चीन के पूर्वी प्रांत शानडॉन्ग में दुनिया का पहला ऐसा प्लांट लगाया गया है जो समुद्री पानी को एक साथ पीने योग्य पानी और ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूल में बहुत कम लागत में बदल रही है। तटीय शहर रिझाओ में स्थित यह प्लांट पूरी तरह समुद्री जल और पास की स्टील और पेट्रोकेमिकल फैक्ट्रियों से निकलने वाली औद्योगिक अपशिष्ट ऊष्मा पर चलता है। यह परियोजना 3 सप्ताह से अधिक समय से लगातार चल रही है, और यह पहली बार है जब इस तकनीक को वास्तविक दुनिया में बड़े पैमाने पर सफलतापूर्वक आजमाया गया है। यह प्लांट एक-इनपुट, तीन-आउटपुट पर आधारित एक साइकलिक प्रोडक्शन सिस्टम पर चलता है। हर वर्ष 800 टन समुद्री पानी को प्रोसेस करके यह 450 घन मीटर अल्ट्रा-प्योर ताजा पानी का उत्पादन करता है, जो औद्योगिक और घरेलू उपयोग के लिए उपयुक्त है। इसके साथ ही यह सिस्टम 1.92 लाख घन मीटर ग्रीन हाइड्रोजन और लगभग 350 टन खनिज-समृद्ध ब्राइन (खारा पानी) भी बनाता है जिसमें लीथियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, बोरोन आदि कई मीनरल्स होते हैं। इस ब्राइन का इस्तेमाल केमिकल इंडस्ट्री में किया जाता है। इस प्लांट में बनने वाली ग्रीन हाइड्रोजन से 100 हाइड्रोजन बसों को 3,800 किलोमीटर तक चलाया जा सकता है। चीन की इस नई प्रक्रिया में 1 घन मीटर पानी बनाने की लागत केवल 2 युआन यानी लगभग 24 होती है। जबकि सऊदी अरब और यूएई में डीसैलीनेशन (खारे पानी को पीने लायक बनाना) की लागत लगभग 42 प्रति घन मीटर और अमेरिका के कैलिफोर्निया के सबसे बड़े डीसैलीनेशन प्लांट में लगभग 186 रुपये प्रति घन मीटर है। दिलचस्प बात यह है कि बीजिंग में घरेलू नल के पानी की कीमत भी करीब 5 युआन प्रति घन मीटर है। हाइड्रोजन वैसे तो क्लीन एंड ग्रीन एनर्जी है लेकिन इसे बनाने के लिए अत्यधिक शुद्ध पानी और बहुत ज्यादा बिजली की जरूरत होती है। यह प्लांट औद्योगिक अपशिष्ट ऊष्मा का उपयोग करके ताजा पानी बनाता है, जिससे पारंपरिक कूलिंग सिस्टम की जरूरत खत्म हो जाती है और ऊर्जा खपत भी काफी कम हो जाती है।