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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

02-06-2017

सौंठ में मंदी रुकने की आशा

  •  नई दिल्ली। केरल और मणिपुर एवं अरूणाचल प्रदेश में मानसून निर्धारित समय से पहले ही पहुंच गया है। इतना ही नहीं, इन राज्यों में मानसून पहुंचने से पूर्व तथा बाद में अच्छी वर्षा भी होने की जानकारी मिली। इसकी वजह से बाजार की आंतरिक धारणा में बदलाव होने का अनुमान है। आगामी समय में सौंठ की मंदी रुकने का अनुमान है। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए ऐसा लगता है कि इस बार मानसून सीजन का आरम्भ सामान्य की तुलना में दो दिन पहले ही हो गया है। एक जून की निर्धारित समय सीमा की तुलना में केरल में दो दिन पूर्व ही मानसून का आगमन हो गया है। इतना ही नहीं, इस बार एक आश्चर्यजनकर तथ्य यह भी है कि मणिपुर, मिजोरम और अरूणाचल प्रदेश जैसे उत्तर-पूर्वी राज्यों में भी मानसून केरल के साथ ही पहुंच गया। कर्नाटक और तमिलनाडु के हिस्सों में भी मानसून सक्रिय होने की सूचनाएं आ रही हैं। इसके फलस्वरूप केरल की कोच्चि मंडी में सौंठ की आवक नगण्य होने पर भी यह 110/120 रुपए प्रति किलोग्राम के पूर्वस्तर पर ही बनी होने की जानकारी मिली। कर्नाटक की मंडियों में भी इसकी कीमत 90/105 रुपए के पूर्वस्तर पर रुकी रही। इधर, स्थानीय थोक किराना बाजार में सौंठ सामान्य हाल ही में 200 रुपए मंदी होकर फिलहाल 10,800/ 11,000 रुपए प्रति क्विंटल पर बनी हुई है। 

     
    उधर, अंतर्राष्टï्रीय बाजार में चीन की सौंठ फिलहाल 3.31 डॉलर प्रति किलोग्राम पर बनी हुई है। एक महीना पूर्व यह 3.42 डॉलर थी। गत वर्ष की आलोच्य अवधि में इसकी कीमत 3.64 डॉलर थी। इसी प्रकार, भारतीय सौंठ की अंतर्राष्टï्रीय कीमत बीते वर्ष की 5.29 डॉलर प्रति किलोग्राम के स्तर पर बनी हुई है। दूसरी ओर, रुपए की तुलना में अमेरिकी डॉलर हाल ही में थोड़ा कमजोर हुआ है। यह निर्यातकों के लिए आकर्षक स्तर है। अमेरिकी डॉलर की मजबूती की वजह से आयातित सौंठ का पड़ता और ऊंचा पड़ रहा है। हाल ही के कुछेक वर्षों में देखा गया है कि देश में सौंठ के उत्पादन में लगातार कमी आ रही है क्योंकि उत्पादकों की सौंठ बनाने में रुचि निरंतर कम हो रही है। इसका एक और प्रमुख कारण श्रमिकों की भारी कमी भी है। बताया जाता है कि केरल में मजदूरों की कमी की वजह से श्रमिक लागत में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई जबकि सौंठ की कीमत में आनुपातिक रूप से उतनी बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। घरेलू बाजारों की आसमान छूती कीमतों के बाद भी सौंठ के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। मसाला बोर्ड के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2016-17 के आरम्भिक नौ महीनों यानी अप्रैल-दिसम्बर में 180.45 करोड़ रुपए कीमत की 16,000 टन सौंठ का निर्यात हुआ है। इसकी तुलना में बीते सीजन की आलोच्य अवधि में इसकी 17350 टन मात्रा का निर्यात हुआ था और इससे 211.70 करोड़ रुपए की आय हुई थी। इन आंकड़ों से स्पष्टï है कि इस बार सौंठ के मात्रात्मक निर्यात 8 प्रतिशत और आय में 15 प्रतिशत की कमी आई है। आगामी समय में सौंठ की मंदी रुकने के आसार हैं।
    - एनएनएस
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सौंठ में मंदी रुकने की आशा

