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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

08-01-2025

वर्तमान भाव में चिरौंजी की बिकवाली लाभदायक रहेगी

  •  चिरौंजी का उत्पादन 60-65 प्रतिशत अधिक होने से सीजन से लेकर अब तक बाजार 200 रुपए प्रति किलो ऊपर नीचे घूम रहे हैं तथा वर्तमान में दूर-दूर तक कोई लेवल नहीं है। ऊंचे भाव के स्टाक कारोबारियों के गले में अटका हुआ है। अत: अभी दो महीने तेजी नहीं लग रही है। वर्तमान में मजूरी का व्यापार करना चाहिए। गत वर्ष की तेजी को देखकर कारोबारियों द्वारा भारी मात्रा में चिरौंजी का स्टाक ऊंचे भाव में कर लिया गया था तथा ब्याज भाड़ा लगाकर काफी ऊंचे पड़ते की पड़ रही है। यही कारण है कि वर्तमान भाव में अब लिवाल नहीं है। चिरौंजी का उत्पादन मध्य प्रदेश के अमरवाड़ा लाइन में मुख्य रुप से होता है, इसके अलावा बैतूल गज कालहांडी शहडोल सहित उड़ीसा मध्य प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में में आती है। तथा यूपी-झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में कुछ आती है। गत वर्ष इसके भाव ऊंचे होने से सीजन में उत्पादकों एवं चिरौंजी प्रोसेसिंग करने वालों द्वारा गुठली भारी मात्रा में खरीद कर लिया गया। जो गुठली गत वर्ष 235/240 रुपए प्रति किलो बिकी थी, उसके भाव 360/370 रुपए सीजन पर स्टाकिस्टों के गले में फंसे हुए हैं। चिरौंजी के भाव अमरवाड़ा लाइन में 1600/1700 रुपए बनने के बाद सीजन में ही 2000/2100 रुपए प्रति किलो 10-12 दिन के लिए बन गया था, उसके बाद वर्तमान में फिर लुढक़कर 1750/1800 प्रति किलो के बीच क्वालिटी के अनुसार रह गई है। इसकी नई फसल आए 7 महीने हो चुके हैं। सीजन में ही कारोबारी द्वारा गत वर्ष की तेजी को देखकर स्टॉकिस्ट प्रतिस्पर्धा खरीद करने लगे, जिससे ऊंचे भाव में स्टॉक गले तक भर चुका है, जो अब तक निकल नहीं पाया है। हम मानते हैं कि चिरौंजी का पुराना स्टॉक इस बार किसी से मंडी में नहीं था तथा गोदाम में झाड़ू लगा था, लेकिन फसल बंपर होने से गुठली के उत्पादन में 32-33 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी तथा सबसे महत्वपूर्ण बात है कि जो गुठली में दाने 10 किलो तक निकल रहे थे, वह इस बार 15-16 किलो तक निकल रहा है तथा स्टॉक में गुठली अभी भी प्रचूर मात्रा में पड़ी हुई है। इसकी फसल आए 7 महीने हो चुके हैं, जिससे ब्याज भाड़ा लगाकर कारोबारियों के गले में माल फंसा हुआ है, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए मकर संक्रांति तक इसमें कोई तेजी की गुंजाइश नहीं लग रही है। दिल्ली में भी क्वॉलिटी अनुसार चिरौंजी के भाव 1850/2050 रुपए प्रति  किलो के बीच चल रहे हैं तथा ग्राहकी का भारी सन्नाटा बना हुआ है। इस बार मध्य प्रदेश की उत्पादक मंडियों में चिरौंजी का स्टॉक 2050/2100 रुपए प्रति किलो के पड़ते का फंसा हुआ है, इसलिए थोड़ी सी पूछपरख में कारोबारी माल बेचने के लिए उत्सुकता में आ जाते हैं। हम मानते हैं कि नई फसल आने में अभी 5 महीने का समय बाकी है, लेकिन चिरौंजी की कुल खपत की तुलना में उत्पादन  32-33 प्रतिशत की वृद्धि हुआ है, इसलिए अभी बाजार बढऩे का कोई लॉजिक दिखाई नहीं दे रहा है।

