ट्रंप टैरिफ के बावजूद भारत के एमएसएमई सैक्टर में आउटलुक पॉजिटिव बना हुआ है। सिडबी के एक लेटेस्ट एमएसएमई आउटलुक सर्वे के अनुसार, केवल 40 परसेंट एमएसएमई एक्सपोर्टर ही 25 परसेंट ट्रंप टैरिफ से डायरेक्ट या इनडायरेक्ट असर की आशंका जता रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप टैरिफ का असर भी तुरंत नहीं होगा। मैन्युफैक्चरिंग और ट्रेडिंग से जुड़ी एमएसएमई में से आधे से अधिक ने वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में सेल्स ग्रोथ दर्ज की है जबकि सर्विस सेक्टर की 42 परसेंट एमएसएमई ने सेल्स ग्रोथ और 48 परसेंट ने सेल्स के स्थिर रहने की रिपोर्ट दी है। सर्वे के अनुसार एक्सपोर्टर एमएसएमई पर अमेरिकी टैरिफ अनिश्चितताओं का असर पड़ा है। सर्विस और मैन्युफैक्चरिंग के लगभग 40 परसेंट उत्तरदाताओं टैरिफ अनिश्चितताओं से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होने की पुष्टि की है। हालांकि, मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर की लगभग 20 परसेंट यूनिट्स फैसला लेने की स्थिति में नहीं है जबकि सर्विस सेक्टर की 53 परसेंट एमएसएमई ने कहा उन पर टैरिफ का कोई असर नहीं पड़ा है। साथ में लगी टेबल से पता चलता है कि भारत से अमेरिका को होने वाले कुल 119.71 बिलियन डॉलर के एक्सपोर्ट में एमएसएमई का शेयर 48.5 बिलियन डॉलर का है। इसमें भी सबसे बढ़ा शेयर इंजीनियरिंग गुड्स का 32' है। इसी तरह टेक्सटाइल और जेम्स एंड ज्यूलरी भी अमेरिका को एक्सपोर्ट करने वाले बड़े एमएसएमई सैक्टर हैं। मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर में उत्तरदाताओं की एक्सपोर्ट टर्नओवर पिछली तिमाही की तुलना में इस दौर में स्पष्ट रूप से बेहतर हुई है, जिसमें 53 परसेंट एक्सपोर्टर ने सेल्स में ग्रोथ दर्ज की। सालाना आधार पर भी, 57' उत्तरदाताओं ने एक्सपोर्ट सेल्स में ग्रोथ की बात कही। हालांकि फ्यूचर आउटलुक के लिहाज से केवल 45'उत्तरदाताओं ने आने वाले एक वर्ष में सेल्स में ग्रोथ की उम्मीद जताई और इसका कारण संभवत: टैरिफ को लेकर अनिश्चतता है।
