वर्तमान में बाजारों में पूरी तरह खामोशी के चपेट में मखाना भी आ गया है इस पर भारत-पाकिस्तान तनातनी का भी प्रभाव पड़ा है, क्योंकि 50 प्रतिशत पंजाब एवं 25 प्रतिशत राजस्थान गुजरात में दहशत का माहौल बन गया है। नई फसल अगस्त में आएगी तथा आगे 3 महीने पूरा खपत का समय है, इसे देखते हुए और मंदे की गुंजाइश नहीं है। अत: घबराकर काटने की जरूरत नहीं है। मखाने में ग्राहकी पिछले 20-22 दिनों से काफी कमजोर चल रही है, जिससे दिल्ली सहित उत्तर भारत की वितरक मंडियों में बाजार दबे हुए हैं। वास्तविकता यह है कि बाजारों में रुपए की भारी तंगी चल रही थी। दूसरी ओर ठीक एक पखवाड़े पहले पहलगाम में आतंकवादियों के हमले से उत्तर भारत की मंडियां कुछ डिस्टर्ब हो गई हैं तथा दो दिनों से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ एयर स्ट्राइक चलने से भारत-पाकिस्तान के अंदर 100 किलोमीटर तक की मंडियों में व्यापार डिस्टर्ब हो गया है। इस वजह से दिल्ली सहित उत्तर भारत की अन्य मंडियों में व्यापार कमजोर हो गया है तथा मखाना 25/30 रुपए घटाकर बिकवाल आने लगे हैं। वास्तविकता यह है कि ग्राहकी की चौतरफा कमी बनी हुई है, उत्पादक मंडियों में ज्यादा माल नहीं है, वहीं खपत के लिए ज्यादा समय बाकी है, इस वजह से कोई भी कारोबारी माल मंदे भाव में बेचना नहीं चाह रहा है, क्योंकि पीछे से कोई माल पड़ता में नहीं मिल पाएगा। यहां ग्राहक की कमी है, जिससे जो माल 1250/1260 रुपए प्रति किलो बिक रहा था, उसके भाव 1225/1230 रुपए तक बोल रहे हैं तथा सबसे बड़ी बात यह है कि बाजारों में ग्राहकी की कमी है। पिछले माह के शुरुआत से ही ग्राहकी का पूरी तरह सन्नाटा बनने से स्टॉकिस्टों में घबराहट का माहौल बन गया था। यही कारण है कि ऊपर के भाव से बाजार में गिरावट आ चुकी है, लेकिन अब एक बार फिर खरीद करने का मौका है। उत्पादक मंडियों में मखाना की आपूर्ति पूरी तरह समाप्त हो गई है, स्टॉक के माल केवल बिक रहे हैं। छोटे स्टॉकिस्टों के माल काफी कट चुके हैं, जिससे 20/25 रुपए प्रति किलो घटाकर पूर्णिया लाइन में 950/980 रुपए तथा डेराबाड़ी दालकोला मालदा लाइन में 100/1020 रुपए एवं हरदा में 1080/1100 रुपए प्रति किलो के बीच क्वालिटी अनुसार थोक में मखाने का व्यापार हो रहा है। वहां अब इन भावों में कोई भी कारोबारी घटाकर बिकवाल नहीं है तथा दिल्ली यूपी एमपी राजस्थान हरियाणा पंजाब एवं हिमाचल में तेजी मंदी के व्यापार करने वाले स्टॉकिस्टों की बिकवाल मीडियम माल के 1100/1300 रुपए प्रति किलो के बीच यहां रह गए हैं। सिलेक्टेड माल 1600/1700 रुपए भी बोल रहे हैं एवं तरह ठुडडी वाला माल 650/900 रुपए बिक रहा है, लेकिन उन मालों का कोई मायने नहीं होता है। हम मानते हैं कि बाजारों में ग्राहकी का सन्नाटा होने से मंदे भाव में छोटे स्टॉकिस्ट माल काटने लगे हैं, लेकिन नई फसल आने में अभी 4 महीने का समय बाकी है तथा मई से 20 जुलाई तक मखाने की जबरदस्त खपत रहने वाली है, इन परिस्थितियों में मखाना 100 रुपए तेज होने की संभावना है। अत: वर्तमान के घटे भाव पर एक बार खरीद करना चाहिए। गुडिय़ा पूरी तरह मंडियों में समाप्त हो गई है, जो भी माल है, वह तैयार माल पूर्णिया दरभंगा गुलाब बाग हरदा हरिशचंद्रपुर मालदा लाइन में बड़े स्टॉकिस्टों के पास है, जो घटाकर बिकवाल नहीं है। अभी उनको दिखाई दे रहा है,कि खपत के लिए लंबा समय बाकी है जिससे आगे चलकर नये माल से पहले एक बार शॉर्टेज में आ जाएगा।