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वर्तमान भाव में चिरौंजी की बिकवाली लाभदायक रहेगी

 चिरौंजी का उत्पादन 60-65 प्रतिशत अधिक होने से सीजन से लेकर अब तक बाजार 200 रुपए प्रति किलो ऊपर नीचे घूम रहे हैं तथा वर्तमान में दूर-दूर तक कोई लेवल नहीं है। ऊंचे भाव के स्टाक कारोबारियों के गले में अटका हुआ है। अत: अभी दो महीने तेजी नहीं लग रही है। वर्तमान में मजूरी का व्यापार करना चाहिए। गत वर्ष की तेजी को देखकर कारोबारियों द्वारा भारी मात्रा में चिरौंजी का स्टाक ऊंचे भाव में कर लिया गया था तथा ब्याज भाड़ा लगाकर काफी ऊंचे पड़ते की पड़ रही है। यही कारण है कि वर्तमान भाव में अब लिवाल नहीं है। चिरौंजी का उत्पादन मध्य प्रदेश के अमरवाड़ा लाइन में मुख्य रुप से होता है, इसके अलावा बैतूल गज कालहांडी शहडोल सहित उड़ीसा मध्य प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में में आती है। तथा यूपी-झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में कुछ आती है। गत वर्ष इसके भाव ऊंचे होने से सीजन में उत्पादकों एवं चिरौंजी प्रोसेसिंग करने वालों द्वारा गुठली भारी मात्रा में खरीद कर लिया गया। जो गुठली गत वर्ष 235/240 रुपए प्रति किलो बिकी थी, उसके भाव 360/370 रुपए सीजन पर स्टाकिस्टों के गले में फंसे हुए हैं। चिरौंजी के भाव अमरवाड़ा लाइन में 1600/1700 रुपए बनने के बाद सीजन में ही 2000/2100 रुपए प्रति किलो 10-12 दिन के लिए बन गया था, उसके बाद वर्तमान में फिर लुढक़कर 1750/1800 प्रति किलो के बीच क्वालिटी के अनुसार रह गई है। इसकी नई फसल आए 7 महीने हो चुके हैं। सीजन में ही कारोबारी द्वारा गत वर्ष की तेजी को देखकर स्टॉकिस्ट प्रतिस्पर्धा खरीद करने लगे, जिससे ऊंचे भाव में स्टॉक गले तक भर चुका है, जो अब तक निकल नहीं पाया है। हम मानते हैं कि चिरौंजी का पुराना स्टॉक इस बार किसी से मंडी में नहीं था तथा गोदाम में झाड़ू लगा था, लेकिन फसल बंपर होने से गुठली के उत्पादन में 32-33 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी तथा सबसे महत्वपूर्ण बात है कि जो गुठली में दाने 10 किलो तक निकल रहे थे, वह इस बार 15-16 किलो तक निकल रहा है तथा स्टॉक में गुठली अभी भी प्रचूर मात्रा में पड़ी हुई है। इसकी फसल आए 7 महीने हो चुके हैं, जिससे ब्याज भाड़ा लगाकर कारोबारियों के गले में माल फंसा हुआ है, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए मकर संक्रांति तक इसमें कोई तेजी की गुंजाइश नहीं लग रही है। दिल्ली में भी क्वॉलिटी अनुसार चिरौंजी के भाव 1850/2050 रुपए प्रति  किलो के बीच चल रहे हैं तथा ग्राहकी का भारी सन्नाटा बना हुआ है। इस बार मध्य प्रदेश की उत्पादक मंडियों में चिरौंजी का स्टॉक 2050/2100 रुपए प्रति किलो के पड़ते का फंसा हुआ है, इसलिए थोड़ी सी पूछपरख में कारोबारी माल बेचने के लिए उत्सुकता में आ जाते हैं। हम मानते हैं कि नई फसल आने में अभी 5 महीने का समय बाकी है, लेकिन चिरौंजी की कुल खपत की तुलना में उत्पादन  32-33 प्रतिशत की वृद्धि हुआ है, इसलिए अभी बाजार बढऩे का कोई लॉजिक दिखाई नहीं दे रहा है।


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