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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

09-07-2025

वोलेटिलिटी के बीच Arbitrage Funds में बढ़ रही इंवेस्टरों की दिलचस्पी

  •  शेयर बाजारों में जारी वोलेटिलिटी व टैक्स बेनेफिट्स के कारण अप्रेल व मई 2025 में आबिट्राज फंड्स बड़े इन्फ्लो एट्रेक्ट करने में सफल रहे हैं। अप्रेल 2025 में जहां इन फंड्स में 11790.37 करोड़ रुपये का इन्फ्लो दर्ज किया गया था वहीं मई 2025 में इन फंड्स में इन्फ्लो 15701.97 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड लेवल पर रहा। एम्फी के अनुसार मई अंत में आर्बिट्राज फंड्स के तहत एसेट्स अंडर मेनेजमेंट (एयूएम) का लेवल 2.34 लाख करोड़ रुपये है। एक्सपटर््स का मानना है कि इन फंड्स में आ रहे भारी इन्फ्लो से रिटर्न्स जहां इंपैक्ट हो सकते हैं पर हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स व हाई टैक्स ब्रेकेट वाले इंवेस्टरों के लिए शॉट-टर्म के लिए इंवेस्ट करने के लिहाज से आर्बिट्राज फंड्स एक अच्छा ऑप्शन है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन फंड्स में रिस्क का फेक्टर कम होने के साथ ही उनपर इक्विटी फंड्स की तरह टैक्स लगता है। इन फंड्स पर शॉर्ट टर्म प्रॉफिट पर 15-20 प्रतिशत व 1 लाख रुपये से अधिक के लांग टर्म गेन पर केवल 12.5 प्रतिशत का टैक्स लगता है। इनकी तुलना में लिक्विड व डेब्ट फंड्स पर 30 प्रतिशत तक की फुल स्लैब रेट पर टैक्स लगता है। मार्केट पाॢटसिपेंट्स के मुताबिक शेयर बाजारों में जारी वोलेटिलिटी के चलते Cash-Futures Spreads एट्रेक्टिव बने हुए हैं जो आर्बिट्राज फंड्स में रिटर्न जनरेट करने के लिए आवश्यक होते हैं। पिछले 6 महिने में आर्बिट्राज स्कीमों द्वारा दिया गया रिटर्न लिक्विड फंड्स के रिटर्न के लगभग बराबर रहा है। यही कारण है कि मई 2025 में डेब्ट फंड्स से 40205 करोड़ रुपये का आउटफ्लो दर्ज किया गया था।

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वोलेटिलिटी के बीच Arbitrage Funds में बढ़ रही इंवेस्टरों की दिलचस्पी

 शेयर बाजारों में जारी वोलेटिलिटी व टैक्स बेनेफिट्स के कारण अप्रेल व मई 2025 में आबिट्राज फंड्स बड़े इन्फ्लो एट्रेक्ट करने में सफल रहे हैं। अप्रेल 2025 में जहां इन फंड्स में 11790.37 करोड़ रुपये का इन्फ्लो दर्ज किया गया था वहीं मई 2025 में इन फंड्स में इन्फ्लो 15701.97 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड लेवल पर रहा। एम्फी के अनुसार मई अंत में आर्बिट्राज फंड्स के तहत एसेट्स अंडर मेनेजमेंट (एयूएम) का लेवल 2.34 लाख करोड़ रुपये है। एक्सपटर््स का मानना है कि इन फंड्स में आ रहे भारी इन्फ्लो से रिटर्न्स जहां इंपैक्ट हो सकते हैं पर हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स व हाई टैक्स ब्रेकेट वाले इंवेस्टरों के लिए शॉट-टर्म के लिए इंवेस्ट करने के लिहाज से आर्बिट्राज फंड्स एक अच्छा ऑप्शन है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन फंड्स में रिस्क का फेक्टर कम होने के साथ ही उनपर इक्विटी फंड्स की तरह टैक्स लगता है। इन फंड्स पर शॉर्ट टर्म प्रॉफिट पर 15-20 प्रतिशत व 1 लाख रुपये से अधिक के लांग टर्म गेन पर केवल 12.5 प्रतिशत का टैक्स लगता है। इनकी तुलना में लिक्विड व डेब्ट फंड्स पर 30 प्रतिशत तक की फुल स्लैब रेट पर टैक्स लगता है। मार्केट पाॢटसिपेंट्स के मुताबिक शेयर बाजारों में जारी वोलेटिलिटी के चलते Cash-Futures Spreads एट्रेक्टिव बने हुए हैं जो आर्बिट्राज फंड्स में रिटर्न जनरेट करने के लिए आवश्यक होते हैं। पिछले 6 महिने में आर्बिट्राज स्कीमों द्वारा दिया गया रिटर्न लिक्विड फंड्स के रिटर्न के लगभग बराबर रहा है। यही कारण है कि मई 2025 में डेब्ट फंड्स से 40205 करोड़ रुपये का आउटफ्लो दर्ज किया गया था।


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