TOP

ई - पेपर Subscribe Now!

ePaper
Subscribe Now!

Download
Android Mobile App

Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

02-12-2025

लॉजिस्टिक्स कॉस्ट घटी, फास्ट्रेक होगी ग्रोथ

  •  11 साल की मोदी सरकार का सबसे बड़ा सक्सैस फैक्टर इंफ्रास्ट्रक्चर खासकर ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर में हुआ डवलपमेंट है। रिपोर्ट कहती है कि इसका पेबैक (वसूली) बहुत फास्ट हो रहा है और इसका अंदाजा देश के जीडीपी में लॉजिस्टिक्स कॉस्ट के शेयर में आई बहुत तेज कमी से हो सकता है। थिंकटैक एनसीएईआर-डीपीआईआईटी की लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार भारत की लॉजिस्टिक्स कॉस्ट वर्ष 2023-24 में घटकर 24.01 लाख करोड़ रह गई है, जो जीडीपी के 7.97 परसेंट और नॉन-सर्विस आउटपुट के 9.09 परसेंट के बराबर है। बड़ी बात यह है कि वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 24 के बीच फ्यूल कॉस्ट में तेज बढ़ोतरी होने के बावजूद लॉजिस्टिक्स एफीशिएंसी (दक्षता) में उल्लेखनीय सुधार देखा गया। भारत सरकार नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी 2022 और प्रधानमंत्री गति शक्ति मिशन के तहत वर्ष 2030 तक लॉजिस्टिक्स कॉस्ट को ग्लोबल बेंचमार्क के लेवल पर लाकर लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स (एलपीआई) में टॉप-25 देशों में शामिल होने का टार्गेट लेकर चल रही है। अभी भारत इसमें 3.4 के स्कोर के साथ 38वें पायदान पर है जबकि सिंगापुर 4.30 के साथ अव्वल है। भारत के लॉजिस्टिक्स कॉस्ट स्ट्रक्चर में ट्रांसपोर्ट सबसे बड़ा कंपोनेंट है और कुल लॉजिस्टिक्स कॉस्ट में इसका शेयर लगभग 42 परसेंट है। सडक़ और पाइपलाइन ट्रांसपोर्ट पर साल का खर्च 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। इसके बाद स्टोरेज एंड वेयरहाउसिंग (24.8 परसेंट), मैटीरियल हैंडलिंग (16 परसेंट) और रेल ट्रांसपोर्ट का (6.7 परसेंट) योगदान है। लॉजिस्टिक्स कॉस्ट एफीशिएंसी के लिहाज से कोस्टल शिपिंग (तटीय जहाज) सबसे कम खर्चीला साधन है जबकि रेल ट्रांसपोर्ट 600 किमी से ज्यादा दूरी पर ही रोड ट्रांसपोर्ट से सस्ता पड़ता है। इसी तरह एयर कार्गो केवल हाई वेल्यू गुड्स के लिए ही ठीक साबित हो रही है। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का लॉजिस्टिक्स सिस्टम भयंकर चैलेंज से घिरा हुआ है। रोड ट्रांसपोर्ट में फ्यूल कॉस्ट 42 परसेंट है और 40 परसेंट तक ट्रक खाली लौटने के कारण कॉस्ट और बढ़ जाती है। लास्ट माइल कनेक्टिविटी की कमजोरी के कारण रेल ट्रांसपोर्ट कैपेसिटी का सही इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। हालांकि हाल ही रेलवे ने पायलट आधार पर डोर टू डोर डिलिवरी सर्विस शुरू की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉजिस्टिक्स सिस्टम को ग्लोबल बेंचमार्क के लेवल पर लाने के लिए भारत सरकार ने स्ट्रेटेजिक एक्शनप्लान में चार बिंदुओं इंफ्रास्ट्रक्चर कंस्ट्रक्शन, टेक्नीकल इंटीग्रेशन, पॉलिसी रिफॉम्र्स और परफॉर्मेन्स मैपिंग को शामिल किया है। सरकारी डेटा के अनुसार, भारत की लॉजिस्टिक्स कॉस्ट एक दशक पहले लगभग 15 परसेंट थी जो अब आधी रह गई है। ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर ने मालगाड़ी के टर्नअराउंड टाइम को 15-16 दिनों से घटाकर केवल 2-3 दिन कर दिया है। 60 घंटे से अधिक लगने वाला ट्रांजिट समय घटकर लगभग 35-38 घंटे रह गया है। वल्र्ड बैंक ने ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर और रेल लॉजिस्टिक्स प्रोजेक्ट्स पर 1.96 बिलियन डॉलर तथा गंगा जलमार्ग विकास के लिए 375 मिलियन डॉलर का निवेश किया है। डेटा के अनुसार पिछले वर्ष इनलैंड वॉटरवे (अंतर्देशीय जलमार्ग) पर 145.84 मिलियन टन माल का परिवहन हुआ, जो अब तक का रिकॉर्ड है।

