भारत के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। रोशनी के त्योहार दीपावली को लेकर एक ऐसी जानकारी सामने आई है, जो पूरे भारत के लिए गर्व की बात है। दरअसल, यूनेस्को ने दीपावली को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर में शामिल किया है। भारत ने कहा कि दीपावली को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल करके यूनेस्को ने नवीकरण, शांति और अच्छाई की जीत के लिए शाश्वत मानवीय अभिलाषा का सम्मान किया है। दिल्ली के लाल किले में यूनेस्को की एक महत्वपूर्ण बैठक के दौरान दीपावली को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किए जाने की घोषणा के तुरंत बाद केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने देश की ओर से यह बयान दिया। यह निर्णय अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (आईसीएच) के संरक्षण के लिए अंतरसरकारी समिति के 20वें सत्र के दौरान लिया गया। प्रकाश का उत्सव दीपावली भारत के उन चिरस्थायी त्योहारों में से एक है जो अब दुनिया के कई अन्य हिस्सों में भी मनाया जाता है। इस अवसर पर लोग अपने घरों को पारंपरिक दीयों से सजाते हैं और इमारतों को रोशन किया जाता है, जिससे रात में एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत होता है। हर भारतीय के लिए दीपावली बेहद भावनात्मक त्योहार है। इसे पीढिय़ों से मनाया जा रहा है, इसे महसूस किया जाता है और आत्मसात किया जाता है। यूनेस्को का यह ‘टैग’ भी एक जिम्मेदारी है, हमें सुनिश्चित करना होगा कि दीपावली हमेशा एक विरासत बनी रहे। उन्होंने कहा कि हमारे बच्चों को पता होना चाहिए कि दीपावली राम राज्य यानी सुशासन का त्योहार है। भारत की 15 चीजें वर्तमान में यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल हैं, जिनमें कुंभ मेला, कोलकाता की दुर्गा पूजा, गुजरात का गरबा नृत्य, योग, वैदिक मंत्रोच्चार की परंपरा और रामलीला - महाकाव्य ‘रामायण’ का पारंपरिक प्रदर्शन शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत और दुनिया भर के लोग बहुत खुश हैं। हमारे लिए, दीपावली हमारी संस्कृति और रीति-रिवाजों से बहुत करीब से जुड़ी हुई है। यह हमारी सभ्यता की आत्मा है। यह रोशनी और नेकी का प्रतीक है। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में ‘दीपावली’ का नाम शामिल होने के बारे में जानकर खुशी हुई।