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15-07-2025

Convenience Economy से ग्रोथ की होम डिलीवरी

  •  8 नवंबर 2016 को रात आठ बजे जैसे ही प्रधानमंत्री मोदी ने कहा...लीगल टेंडर नहीं रहेंगे, तो देश दो-फाड़ हो गया। लोगों को तकलीफ तो बहुत हुई लेकिन डिजिटल इकोनॉमी की जड़ जम गईं। भारत का डिजिटल पेमेंट सिस्टम ग्लोबल लीडर है और जनधन-आधार-मोबाइल (जैम) वाकई जेम (हीरा) साबित हो रहे हैं। सरकार का दावा है गवर्नेन्स में डिजिटल का दखल बढऩे से 3.50 लाख करोड़ रुपये की छीजत रुकी है। डेटा कहता है कि वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की डिजिटल इकोनॉमी 34 लाख करोड़ की थी और इसका जीडीपी में शेयर 13.4 परसेंट था। डीपीआई यानी डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर में पिछले दशक में आए रेवॉल्यूशन से कन्वीनियंस इकोनॉमी बड़ी ग्रोथ ड्राइवर बनकर उभरी है। भारत के जीडीपी में सर्विस सेक्टर का शेयर 55 परसेंट तक पहुंच गया है। एक्सिस सर्विस सेक्टर रिपोर्ट में कहा गया है कि इसकी सबसे बड़ी वजह कन्वीनियंस इकोनॉमी की तेजी से बढ़ती डिमांड है।  देश की डिजिटल फस्र्ट आबादी ने स्विगी, जेप्टो और ब्लिंकिट जैसे क्विक कॉमर्स और हाइपरलोकल डिलीवरी प्लेटफॉम्र्स को लाइफस्टाइल में शामिल कर लिया है। रिपोर्ट के अनुसार लगभग 40 परसेंट इंडियन कंज्यूमर ऐसे फास्ट एंड कन्वीनियंट प्रॉडक्ट्स और सर्विसेस के लिए सर्विस चार्ज खुशी से दे रहे हैं। भारत का कनवीनियंस फूड मार्केट, जो 2024 में 10.1 बिलियन डॉलर का था, उसके 2033 तक 15.1 परसेंट सीएजीआर से $37.9 बिलियन डॉलर का हो जाने की संभावना है। एक्स्ट्रा सर्विस के लिए खुशी से पेमेंट करने की इस इच्छा से कंज्यूमर बिहेवियर में आ रहे बड़े बदलाव का पता चलता है। जहां किराने का सामान 10 मिनट में आपके दरवाजे तक पहुँच रहा है, वहीं भारत का हेल्थकेयर सेक्टर भी डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के दौर से गुजर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2025 तक इस सैक्टर में 62 परसेंट की साल-दर-साल ग्रोथ हुई।  एआईस डेटा एनालिटिक्स, टेलीमेडिसिन और हल्थ इन्फॉर्मेटिक्स  आदि के दम पर हेल्थकेयर अस्पतालों की दीवारों से बाहर निकालकर मोबाइल फोन तक पहुंच रहा है। हेल्थकेयर सैक्टर जो वर्ष 2000 में केवल 17 बिलियन डॉलर का था 2027 तक $370 बिलियन का हो सकता है। रिपोर्ट के अनुसार 50 परसेंट से ज्यादा ई-कॉमर्स सेल्स प्रीमियम सेगमेंट से हो रही है। ऑनलाइन रिटेल मार्केट, जो 2024 में 103 बिलियन डॉलर का था, उसके 2030 तक $325 बिलियन तक पहुंचने की संभावना है। भारत के सर्विस सैक्टर में वित्त वर्ष 2025 में $9.35 बिलियन डॉलर का एफडीआई आया — जो वित्त वर्ष 24 की तुलना में 40.77 परसेंट अधिक है।

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Convenience Economy से ग्रोथ की होम डिलीवरी

 8 नवंबर 2016 को रात आठ बजे जैसे ही प्रधानमंत्री मोदी ने कहा...लीगल टेंडर नहीं रहेंगे, तो देश दो-फाड़ हो गया। लोगों को तकलीफ तो बहुत हुई लेकिन डिजिटल इकोनॉमी की जड़ जम गईं। भारत का डिजिटल पेमेंट सिस्टम ग्लोबल लीडर है और जनधन-आधार-मोबाइल (जैम) वाकई जेम (हीरा) साबित हो रहे हैं। सरकार का दावा है गवर्नेन्स में डिजिटल का दखल बढऩे से 3.50 लाख करोड़ रुपये की छीजत रुकी है। डेटा कहता है कि वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की डिजिटल इकोनॉमी 34 लाख करोड़ की थी और इसका जीडीपी में शेयर 13.4 परसेंट था। डीपीआई यानी डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर में पिछले दशक में आए रेवॉल्यूशन से कन्वीनियंस इकोनॉमी बड़ी ग्रोथ ड्राइवर बनकर उभरी है। भारत के जीडीपी में सर्विस सेक्टर का शेयर 55 परसेंट तक पहुंच गया है। एक्सिस सर्विस सेक्टर रिपोर्ट में कहा गया है कि इसकी सबसे बड़ी वजह कन्वीनियंस इकोनॉमी की तेजी से बढ़ती डिमांड है।  देश की डिजिटल फस्र्ट आबादी ने स्विगी, जेप्टो और ब्लिंकिट जैसे क्विक कॉमर्स और हाइपरलोकल डिलीवरी प्लेटफॉम्र्स को लाइफस्टाइल में शामिल कर लिया है। रिपोर्ट के अनुसार लगभग 40 परसेंट इंडियन कंज्यूमर ऐसे फास्ट एंड कन्वीनियंट प्रॉडक्ट्स और सर्विसेस के लिए सर्विस चार्ज खुशी से दे रहे हैं। भारत का कनवीनियंस फूड मार्केट, जो 2024 में 10.1 बिलियन डॉलर का था, उसके 2033 तक 15.1 परसेंट सीएजीआर से $37.9 बिलियन डॉलर का हो जाने की संभावना है। एक्स्ट्रा सर्विस के लिए खुशी से पेमेंट करने की इस इच्छा से कंज्यूमर बिहेवियर में आ रहे बड़े बदलाव का पता चलता है। जहां किराने का सामान 10 मिनट में आपके दरवाजे तक पहुँच रहा है, वहीं भारत का हेल्थकेयर सेक्टर भी डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के दौर से गुजर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2025 तक इस सैक्टर में 62 परसेंट की साल-दर-साल ग्रोथ हुई।  एआईस डेटा एनालिटिक्स, टेलीमेडिसिन और हल्थ इन्फॉर्मेटिक्स  आदि के दम पर हेल्थकेयर अस्पतालों की दीवारों से बाहर निकालकर मोबाइल फोन तक पहुंच रहा है। हेल्थकेयर सैक्टर जो वर्ष 2000 में केवल 17 बिलियन डॉलर का था 2027 तक $370 बिलियन का हो सकता है। रिपोर्ट के अनुसार 50 परसेंट से ज्यादा ई-कॉमर्स सेल्स प्रीमियम सेगमेंट से हो रही है। ऑनलाइन रिटेल मार्केट, जो 2024 में 103 बिलियन डॉलर का था, उसके 2030 तक $325 बिलियन तक पहुंचने की संभावना है। भारत के सर्विस सैक्टर में वित्त वर्ष 2025 में $9.35 बिलियन डॉलर का एफडीआई आया — जो वित्त वर्ष 24 की तुलना में 40.77 परसेंट अधिक है।


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