जीरा का उत्पादन अधिक होने से उत्पादक व वितरक मंडियों में भरा पड़ा है। पिछले एक माह से वायदा में तेजी की चाल बन गई है, जिससे 24/25 रुपए प्रति किलो भाव बढ़ गए हैं। इन भावों में एक बार मुनाफा लेकर निकल जाना चाहिए, अब फंसने की जरूरत नहीं है। नीचे भाव में आने के बाद पैकिंग निर्माताओं की चौतरफा लिवाली चलने तथा कुछ नए स्टाकिस्टों की खरीद से चालू माह के अंतराल 23/24 रुपए प्रति किलो बढ़ गया है। जो जीरा 227/228 रुपए प्रति किलो नीचे में बन गया था, उसके भाव 250/252 रुपए हो गए हैं। नीचे वाले माल भी 197/198 रुपए से बढक़र 221/222 रुपए हो गए हैं। मीडियम माल भी उसी अनुपात में बढ़ गए हैं। जीरे की बिजाई चौतरफा बहुत बढिय़ा हुई है। पूरा सौराष्ट्र एवं गुजरात के ऊंझा मेहसाना काठियावाड़ के साथ-साथ जोधपुर बाड़मेर लाइन में भी बिजाई अधिक हुई है, इसे देखते हुए आने वाला उत्पादन फिर बढिय़ा रहने वाला है। इस बार पुराना स्टॉक भी काफी बचने की उम्मीद है, क्योंकि निर्यात कमजोर रहा है तथा स्टॉकिस्टों के गले में माल फंसा हुआ है। इसकी पुरानी फसल का माल पिछले 9-10 महीने आ रहा है। गौरतलब है कि सीजन के पीक दौर में एवरेज क्वालिटी का जीरा 280/282 रुपए प्रति किलो बिका था, उसके भाव 227/228 रुपए नीचे में बनने के बाद चालू माह के अंतराल बढक़र 250/252 रुपए प्रति किलो हो गए हैं। नीचे वाले माल भी इसी अनुपात में तेज हो गए हैं, जबकि ऊपर वाले माल में ग्राहकी अनुकूल नहीं है। बाजारों में रुपए की भारी तंगी चल रही है, रुपए की वापसी नहीं हो रही है। कुछ हाजिर में उधार में व्यापार हो रहे हैं, लेकिन भुगतान में विलंब हो रहा है। गौरतलब है कि बार-बार मिडिल ईस्ट देशों में युद्ध की स्थिति बनने से समुद्री मार्ग बाधित हुआ था तथा पड़ोसी देश नेपाल में भी तख्तापलट हो गया था, इसलिए अन्य देशों के लिए भी निर्यात सौदे इस बार कम हुए हैं। वर्तमान में आई हुई तेजी के बाद बाड़मेर जोधपुर लाइन से सस्ता जीरा लगातार लोडिंग उत्तर भारत की मंडियों के लिए हो रही है, इन परिस्थितियों में अब इन भाव में एक बार माल बेचकर मुनाफा ले जाना चाहिए। आगे भी मानसून बढिय़ा होने से बिजाई अच्छी होने की संभावना है। जबकि अभी 2 वर्ष का जीरा उत्पादक मंडियों में बड़े कारोबारियों के हाथ में है तथा हल्का क्वालिटी का जीरा राजस्थान वाला लगातार बिकवाली में आ रहा है। हालांकि वायदा तेज दिखा रहा है।, उसकी चपेट में आकर बाजार अभी 5/7 रुपए प्रति किलो और बढ़ सकता है, लेकिन बढ़े भाव में माल बचकर निकल जाना चाहिए।