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01-08-2025

मखाना 15 अगस्त तक मंदा नहीं होगा

  •  उत्पादक क्षेत्रों में मखाने की गुडिय़ा, गत वर्ष की तुलना में काफी अधिक हुई है, लेकिन में फोड़ी करने वाले कम होने से मखाना तैयार नहीं हो पा रहा है। दूसरी ओर श्री कृष्ण जन्माष्टमी तक खपत पूरी रहने वाली है, इसे देखते हुए 15 अगस्त तक मखाने में मंदे की बिल्कुल गुंजाइश नहीं है, बल्कि कभी शॉर्टेज में 75/100 रुपए बढ़ भी सकते हैं। छप्पन भोग मखाने के युवा निर्माता डायरेक्टर शिवम केडिया ने बताया कि मखाने की फसल बिहार के पूर्णिया दरभंगा गुलाब बाग काढ़ा गोला से लेकर पश्चिम बंगाल के हरिशचंद्रपुर उत्तर दिनाजपुर दालकोला हरदा आदि सभी मंडियों में तैयार माल की भारी कमी बनी हुई है। हम मानते हैं की गुडिय़ा की उपलब्धि तालाबों में गत वर्ष की अपेक्षा दोगुनी है, लेकिन तैयार करने वाले फोड़ी वर्ग की काफी कमी बन गई है। दूसरी ओर रुक कर मौसम साथ नहीं दे रहा है। यही कारण है कि मुश्किल से 100-150  बोरी प्रतीमंडी मखाना आ रहा है दूसरी ओर छोटी बड़ी सभी कंपनियों के पास माल नहीं होने से खरीदना मजबूरी हो गई है। अभी रक्षाबंधन की सेल दिन प्रतिदिन और बढ़ेगी तथा उसके बाद श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की खपत बढ़ जाएगी। इधर स्नेक्स कंपनियों में भी माल की कमी है, इन परिस्थितियों में अभी 15 अगस्त तक मंदा नहीं लग रहा है। बल्कि हो सकता है शार्ट सप्लाई होने में 75/100 रुपए प्रति किलो की और तेजी आ जाए। हरदा मंडी में 900/920 रुपए हरिशचंद्रपुर में 880/890 रुपए गेराबाड़ी में 750/760 रुपए, पूर्णिया में 780/800 रुपए प्रति किलो के आसपास मखाने का व्यापार हो रहा है। इधर दरभंगा मंडी में भी 720/750 रुपए के बीच माल बिक रहे हैं, लेकिन इन भावों में भी कारोबारियों को माल नहीं मिल पा रहा है, वहीं क्वालिटी हल्की आ रही है। हम मानते हैं कि उत्तर भारत की मंडियों में पूर्वी भारत की अपेक्षा माल कुछ ज्यादा पड़ा हुआ है, लेकिन कोई भी कारोबारी घटाकर बिकवाल नहीं है, क्योंकि जो नया माल निकल रहा है, उसकी क्वालिटी अभी बढिय़ा नहीं है। दूसरी ओर जो मखाना हम लोगों का क्वालिटी से बिकता है, उसके लिए हमें बढिय़ा माल ही खरीदना पड़ता है, हल्के माल हम सप्लाई नहीं कर सकते, चाहे व्यापार कम हो। बाजारों में काफी ब्रांड आ गए हैं, जो एक ही नाम के बिक रहे हैं, लेकिन क्वालिटी में काफी अंतर चल रहा है। हम लोगों को क्वालिटी बढिय़ा सप्लाई करनी है, इसलिए माल खरीदने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। पुराना माल उत्पादक मंडियों में एक दाना नहीं है, नये माल का प्रेशर अगस्त के बाद ही बन पाएगा, इसलिए मंदे का व्यापार अगस्त के बाद ही करना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे भाव है तथा मखाने की डिमांड यूएस, यूएई सहित अन्य अफ्रीकन देशों के लिए स्नैक्स के रूप में चल रही है। अत: अभी बाजार कुछ दिन तेज ही रहने वाला है।

