प्रतिकूल बाजार परिस्थितियों के बीच खुदरा निवेशकों की मजबूत भागीदारी होने से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में म्यूचुअल फंड उद्योग में सिस्टेमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) खातों में तेज उछाल देखा गया। उद्योग निकाय एम्फी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। म्यूचुअल फंड उद्योग के शीर्ष संगठन ‘एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया’ (एम्फी) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-जून तिमाही में कुल 1.67 करोड़ नए एसआईपी खाते खुले, जबकि जनवरी-मार्च तिमाही में 1.41 करोड़ खाते खुले थे। डिजिटल मंच ‘ग्रो’ अकेले 41.9 लाख नए एसआईपी खाते जोडक़र 25 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ सबसे आगे रहा। अकेले जून में ही ‘ग्रो’ पर 15.7 लाख नए खाते खोले गए जो किसी भी वितरक द्वारा एक माह में सर्वाधिक है। इस तिमाही में मूल्य के लिहाज से ‘ग्रो’ पर 1,116 करोड़ रुपये के एसआईपी पंजीकरण हुए जो पिछली तिमाही की तुलना में 32 प्रतिशत अधिक है। एंजल वन 15 लाख नए एसआईपी खातों के साथ दूसरे स्थान पर रहा। पारंपरिक वितरकों में एनजे इंडिया इन्वेस्ट ने 5.9 लाख, एसबीआई ने 4.3 लाख और एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने 3.8 लाख खाते जोड़े। फोनपे ने भी छोटे निवेशकों की अधिकता के साथ 5.9 लाख खाते जोड़े। जून तिमाही में इक्विटी बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद खुदरा निवेशकों का भरोसा मजबूत बना रहा। जून 2025 में कुल एसआईपी निवेश 27,269 करोड़ रुपये तक पहुंच गया जबकि कुल एसआईपी परिसंपत्तियां 15.3 लाख करोड़ रुपये पर रहीं। बाजार के जानकारों का कहना है कि म्यूचुअल फंड में लांगटर्म वैल्थ क्रियेशन को लेकर रिटेल निवेशकों की सोच बदली है। डिजिटल प्लेटफॉमर््स की पहुंच बढऩे और एम्फी की निवेश जागरूकता पहलों ने भी इस बदलाव को गति दी है। वर्ष 2025 में देश में म्यूचुअल फंड निवेशकों की कुल संख्या बढक़र 5.4 करोड़ हो गई है, जो 2024 के मुकाबले 20 प्रतिशत अधिक है। इस दौरान उद्योग की कुल प्रबंधन-अधीन परिसंपत्ति (एयूएम) भी बढक़र 74.4 लाख करोड़ रुपये हो गई, जो मार्च तिमाही की तुलना में 18 प्रतिशत अधिक है।
