भारतीय मेन्यूफेक्चरिंग क्षेत्र में वृद्धि की गति में अप्रैल में सुधार हुआ और उत्पादन जून 2024 के बाद सबसे तेज गति से बढ़ा है। जारी एक मासिक सर्वेक्षण में यह जानकारी दी गई। मौसमी रूप से समायोजित एचएसबीसी इंडिया मेन्यूफेक्चरिंग क्रय प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) अप्रैल में बढक़र 58.2 हो गया जो मार्च में 58.1 था। यह 10 महीने में इस क्षेत्र में सबसे मजबूत सुधार का संकेत है। पीएमआई के तहत 50 से ऊपर सूचकांक होने का मतलब उत्पादन गतिविधियों में विस्तार है जबकि 50 से नीचे का आंकड़ा संकुचन को दर्शाता है। उत्पादन वृद्धि में नवीनतम सुधार में योगदान देने वाला एक प्रमुख कारक नए व्यवसाय में तेज वृद्धि थी। मेन्यूफेक्चरिंग क्षेत्र की विस्तार दर को बेहतर घरेलू व अंतरराष्ट्रीय मांग से समर्थन मिला। सर्वेक्षण के अनुसार, कुल बिक्री को अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर में तेज वृद्धि से समर्थन मिला। सर्वेक्षण में शामिल प्रतिभागियों ने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 की शुरुआत में विदेश से नया कारोबार 14 वर्ष में सबसे अधिक स्तर पर बढ़ा। इस मांग का अफ्रीका, एशिया, यूरोप, पश्चिम एशिया और अमेरिका ने नेतृत्व किया। एचएसबीसी के मुख्य भारतीय अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा, ‘‘ अप्रैल में नए एक्सपोर्ट ऑर्डर में उल्लेखनीय वृद्धि भारत में उत्पादन में संभावित बदलाव का संकेत दे सकती है, क्योंकि व्यवसाय उभरते व्यापार परिदृश्य व अमेरिकी टैरिफ घोषणाओं के अनुकूल हो रहे हैं।’’ इस सकारात्मक प्रवृत्ति के साथ रोजगार और क्रय गतिविधि में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। कीमतों के मोर्चे पर, भारतीय वस्तुओं की मजबूत मांग ने कंपनियों की मूल्य निर्धारण शक्ति को बढ़ावा दिया जिससे बिक्री टैरिफ अक्टूबर 2013 के बाद सबसे अधिक बढ़ गया। यह कच्चे माल की लागत में मामूली वृद्धि के बावजूद था। अप्रैल के आंकड़ों में आने वाले वर्ष में उत्पादन की संभावनाओं के बारे में मजबूत आशावाद स्पष्ट था, जो मांग की मजबूती की उम्मीदों से प्रेरित था। विपणन प्रयासों, दक्षता में वृद्धि और नए ग्राहक पूछताछ ने भी सकारात्मक पूर्वानुमानों को बल दिया। एचएसबीसी इंडिया मेन्यूफेक्चरिंग पीएमआई को एसएंडपी ग्लोबल ने करीब 400 विनिर्माताओं के एक समूह में क्रय प्रबंधकों को भेजे गए सवालों के जवाबों के आधार पर तैयार किया है।