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मखाना 15 अगस्त तक मंदा नहीं होगा

 उत्पादक क्षेत्रों में मखाने की गुडिय़ा, गत वर्ष की तुलना में काफी अधिक हुई है, लेकिन में फोड़ी करने वाले कम होने से मखाना तैयार नहीं हो पा रहा है। दूसरी ओर श्री कृष्ण जन्माष्टमी तक खपत पूरी रहने वाली है, इसे देखते हुए 15 अगस्त तक मखाने में मंदे की बिल्कुल गुंजाइश नहीं है, बल्कि कभी शॉर्टेज में 75/100 रुपए बढ़ भी सकते हैं। छप्पन भोग मखाने के युवा निर्माता डायरेक्टर शिवम केडिया ने बताया कि मखाने की फसल बिहार के पूर्णिया दरभंगा गुलाब बाग काढ़ा गोला से लेकर पश्चिम बंगाल के हरिशचंद्रपुर उत्तर दिनाजपुर दालकोला हरदा आदि सभी मंडियों में तैयार माल की भारी कमी बनी हुई है। हम मानते हैं की गुडिय़ा की उपलब्धि तालाबों में गत वर्ष की अपेक्षा दोगुनी है, लेकिन तैयार करने वाले फोड़ी वर्ग की काफी कमी बन गई है। दूसरी ओर रुक कर मौसम साथ नहीं दे रहा है। यही कारण है कि मुश्किल से 100-150  बोरी प्रतीमंडी मखाना आ रहा है दूसरी ओर छोटी बड़ी सभी कंपनियों के पास माल नहीं होने से खरीदना मजबूरी हो गई है। अभी रक्षाबंधन की सेल दिन प्रतिदिन और बढ़ेगी तथा उसके बाद श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की खपत बढ़ जाएगी। इधर स्नेक्स कंपनियों में भी माल की कमी है, इन परिस्थितियों में अभी 15 अगस्त तक मंदा नहीं लग रहा है। बल्कि हो सकता है शार्ट सप्लाई होने में 75/100 रुपए प्रति किलो की और तेजी आ जाए। हरदा मंडी में 900/920 रुपए हरिशचंद्रपुर में 880/890 रुपए गेराबाड़ी में 750/760 रुपए, पूर्णिया में 780/800 रुपए प्रति किलो के आसपास मखाने का व्यापार हो रहा है। इधर दरभंगा मंडी में भी 720/750 रुपए के बीच माल बिक रहे हैं, लेकिन इन भावों में भी कारोबारियों को माल नहीं मिल पा रहा है, वहीं क्वालिटी हल्की आ रही है। हम मानते हैं कि उत्तर भारत की मंडियों में पूर्वी भारत की अपेक्षा माल कुछ ज्यादा पड़ा हुआ है, लेकिन कोई भी कारोबारी घटाकर बिकवाल नहीं है, क्योंकि जो नया माल निकल रहा है, उसकी क्वालिटी अभी बढिय़ा नहीं है। दूसरी ओर जो मखाना हम लोगों का क्वालिटी से बिकता है, उसके लिए हमें बढिय़ा माल ही खरीदना पड़ता है, हल्के माल हम सप्लाई नहीं कर सकते, चाहे व्यापार कम हो। बाजारों में काफी ब्रांड आ गए हैं, जो एक ही नाम के बिक रहे हैं, लेकिन क्वालिटी में काफी अंतर चल रहा है। हम लोगों को क्वालिटी बढिय़ा सप्लाई करनी है, इसलिए माल खरीदने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। पुराना माल उत्पादक मंडियों में एक दाना नहीं है, नये माल का प्रेशर अगस्त के बाद ही बन पाएगा, इसलिए मंदे का व्यापार अगस्त के बाद ही करना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे भाव है तथा मखाने की डिमांड यूएस, यूएई सहित अन्य अफ्रीकन देशों के लिए स्नैक्स के रूप में चल रही है। अत: अभी बाजार कुछ दिन तेज ही रहने वाला है।


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