भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने केवाईसी पंजीकरण वापस करने की प्रक्रिया को आसान और व्यवस्थित बनाने के लिए एक परिपत्र जारी किया है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि केवाईसी पंजीकरण एजेंसियों का काम सही तरीके से बंद हो सके और निवेशकों के हित सुरक्षित रहें। जारी एक परिपत्र में सेबी ने कहा कि यह नियम इसलिए जरूरी है ताकि केवाईसी पंजीकरण एजेंसियां (केआरए) अपने व्यावसायिक फैसलों के कारण खुद पंजीकरण छोड़ें या फिर वित्तीय कठिनाइयों या नियमों के कारण मजबूर होकर बंद हों, तो उस स्थिति को सही तरीके से संभाला जा सके। सेबी ने कहा, ‘‘यह तय किया गया है कि केआरए पंजीकरण वापस करने की प्रक्रिया को आसान बनाया जाए, चाहे वह स्वेच्छा से हो या मजबूरी में, ताकि केआरए के जरूरी काम और सेवाएं व्यवस्थित तरीके से बंद की जा सकें।’’ इस ढांचे के अनुसार, केआरए को निवेशकों के केवाईसी रिकॉर्ड को इस तरह बनाए रखना होगा कि उन्हें आसानी से दूसरे एजेंसी के साथ साझा किया जा सके और स्थानांतरित भी किया जा सके। नए नियमों के तहत, नियामक ने कहा है कि जो केआरए अपना पंजीकरण वापस करते हैं, उन्हें अपने सभी केवाईसी रिकॉर्ड को किसी दूसरे सेबी-पंजीकृत केआरए को स्थानांतरित करना होगा। इससे निवेशकों को नया केवाईसी कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी और उनकी सेवाएं बिना रुकावट जारी रहेंगी। परिपत्र में यह अनिवार्य किया गया है कि प्रत्येक केआरए के पास समापन परिदृश्यों से निपटने के लिए अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) हो। एसओपी में रिकॉर्ड, आंकड़े और दस्तावेजों के स्थानांतरण के तरीके, अनुबंधों के निपटारे के नियम, और निवेशकों के डेटा की सुरक्षा के लिए स्पष्ट नियम होने चाहिए।