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19-06-2025

हल्दी में वर्तमान भाव पर आगे व्यापार लाभदायक रहेगा

  •  अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भी हल्दी के ऊंचे भाव चल रहे हैं, इधर वर्तमान की फसल में यील्ड प्रति हेक्टेयर कम निकाला है, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए हल्दी 20 रुपए किलो जुलाई के अंत तक बढ़ सकती है तथा ऊपर में नई फसल आने से पहले 180 रुपए ईरोड एज ईटीज ग_ा बनने की संभावना है। हल्दी की नई फसल मार्च माह से ही आ रही है, लेकिन प्रति हैक्टेयर उत्पादकता सभी उत्पादक क्षेत्रों में कम होने से कारोबारियों का मनोबल काफी मजबूत हो गया है। फिलहाल बाजारों में रुपए की तंगी होने तथा सरहद पर तनाव चलने से बाजार एक माह के अंतराल 10 रुपए प्रति किलो भाव नीचे आ गया है, लेकिन अब यहां से और घटने की गुंजाइश नहीं है, क्योंकि उत्पादक मंडियों में कारोबारी माल बेचने से पीछे हट गए हैं तथा वहां के भाव से हाजिर में माल मांगने पर 4/5 रुपए महंगा बैठ रहा है। दूसरी बात यह है कि अब केवल वर्ष 2024 एवं 2025 का ही माल मंडियों में पड़ा है। पिछले वर्षों के पुराने माल 90 प्रतिशत बिक चुके हैं। वर्तमान में केवल ग्राहकी का सन्नाटा से ये भाव दिखाई दे रहे हैं, जो आगे चलकर दूर-दूर तक दिखाई नहीं देंगे। वर्तमान में ईरोड एज ईटीज ग_ा 138 रुपए वर्ष 2024 का बोल रहे हैं, लेकिन एक गाड़ी मांगने पर माल नहीं मिल पाएगा। वर्ष 2025 की फसल पहले ही कम हुई है। उत्पादक मंडियों के व्यापारियों का मानना है कि 62 लाख बोरी से अधिक फसल नहीं बैठेगी, जबकि स्टॉक इस बार 5 लाख बोरी से ज्यादा नहीं है, जिससे कुल उपलब्धि 67 लाख बोरी बैठ रही है, जबकि गत वर्ष नई पुरानी मिलाकर 84-85 लाख बोरी की उपलब्धि फसल पर थी। किसान ज्यादा पिछले 4 वर्षों से दूसरी फसलों में जा चुके हैं तथा उन क्षेत्रों में मक्की व केले की खेती ज्यादा होने लगी है, जिससे हल्दी की बिजाई में दिन प्रतिदिन रुझान घटता जा रहा है। दूसरी ओर पिछले कई वर्षों की पुरानी हल्दी खप चुकी है, अब केवल मुख्य रूप से 2023 के बाद की ही हल्दी स्टॉक में है, कुछ गिने चुने व्यापारियों के पास छिटपुट माल पुराना पड़ा हुआ है, उसकी गिनती नहीं है। इस समय निजामाबाद में आवक 10-11 हजार बोरी से टूटकर यहां 75-76 सौ बोरी दैनिक रह गई है। इसके अलावा इरोड वारंगल में पुरानी हल्दी में डंक लग जाने से माल की उपलब्धि बहुत कम रह गई है। अधिकतर डंक वाले माल बिक भी चुके हैं। निर्यात व घरेलू खपत को मिलाकर कम से कम 130 लाख बोरी की है, इस स्थिति में हल्दी के भाव 20 रुपए प्रति किलो अगले दो माह के अंतराल बढ़ सकते हैं तथा नई फसल आने से पहले 180 रुपए बन जाने की धारणा व्यक्त की जा रही है। आने वाले समय में इससे ऊपर की धारणा में भी कुछ कारोबारी बैठ गए हैं, उसको अभी कह पाना ज्यादा हो जाएगी, लेकिन कुल मिलाकर हल्दी के व्यापार में लगे रहना चाहिए। हम मानते हैं कि वायदा बाजार में सटोरिये इसको पिछले एक माह के अंतर्गत तोडक़र पानी पानी कर दिए हैं, लेकिन इस मंदे में घबराकर अपना माल नहीं काटना चाहिए। इसी तरह फली भी निजामाबाद एवं सांगली दोनों उत्पादक क्षेत्रों में  कम आई है।