 नई दिल्ली। केरल और मणिपुर एवं अरूणाचल प्रदेश में मानसून निर्धारित समय से पहले ही पहुंच गया है। इतना ही नहीं, इन राज्यों में मानसून पहुंचने से पूर्व तथा बाद में अच्छी वर्षा भी होने की जानकारी मिली। इसकी वजह से बाजार की आंतरिक धारणा में बदलाव होने का अनुमान है। आगामी समय में सौंठ की मंदी रुकने का अनुमान है। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए ऐसा लगता है कि इस बार मानसून सीजन का आरम्भ सामान्य की तुलना में दो दिन पहले ही हो गया है। एक जून की निर्धारित समय सीमा की तुलना में केरल में दो दिन पूर्व ही मानसून का आगमन हो गया है। इतना ही नहीं, इस बार एक आश्चर्यजनकर तथ्य यह भी है कि मणिपुर, मिजोरम और अरूणाचल प्रदेश जैसे उत्तर-पूर्वी राज्यों में भी मानसून केरल के साथ ही पहुंच गया। कर्नाटक और तमिलनाडु के हिस्सों में भी मानसून सक्रिय होने की सूचनाएं आ रही हैं। इसके फलस्वरूप केरल की कोच्चि मंडी में सौंठ की आवक नगण्य होने पर भी यह 110/120 रुपए प्रति किलोग्राम के पूर्वस्तर पर ही बनी होने की जानकारी मिली। कर्नाटक की मंडियों में भी इसकी कीमत 90/105 रुपए के पूर्वस्तर पर रुकी रही। इधर, स्थानीय थोक किराना बाजार में सौंठ सामान्य हाल ही में 200 रुपए मंदी होकर फिलहाल 10,800/ 11,000 रुपए प्रति क्विंटल पर बनी हुई है। 

 
उधर, अंतर्राष्टï्रीय बाजार में चीन की सौंठ फिलहाल 3.31 डॉलर प्रति किलोग्राम पर बनी हुई है। एक महीना पूर्व यह 3.42 डॉलर थी। गत वर्ष की आलोच्य अवधि में इसकी कीमत 3.64 डॉलर थी। इसी प्रकार, भारतीय सौंठ की अंतर्राष्टï्रीय कीमत बीते वर्ष की 5.29 डॉलर प्रति किलोग्राम के स्तर पर बनी हुई है। दूसरी ओर, रुपए की तुलना में अमेरिकी डॉलर हाल ही में थोड़ा कमजोर हुआ है। यह निर्यातकों के लिए आकर्षक स्तर है। अमेरिकी डॉलर की मजबूती की वजह से आयातित सौंठ का पड़ता और ऊंचा पड़ रहा है। हाल ही के कुछेक वर्षों में देखा गया है कि देश में सौंठ के उत्पादन में लगातार कमी आ रही है क्योंकि उत्पादकों की सौंठ बनाने में रुचि निरंतर कम हो रही है। इसका एक और प्रमुख कारण श्रमिकों की भारी कमी भी है। बताया जाता है कि केरल में मजदूरों की कमी की वजह से श्रमिक लागत में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई जबकि सौंठ की कीमत में आनुपातिक रूप से उतनी बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। घरेलू बाजारों की आसमान छूती कीमतों के बाद भी सौंठ के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। मसाला बोर्ड के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2016-17 के आरम्भिक नौ महीनों यानी अप्रैल-दिसम्बर में 180.45 करोड़ रुपए कीमत की 16,000 टन सौंठ का निर्यात हुआ है। इसकी तुलना में बीते सीजन की आलोच्य अवधि में इसकी 17350 टन मात्रा का निर्यात हुआ था और इससे 211.70 करोड़ रुपए की आय हुई थी। इन आंकड़ों से स्पष्टï है कि इस बार सौंठ के मात्रात्मक निर्यात 8 प्रतिशत और आय में 15 प्रतिशत की कमी आई है। आगामी समय में सौंठ की मंदी रुकने के आसार हैं।
- एनएनएस

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