अधिकांश कोयला आधारित बिजली संयंत्रों के लिए सल्फर उत्सर्जन नियमों में ढील देने का सरकार का फैसला लागत, जलवायु और अनुपालन के बीच एक नाज़ुक संतुलन बनाता है। अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि इससे बिजली की लागत में 25-30 पैसे प्रति यूनिट की कमी आने की उम्मीद है। एक सरकारी अधिसूचना के अनुसार सरकार ने बिजली संयंत्रों से निकलने वाली गैसों से सल्फर हटाने वाली फ्लू-गैस डिसल्फराइजेशन (एफजीडी) प्रणालियां स्थापित करने के नियमों में राहत दी है। वर्ष 2015 के इस आदेश को अब केवल दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के 10 किलोमीटर के दायरे में स्थित संयंत्रों तक सीमित कर दिया गया है। गंभीर रूप से प्रदूषित क्षेत्रों में स्थित संयंत्रों का मूल्यांकन हर मामले के आधार अलग-अलग किया जाएगा। अधिसूचना में कहा गया कि यह निर्णय केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा विस्तृत विश्लेषण के बाद लिया गया है।