‘रामायण’ के पात्रों में एक पात्र जटायु भी है, जो पक्षी होते हुए भी, वीरता, धर्मनिष्ठा और त्याग का अद्भुत उदाहरण है। जटायु अरुण और श्येनी के पुत्र थे। अरुण सूर्यदेव के सारथी थे। इस प्रकार जटायु का सूर्यवंश से घनिष्ठ सम्बंध था। जटायु का एक भाई था, जिसका नाम सम्पाती था, जो अपनी विशालता और उड़ान शक्ति के लिये विख्यात था। जटायु के हृदय में, मानव से भी बढक़र, साहस, पे्रम और करुणा भरी हुई थी। वह सत्य और धर्म का समर्थक तथा रक्षसों, अधर्मियों का शत्रु था। जटायु का अयोध्या के राजा दशरथ के साथ गहरा एवं अटूट रिश्ता, स्नेह और अपनत्व था। राजा दशरथ भी जटायु को अपना आत्मीय मित्र एवं हितैषी मानते थे। उल्लेखनीय है कि इसी आत्मीयता के कारण जटायु राम, लक्ष्मण और सीता को वनवास में देखकर बड़ी ही आत्मीयता व प्रसन्नता से मिले थे और उन्होंने इन लोगों की सुरक्षा का भार लेने का वचन भी दिया था।