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01-08-2025

फैटी लिवर से बढ़ सकता है कैंसर का खतरा

  •  दिल्ली एम्स के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और एंटरोलॉजी के एचओडी डॉ. प्रमोद गर्ग ने कहा है कि हेपेटाइटिस का मतलब है कि लिवर में सूजन आना, जिसके कई कारण होते हैं। ये समस्या लगातार लोगों में बढ़ रही है और डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इस समस्या को वर्ष 2030 तक खत्म किया जाना चाहिए, जिसको लेकर हम लगातार लोगों को जागरूक कर रहे हैं। हेपेटाइटिस यानी फैटी लिवर के तीन मुख्य कारण हो सकते हैं। पहला कारण है वायरस का इंफेक्शन, जिससे लिवर में सूजन आती है। दूसरा कारण है, एल्कोहल का अति सेवन, जो लिवर में फैट बढ़ाता है, जिससे मेटाबॉलिज्म ठीक से काम नहीं करता। तीसरा कारण है लिवर में मोटापा बढऩा यानी अधिक वसा और चर्बी आना। जिसका कारण है मोटापा, ओबेसिटी। जैसे-जैसे हमारे खाने की मात्रा अधिक होती है, खाने में फैट और शुगर बढ़ता है तो उससे चर्बी बढ़ती है। अधिक भोजन के बाद मोटापा बढऩे का कारण होता है कि फिजिकल एक्टिविटी कम हो जाती है। आज के समय में कई लोग अपना काम खुद नहीं करते हैं। खाने के बाद बैठे रहना, जिससे अधिक भोजन के बाद मोटापा बढ़ता है और वो मोटापा लिवर में चला जाता है आज के समय में एल्कोहल के अधिक सेवन से लिवर कैंसर होने का भी खतरा है और ये उन लोगों में ज्यादा है, जिनके लिवर में सिरोसिस हो जाता है। करीब 10 से 20 वर्षों से लिवर डैमेज है तो उसमें लिवर कैंसर का खतरा ज्यादा है। इसका कारण तब रहता है जब आपका लिवर बहुत ज्यादा खराब हो जाता है। एल्कोहल के अधिक सेवन से लिवर में फैट बढ़ सकता है, सूजन आ जाती है, जिससे सिरोसिस भी हो सकता है। मौजूदा समय में भारत में एल्कोहल के अधिक सेवन से लिवर में समस्या के ज्यादा मामले देखने को मिल रहे हैं, पहले इतने मामले नहीं आते थे आज के समय में फैटी लिवर का मुख्य कारण अनहेल्दी डाइट भी है, क्योंकि हम जब अपनी डाइट में ज्यादा शुगर, ऑयल का सेवन कर लेते हैं और खाने के बाद कोई एक्टिविटी नहीं करते हैं, दिनभर बैठे रहते हैं तो भोजन पच नहीं पाता, जो बाद में लिवर में जाकर फैटी लिवर की समस्या शुरू कर देता है। इसके लिए आवश्यक है कि लोगों को ये पता हो कि वो जो चीजें खा रहे हैं, उसमें कितना शुगर और कितना फैट है। बैलेंस डाइट बेहद आवश्यक है, जिसमें कि 40-50 ग्राम प्रोटीन हो, 20-30 ग्राम फैट होना चाहिए। इसके साथ ही रोजाना फल और सब्जियों का भी सेवन किया जाना चाहिए। किसी तरह की दिक्कत होने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

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फैटी लिवर से बढ़ सकता है कैंसर का खतरा

 दिल्ली एम्स के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और एंटरोलॉजी के एचओडी डॉ. प्रमोद गर्ग ने कहा है कि हेपेटाइटिस का मतलब है कि लिवर में सूजन आना, जिसके कई कारण होते हैं। ये समस्या लगातार लोगों में बढ़ रही है और डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इस समस्या को वर्ष 2030 तक खत्म किया जाना चाहिए, जिसको लेकर हम लगातार लोगों को जागरूक कर रहे हैं। हेपेटाइटिस यानी फैटी लिवर के तीन मुख्य कारण हो सकते हैं। पहला कारण है वायरस का इंफेक्शन, जिससे लिवर में सूजन आती है। दूसरा कारण है, एल्कोहल का अति सेवन, जो लिवर में फैट बढ़ाता है, जिससे मेटाबॉलिज्म ठीक से काम नहीं करता। तीसरा कारण है लिवर में मोटापा बढऩा यानी अधिक वसा और चर्बी आना। जिसका कारण है मोटापा, ओबेसिटी। जैसे-जैसे हमारे खाने की मात्रा अधिक होती है, खाने में फैट और शुगर बढ़ता है तो उससे चर्बी बढ़ती है। अधिक भोजन के बाद मोटापा बढऩे का कारण होता है कि फिजिकल एक्टिविटी कम हो जाती है। आज के समय में कई लोग अपना काम खुद नहीं करते हैं। खाने के बाद बैठे रहना, जिससे अधिक भोजन के बाद मोटापा बढ़ता है और वो मोटापा लिवर में चला जाता है आज के समय में एल्कोहल के अधिक सेवन से लिवर कैंसर होने का भी खतरा है और ये उन लोगों में ज्यादा है, जिनके लिवर में सिरोसिस हो जाता है। करीब 10 से 20 वर्षों से लिवर डैमेज है तो उसमें लिवर कैंसर का खतरा ज्यादा है। इसका कारण तब रहता है जब आपका लिवर बहुत ज्यादा खराब हो जाता है। एल्कोहल के अधिक सेवन से लिवर में फैट बढ़ सकता है, सूजन आ जाती है, जिससे सिरोसिस भी हो सकता है। मौजूदा समय में भारत में एल्कोहल के अधिक सेवन से लिवर में समस्या के ज्यादा मामले देखने को मिल रहे हैं, पहले इतने मामले नहीं आते थे आज के समय में फैटी लिवर का मुख्य कारण अनहेल्दी डाइट भी है, क्योंकि हम जब अपनी डाइट में ज्यादा शुगर, ऑयल का सेवन कर लेते हैं और खाने के बाद कोई एक्टिविटी नहीं करते हैं, दिनभर बैठे रहते हैं तो भोजन पच नहीं पाता, जो बाद में लिवर में जाकर फैटी लिवर की समस्या शुरू कर देता है। इसके लिए आवश्यक है कि लोगों को ये पता हो कि वो जो चीजें खा रहे हैं, उसमें कितना शुगर और कितना फैट है। बैलेंस डाइट बेहद आवश्यक है, जिसमें कि 40-50 ग्राम प्रोटीन हो, 20-30 ग्राम फैट होना चाहिए। इसके साथ ही रोजाना फल और सब्जियों का भी सेवन किया जाना चाहिए। किसी तरह की दिक्कत होने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।


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