उच्चतम न्यायालय ने एक-दूसरे से अलग रह रहे दंपति के विवाह को समाप्त कर दिया है। उनके रिश्ते में रोल्स रॉयस की 1951 मॉडल की एक कार को लेकर खटास आ गई थी, जिसे पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने बड़ौदा की तत्कालीन ‘‘महारानी’’ के लिए मंगवाया था। न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति विपुल एम पंचोली की पीठ ने दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते को रिकॉर्ड में दर्ज किया, जिसके अनुसार महिला को पुरुष 2.25 करोड़ रुपये का भुगतान करेगा। इसके बाद उनके बीच सभी दावों का निपटारा हो जाएगा। पीठ ने 29 अगस्त को कहा, ‘‘हम याचिकाकर्ता और प्रतिवादी संख्या 1 (पति) के बीच विवाह को समाप्त करते हैं। अब उनके बीच कोई भी रिश्ता, चाहे वह वैवाहिक हो या अन्य, नहीं रहेगा।’’ समझौते के अनुसार, व्यक्ति 31 अगस्त तक एक करोड़ रुपये का भुगतान करेगा और शेष 1.25 करोड़ रुपये 30 नवंबर तक अदा किये जाएंगे। इस व्यवस्था के तहत, महिला अपने पति द्वारा दिए गए उपहारों को अपने पास रखेगी तथा पति उसे और उसके परिवार को मिले सभी उपहार जैसे सगाई की अंगूठी और अन्य कीमती सामान लौटा देगा, जिसे वह एक करोड़ रुपये के डिमांड ड्राफ्ट के साथ सौंपेगा। उनके बीच के सभी मामलों को रद्द करते हुए, पीठ ने इसे ‘‘पूर्ण और अंतिम’’ समझौता माना। संबंध विच्छेद के बाद, शीर्ष अदालत ने पक्षों को आगाह किया कि वे सोशल मीडिया सहित किसी भी रूप में एक-दूसरे को बदनाम न करें। ग्वालियर में रहने वाली महिला ने दावा किया कि वह एक काफी प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखती है, जिसके पूर्वज छत्रपति शिवाजी महाराज की नौसेना में एडमिरल थे और उन्हें कोंकण क्षेत्र का शासक घोषित किया गया था। वहीं दूसरी ओर, उसका पति सैन्य अधिकारियों के परिवार से ताल्लुक रखता है और मध्यप्रदेश में एक शैक्षणिक संस्थान संचालित करता है। यह 1951 मॉडल की एक हस्तनिर्मित क्लासिक रोल्स रॉयस कार है, जो आज तक एक ही मॉडल है। इसकी वर्तमान कीमत ढाई करोड़ रुपये से अधिक है। नेहरू द्वारा बड़ौदा की तत्कालीन महारानी के लिए मंगवाई गई यह कार विवाद का मुख्य कारण बन गई। महिला ने दावा किया कि अलग हो चुके उसके पति, और ससुराल वालों ने दहेज में रोल्स रॉयस कार तथा मुंबई में एक फ्लैट की मांग करके उसे लगातार परेशान किया। हालांकि, पति ने इस आरोप से इनकार किया। महिला ने अपनी याचिका में कहा, ‘‘उच्च न्यायालय इस बात पर विचार करने में विफल रहा कि प्रतिवादी संख्या 1 और 2 (पति और महिला के ससुर) की रॉल्स रॉयस कार मांगने की शुरू से ही गलत मंशा थी, जो अपनी तरह की एक अनूठी कार है और इसे ‘एचजे मुलिनर एंड कंपनी’ ने महारानी बड़ौदा चिमना बाई साहिब गायकवाड़ के लिए हाथों से बनवाया है। महिला ने याचिका में कहा कि इसे प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उनकी ओर से मंगवाया था। याचिका के अनुसार, ‘‘जब प्रतिवादियों की मांगें पूरी नहीं हुईं, तो उन्होंने शादी से इनकार करना शुरू कर दिया और याचिकाकर्ता पर झूठे और तुच्छ आरोप लगाने लगे तथा उसका चरित्र हनन करना शुरू कर दिया।’’ उच्च न्यायालय के 5 दिसंबर 2023 के आदेश का उल्लेख करते हुए याचिका में कहा गया, ‘‘...यह स्पष्ट है कि प्रतिवादी 1 (पति) और 2 (ससुर) ने याचिकाकर्ता (महिला) के पिता की रोल्स रॉयस कार के प्रति अपना लगाव दिखाया है और इस संदर्भ में उन्हें उक्त कार उपहार में मिलने की उम्मीद थी तथा मुंबई में फ्लैट के संबंध में और दहेज की इस मांग को पूरा न करना ही याचिकाकर्ता को उसके ससुराल न ले जाने का मुख्य कारण था।’’ मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ द्वारा महिला के पति के खिलाफ दहेज और क्रूरता का मामला खारिज किए जाने के बाद, अलग रह रहे दंपति का विवाद उच्चतम न्यायालय पहुंचा। वहीं दूसरी ओर, पति ने अलग हुई पत्नी, उसके माता-पिता और अपने ससुराल के लोगों के खिलाफ विवाह प्रमाण पत्र तैयार करने में धोखाधड़ी व जालसाजी करने का मामला दर्ज कराया था। शीर्ष अदालत ने इससे पहले वरिष्ठ अधिवक्ता और केरल उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश आर बसंत को इस मामले में मध्यस्थ नियुक्त किया था।