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हल्दी में वर्तमान भाव पर आगे व्यापार लाभदायक रहेगा

 अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भी हल्दी के ऊंचे भाव चल रहे हैं, इधर वर्तमान की फसल में यील्ड प्रति हेक्टेयर कम निकाला है, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए हल्दी 20 रुपए किलो जुलाई के अंत तक बढ़ सकती है तथा ऊपर में नई फसल आने से पहले 180 रुपए ईरोड एज ईटीज ग_ा बनने की संभावना है। हल्दी की नई फसल मार्च माह से ही आ रही है, लेकिन प्रति हैक्टेयर उत्पादकता सभी उत्पादक क्षेत्रों में कम होने से कारोबारियों का मनोबल काफी मजबूत हो गया है। फिलहाल बाजारों में रुपए की तंगी होने तथा सरहद पर तनाव चलने से बाजार एक माह के अंतराल 10 रुपए प्रति किलो भाव नीचे आ गया है, लेकिन अब यहां से और घटने की गुंजाइश नहीं है, क्योंकि उत्पादक मंडियों में कारोबारी माल बेचने से पीछे हट गए हैं तथा वहां के भाव से हाजिर में माल मांगने पर 4/5 रुपए महंगा बैठ रहा है। दूसरी बात यह है कि अब केवल वर्ष 2024 एवं 2025 का ही माल मंडियों में पड़ा है। पिछले वर्षों के पुराने माल 90 प्रतिशत बिक चुके हैं। वर्तमान में केवल ग्राहकी का सन्नाटा से ये भाव दिखाई दे रहे हैं, जो आगे चलकर दूर-दूर तक दिखाई नहीं देंगे। वर्तमान में ईरोड एज ईटीज ग_ा 138 रुपए वर्ष 2024 का बोल रहे हैं, लेकिन एक गाड़ी मांगने पर माल नहीं मिल पाएगा। वर्ष 2025 की फसल पहले ही कम हुई है। उत्पादक मंडियों के व्यापारियों का मानना है कि 62 लाख बोरी से अधिक फसल नहीं बैठेगी, जबकि स्टॉक इस बार 5 लाख बोरी से ज्यादा नहीं है, जिससे कुल उपलब्धि 67 लाख बोरी बैठ रही है, जबकि गत वर्ष नई पुरानी मिलाकर 84-85 लाख बोरी की उपलब्धि फसल पर थी। किसान ज्यादा पिछले 4 वर्षों से दूसरी फसलों में जा चुके हैं तथा उन क्षेत्रों में मक्की व केले की खेती ज्यादा होने लगी है, जिससे हल्दी की बिजाई में दिन प्रतिदिन रुझान घटता जा रहा है। दूसरी ओर पिछले कई वर्षों की पुरानी हल्दी खप चुकी है, अब केवल मुख्य रूप से 2023 के बाद की ही हल्दी स्टॉक में है, कुछ गिने चुने व्यापारियों के पास छिटपुट माल पुराना पड़ा हुआ है, उसकी गिनती नहीं है। इस समय निजामाबाद में आवक 10-11 हजार बोरी से टूटकर यहां 75-76 सौ बोरी दैनिक रह गई है। इसके अलावा इरोड वारंगल में पुरानी हल्दी में डंक लग जाने से माल की उपलब्धि बहुत कम रह गई है। अधिकतर डंक वाले माल बिक भी चुके हैं। निर्यात व घरेलू खपत को मिलाकर कम से कम 130 लाख बोरी की है, इस स्थिति में हल्दी के भाव 20 रुपए प्रति किलो अगले दो माह के अंतराल बढ़ सकते हैं तथा नई फसल आने से पहले 180 रुपए बन जाने की धारणा व्यक्त की जा रही है। आने वाले समय में इससे ऊपर की धारणा में भी कुछ कारोबारी बैठ गए हैं, उसको अभी कह पाना ज्यादा हो जाएगी, लेकिन कुल मिलाकर हल्दी के व्यापार में लगे रहना चाहिए। हम मानते हैं कि वायदा बाजार में सटोरिये इसको पिछले एक माह के अंतर्गत तोडक़र पानी पानी कर दिए हैं, लेकिन इस मंदे में घबराकर अपना माल नहीं काटना चाहिए। इसी तरह फली भी निजामाबाद एवं सांगली दोनों उत्पादक क्षेत्रों में  कम आई है।


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