनल मॉडल में जोड़ा गया है। इसके जरिए शुरुआत में 15 ग्रोथ-स्टेज एफपीओ को सपोर्ट करेगी, और आगे चलकर इसे 100 से अधिक संगठनों तक स्केल किया जाएगा। इसके जरिए उन्हें फंड्स की नियमित उपलब्धता, रेवेन्यू के आधार पर फाइनेंस, डिजिटल रिकॉर्ड  मैनेजमेंट और तकनीकी सहायता दी जाएगी। 24 महीने के इस रोडमैप के दौरान एफपीओ अपनी गवर्नेंस, वित्तीय अनुशासन, मार्केट लिंकेंज और सप्लाई-चेन सिस्टम्स को मजबूत करेंगे, जिससे वे इन्वेस्टमेंट-रेडी और मार्केट-रेडी बन सकेंगे।

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एचएसबीसी बैंक ने शुरू की FPO के लिए स्टार्टअप जैसी फैसिलिटी

 एफपीओ यानी फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन। भारत में 44 हजार से अधिक रजिस्टर्ड एफपीओ हैं लेकिन इनमें से करीब एक-तिहाई को ही बैंक और फाइनेंस कंपनी से क्रेडिट मिल पा रहा है। इस गैप को देखते हुए कैटेलिस्ट प्लेटफॉर्म वृत्ति ने एचएसबीसी बैंक के साथ पार्टनरशिप में एफपीओ शक्ति नाम से एक ब्लेंडेड स्टेज-बेस्ड फाइनेंसिंग फैसिलिटी लॉन्च की है। इसका मकसद एफपीओ को समय पर और जरूरी पूंजी उपलब्ध कराना है। एचएसबीसी इंडिया की पार्टनरशिप में शुरू हुई इस स्कीम को फ्रेंड्स ऑफ विमेन्स वल्र्ड बैंकिंग इंडिया मैनेज कर रही है। एनेलिस्ट कहते हैं कि शुरुआती इंक्यूबेशन के बाद ज्यादातर एफपीओ फंडिंग की कमी के कारण आगे नहीं बढ़ पाते। ऐसे में इस स्कीम का मकसद लंबे समय से मौजूद क्रेडिट गैप को भरना है। शुरुआत में एफपीओ की अच्छी ग्रोथ होती है लेकिन फिर फाइनेंस की कमी के कारण वे आगे नहीं बढ़ पाते। इसका सबसे बड़ा कारण उन्हें लोन के लिए गिरवी रखना पड़ता है। साथ ही फाइनेंस लेने के लिए शर्त भी कड़ी हैं। नतीजा ये आगे बढ़ नहीं पाते। जिससे किसानों की आमदनी में कम ग्रोथ होती है और गांव में वेल्यू चेन का विकास नहीं हो पाता। एफपीओ शक्ति के प्लेटफॉर्म पर बैंक, कैटेलिटिक कैपिटल प्रदाता, बायर और टेक्निकल असिस्टेंस पार्टनर सभी को एक ऑपरेशनल मॉडल में जोड़ा गया है। इसके जरिए शुरुआत में 15 ग्रोथ-स्टेज एफपीओ को सपोर्ट करेगी, और आगे चलकर इसे 100 से अधिक संगठनों तक स्केल किया जाएगा। इसके जरिए उन्हें फंड्स की नियमित उपलब्धता, रेवेन्यू के आधार पर फाइनेंस, डिजिटल रिकॉर्ड  मैनेजमेंट और तकनीकी सहायता दी जाएगी। 24 महीने के इस रोडमैप के दौरान एफपीओ अपनी गवर्नेंस, वित्तीय अनुशासन, मार्केट लिंकेंज और सप्लाई-चेन सिस्टम्स को मजबूत करेंगे, जिससे वे इन्वेस्टमेंट-रेडी और मार्केट-रेडी बन सकेंगे।


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