विशेषज्ञों ने कहा है कि मेक्सिको में इंपोर्ट टैरिफ बढ़ाए जाने से भारत के व्हीकल्स, व्हीकल कलपुर्जों, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, धातु एवं रसायन जैसे प्रमुख क्षेत्रों के एक्सपोर्ट पर गंभीर असर पडऩे की आशंका है। उनका कहना है इंपोर्ट टैरिफ बढ़ाने का कदम मेक्सिको को होने वाले 5.75 बिलियन डॉलर के भारतीय एक्सपोर्ट के लगभग तीन-चौथाई हिस्से को सीधे प्रभावित करेगा। इस वजह से मेक्सिको में कारोबार करने के वाणिज्यिक तर्क पर बुनियादी असर पड़ेगा। मेक्सिको की संसद के दोनों सदनों से पारित यह निर्णय एक जनवरी, 2026 से लागू होगा। इसके तहत उन देशों से आने वाले सामान पर पांच से 50 प्रतिशत तक का बढ़ा हुआ टैरिफ लगाया जाएगा, जिनके साथ मेक्सिको का कोई मुक्त व्यापार समझौता नहीं है। इस फैसले की जद में आने वाले देशों में भारत, चीन, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और इंडोनेशिया सहित कई देश शामिल हैं। आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) का कहना है कि मेक्सिको में इंपोर्ट टैरिफ बढऩे से व्हीकल और व्हीकल कलपुर्जों के एक्सपोर्ट पर सबसे अधिक असर पड़ेगा क्योंकि भारतीय एक्सपोर्ट में इनकी सबसे अधिक हिस्सेदारी है। यात्री व्हीकल्स के लिए टैरिफ 20 प्रतिशत से बढक़र 35 प्रतिशत होने जा रहा है। वर्ष 2024-25 में भारत ने मेक्सिको को लगभग 93.8 करोड़ डॉलर मूल्य के यात्री व्हीकल एक्सपोर्ट किए थे। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, व्हीकल कलपुर्जों पर टैरिफ 10-15 प्रतिशत से बढक़र 35 प्रतिशत होने से आपूर्ति शृंखला बुरी तरह प्रभावित होगी। इसी तरह मोटरसाइकिलों पर अब 35 प्रतिशत टैरिफ लगेगा। इससे भारतीय कंपनियों के लिए बिक्री, लाभ और ब्रांड उपस्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इसी तरह, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद में भी बड़ा झटका लगता दिख रहा है। भारत से मेक्सिको को भेजे जाने वाले स्मार्टफोन पर अब तक कोई टैरिफ नहीं था, लेकिन अगले साल से उन पर भी 35 प्रतिशत टैरिफ लगेगा। यह बदलाव भारतीय मोबाइल एक्सपोर्टर्स के लिए मेक्सिको का बाजार बंद होने की तरह है। एक्सपोर्टर्स के संगठन फियो के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि इतने अधिक टैरिफ से भारत की प्रतिस्पर्धा कमजोर होगी और आपूर्ति श्रृंखलाएं बाधित होंगी। यह घटना भारत और मेक्सिको के बीच एक व्यापक व्यापार समझौते को तेज़ी से आगे बढ़ाने की जरूरत को भी रेखांकित करती है। भारत का मेक्सिको को दूसरा सबसे बड़ा एक्सपोर्ट मशीनरी का है लेकिन अब इस पर टैरिफ पांच-10 प्रतिशत से बढक़र 25-35 प्रतिशत तक हो जाएगा। इससे पूंजीगत सामान की लागत बढ़ेगी और मांग घटेगी। धातु क्षेत्र में टैरिफ वृद्धि और भी कठोर है। एल्युमिनियम पर टैरिफ को बढ़ाकर 25-35 प्रतिशत कर दिया गया है जबकि लौह-इस्पात और उनसे बने उत्पादों पर टैरिफ 15 प्रतिशत से बढक़र 35 प्रतिशत कर दिया गया है। श्रम-प्रधान क्षेत्रों पर भी असर पड़ेगा। परिधान और घरेलू वस्त्रों पर 20-25 प्रतिशत से बढक़र 35 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा।