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18-06-2025

औषधि के गुणों से भरपूर है लसोड़ा

  •   क्या आपने कभी लभेर के बारे में पहले सुना है? इसे कई लोग लसोड़ा भी कहते हैं, यह स्वाद में काफी मीठा होता है और काफी चिपचिपा होता है। छोटी फलियों वाले लभेर के गुण बड़े-बड़े हैं। जुलाई 2020 में रिसर्च गेट ने इस पर एक लंबा चौड़ा अध्ययन प्रकाशित किया। बताया कि आयुर्वेद में लभेर को एक महत्वपूर्ण औषधि माना जाता है, ये सूजन कम करता है, लिवर का ख्याल रखता है और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है। यह फल कफ और पित्त को संतुलित करने में भी मदद करता है। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के मुताबिक लभेर की तीन से चार जातियां होती हैं, पर मुख्य दो हैं जिन्हें लमेड़ा और लसोड़ा कहते हैं। छोटे और बड़े लसोड़े के नाम से भी यह काफी प्रसिद्ध है। लसोड़ा की लकड़ी बड़ी चिकनी और मजबूत होती है। इमारती काम के लिए इसके तख्ते बनाए जाते हैं और बंदूक के कुंदे में भी इसका प्रयोग होता है। इसके साथ ही अन्य कई उपयोगी वस्तुएं बनाई जाती हैं। लसोढ़े के पेड़ बहुत बड़े होते हैं और इसके पत्ते चिकने होते हैं। दक्षिण, गुजरात और राजस्थान में लोग पान की जगह लसोड़े का उपयोग कर लेते हैं। लसोड़े का स्वाद पान जैसा होता है। यह एक पौष्टिक फल है जो अपनी ताकतवर और स्वास्थ्यवर्धक गुणों के लिए जाना जाता है। इसे इंडियन चेरी नाम से भी जाना जाता है। लभेर का सेवन करने से शरीर में ताकत और ऊर्जा बढ़ती है। इस फल में भरपूर मात्रा में कैल्शियम और फास्फोरस होते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाते हैं और शरीर को ताकत प्रदान करते हैं। फल को खाने से शरीर में ताकत आती है और शरीर को कई अन्य बीमारियों से राहत मिलती है। इस फल को खाने से आपके शरीर में नई ऊर्जा पैदा होती है, जो आपके मस्तिष्क को भी तेज करती है। लसोड़ा का सेवन करने से शरीर में रक्त की कमी दूर होती है। यह शरीर को ठंडक देने वाला फल भी है।

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औषधि के गुणों से भरपूर है लसोड़ा

  क्या आपने कभी लभेर के बारे में पहले सुना है? इसे कई लोग लसोड़ा भी कहते हैं, यह स्वाद में काफी मीठा होता है और काफी चिपचिपा होता है। छोटी फलियों वाले लभेर के गुण बड़े-बड़े हैं। जुलाई 2020 में रिसर्च गेट ने इस पर एक लंबा चौड़ा अध्ययन प्रकाशित किया। बताया कि आयुर्वेद में लभेर को एक महत्वपूर्ण औषधि माना जाता है, ये सूजन कम करता है, लिवर का ख्याल रखता है और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है। यह फल कफ और पित्त को संतुलित करने में भी मदद करता है। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के मुताबिक लभेर की तीन से चार जातियां होती हैं, पर मुख्य दो हैं जिन्हें लमेड़ा और लसोड़ा कहते हैं। छोटे और बड़े लसोड़े के नाम से भी यह काफी प्रसिद्ध है। लसोड़ा की लकड़ी बड़ी चिकनी और मजबूत होती है। इमारती काम के लिए इसके तख्ते बनाए जाते हैं और बंदूक के कुंदे में भी इसका प्रयोग होता है। इसके साथ ही अन्य कई उपयोगी वस्तुएं बनाई जाती हैं। लसोढ़े के पेड़ बहुत बड़े होते हैं और इसके पत्ते चिकने होते हैं। दक्षिण, गुजरात और राजस्थान में लोग पान की जगह लसोड़े का उपयोग कर लेते हैं। लसोड़े का स्वाद पान जैसा होता है। यह एक पौष्टिक फल है जो अपनी ताकतवर और स्वास्थ्यवर्धक गुणों के लिए जाना जाता है। इसे इंडियन चेरी नाम से भी जाना जाता है। लभेर का सेवन करने से शरीर में ताकत और ऊर्जा बढ़ती है। इस फल में भरपूर मात्रा में कैल्शियम और फास्फोरस होते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाते हैं और शरीर को ताकत प्रदान करते हैं। फल को खाने से शरीर में ताकत आती है और शरीर को कई अन्य बीमारियों से राहत मिलती है। इस फल को खाने से आपके शरीर में नई ऊर्जा पैदा होती है, जो आपके मस्तिष्क को भी तेज करती है। लसोड़ा का सेवन करने से शरीर में रक्त की कमी दूर होती है। यह शरीर को ठंडक देने वाला फल भी है।


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