Share
लॉजिस्टिक्स कॉस्ट घटी, फास्ट्रेक होगी ग्रोथ

 11 साल की मोदी सरकार का सबसे बड़ा सक्सैस फैक्टर इंफ्रास्ट्रक्चर खासकर ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर में हुआ डवलपमेंट है। रिपोर्ट कहती है कि इसका पेबैक (वसूली) बहुत फास्ट हो रहा है और इसका अंदाजा देश के जीडीपी में लॉजिस्टिक्स कॉस्ट के शेयर में आई बहुत तेज कमी से हो सकता है। थिंकटैक एनसीएईआर-डीपीआईआईटी की लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार भारत की लॉजिस्टिक्स कॉस्ट वर्ष 2023-24 में घटकर 24.01 लाख करोड़ रह गई है, जो जीडीपी के 7.97 परसेंट और नॉन-सर्विस आउटपुट के 9.09 परसेंट के बराबर है। बड़ी बात यह है कि वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 24 के बीच फ्यूल कॉस्ट में तेज बढ़ोतरी होने के बावजूद लॉजिस्टिक्स एफीशिएंसी (दक्षता) में उल्लेखनीय सुधार देखा गया। भारत सरकार नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी 2022 और प्रधानमंत्री गति शक्ति मिशन के तहत वर्ष 2030 तक लॉजिस्टिक्स कॉस्ट को ग्लोबल बेंचमार्क के लेवल पर लाकर लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स (एलपीआई) में टॉप-25 देशों में शामिल होने का टार्गेट लेकर चल रही है। अभी भारत इसमें 3.4 के स्कोर के साथ 38वें पायदान पर है जबकि सिंगापुर 4.30 के साथ अव्वल है। भारत के लॉजिस्टिक्स कॉस्ट स्ट्रक्चर में ट्रांसपोर्ट सबसे बड़ा कंपोनेंट है और कुल लॉजिस्टिक्स कॉस्ट में इसका शेयर लगभग 42 परसेंट है। सडक़ और पाइपलाइन ट्रांसपोर्ट पर साल का खर्च 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। इसके बाद स्टोरेज एंड वेयरहाउसिंग (24.8 परसेंट), मैटीरियल हैंडलिंग (16 परसेंट) और रेल ट्रांसपोर्ट का (6.7 परसेंट) योगदान है। लॉजिस्टिक्स कॉस्ट एफीशिएंसी के लिहाज से कोस्टल शिपिंग (तटीय जहाज) सबसे कम खर्चीला साधन है जबकि रेल ट्रांसपोर्ट 600 किमी से ज्यादा दूरी पर ही रोड ट्रांसपोर्ट से सस्ता पड़ता है। इसी तरह एयर कार्गो केवल हाई वेल्यू गुड्स के लिए ही ठीक साबित हो रही है। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का लॉजिस्टिक्स सिस्टम भयंकर चैलेंज से घिरा हुआ है। रोड ट्रांसपोर्ट में फ्यूल कॉस्ट 42 परसेंट है और 40 परसेंट तक ट्रक खाली लौटने के कारण कॉस्ट और बढ़ जाती है। लास्ट माइल कनेक्टिविटी की कमजोरी के कारण रेल ट्रांसपोर्ट कैपेसिटी का सही इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। हालांकि हाल ही रेलवे ने पायलट आधार पर डोर टू डोर डिलिवरी सर्विस शुरू की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉजिस्टिक्स सिस्टम को ग्लोबल बेंचमार्क के लेवल पर लाने के लिए भारत सरकार ने स्ट्रेटेजिक एक्शनप्लान में चार बिंदुओं इंफ्रास्ट्रक्चर कंस्ट्रक्शन, टेक्नीकल इंटीग्रेशन, पॉलिसी रिफॉम्र्स और परफॉर्मेन्स मैपिंग को शामिल किया है। सरकारी डेटा के अनुसार, भारत की लॉजिस्टिक्स कॉस्ट एक दशक पहले लगभग 15 परसेंट थी जो अब आधी रह गई है। ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर ने मालगाड़ी के टर्नअराउंड टाइम को 15-16 दिनों से घटाकर केवल 2-3 दिन कर दिया है। 60 घंटे से अधिक लगने वाला ट्रांजिट समय घटकर लगभग 35-38 घंटे रह गया है। वल्र्ड बैंक ने ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर और रेल लॉजिस्टिक्स प्रोजेक्ट्स पर 1.96 बिलियन डॉलर तथा गंगा जलमार्ग विकास के लिए 375 मिलियन डॉलर का निवेश किया है। डेटा के अनुसार पिछले वर्ष इनलैंड वॉटरवे (अंतर्देशीय जलमार्ग) पर 145.84 मिलियन टन माल का परिवहन हुआ, जो अब तक का रिकॉर्ड है।


Label

PREMIUM

CONNECT WITH US

X
Login
X

Login

X

Click here to make payment and subscribe
X

Please subscribe to view this section.

X

Please become paid subscriber to read complete news