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15-07-2025

चीन, अन्य देशों पर टैरिफ में बढ़ोतरी से इंडिया को अमेरिकी एक्सपोर्ट में मिलेगा बेनेफिट

  •  डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के चीन, कनाडा और मेक्सिको सहित अन्य देशों पर उच्च शुल्क लगाए जाने के बाद, अमेरिका को इंडियन एक्सपोर्ट और अधिक प्रतिस्पर्धी हो जाएगा। नीति आयोग ने एक रिपोर्ट में यह कहा है। आयोग ने व्यापार पर अपनी तिमाही रिपोर्ट के तीसरे संस्करण में कहा कि उत्पादों की संख्या और अमेरिकी बाजार के आकार, दोनों के संदर्भ में, अमेरिकी बाजारों में इंडिया के लिए महत्वपूर्ण अवसर होंगे। आयोग ने कहा, ‘‘इंडिया को शीर्ष 30 श्रेणियों (एचएस यानी हार्मोनाइज्ड प्रणाली दो स्तर) में से 22 में प्रतिस्पर्धी लाभ मिलने की उम्मीद है। इन वस्तुओं का बाजार 2,285.2 अरब डॉलर का है। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन, कनाडा और मेक्सिको इन श्रेणियों में अमेरिका के प्रमुख एक्सपोर्टर्स हैं, इसलिए इन देशों पर क्रमश: 30 प्रतिशत, 35 प्रतिशत और 25 प्रतिशत का उच्च शुल्क इंडिया की प्रतिस्पर्धी क्षमता को बढ़ाएगा। आयोग ने कहा कि इंडिया की प्रतिस्पर्धी क्षमता 30 में से छह श्रेणियों में अपरिवर्तित रहेगी। यह अमेरिका को किए जाने वाले एक्सपोर्ट का 32.8 प्रतिशत और अमेरिका के कुल आयात का 26 प्रतिशत है। मूल्य के हिसाब से यह 26.5 अरब डॉलर है। आयोग ने कहा कि एचएस-दो स्तर पर छह उत्पाद श्रेणियों के लिए, इंडिया को उच्च औसत शुल्क (एक से तीन प्रतिशत के बीच) का सामना करना पड़ रहा है, जिसपर अमेरिका के साथ बातचीत की जा सकती है। रिपोर्ट कहती है, ‘‘78 उत्पादों में इंडिया को प्रतिस्पर्धी लाभ मिलने की उम्मीद है। ये इंडिया के एक्सपोर्ट में 52 प्रतिशत और कुल अमेरिकी आयात में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं।’’ एचएस-4 स्तर पर शीर्ष 100 उत्पादों में से 17 उत्पादों (जो अमेरिका को इंडिया के एक्सपोर्ट का 28 प्रतिशत हिस्सा हैं) के लिए, आयोग ने कहा कि शुल्क अंतर में कोई बदलाव नहीं होने के कारण इंडिया का प्रतिस्पर्धी लाभ अपरिवर्तित बना हुआ है। आयोग ने यह भी कहा कि इंडिया को 1,265 अरब अमेरिकी डॉलर के बाजार में चीन, कनाडा और मेक्सिको की तुलना में उच्च शुल्क अंतर वाले क्षेत्रों... खनिज और ईंधन, परिधान, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक, फर्नीचर और समुद्री खाद्य पदार्थों... में लाभ होगा।’’ इस बीच, प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर एक और दौर की वार्ता के लिए इंडियन वाणिज्य मंत्रालय का एक दल अमेरिका पहुंच गया है। यह बातचीत सोमवार से शुरू हो रही है। इंडिया के मुख्य वार्ताकार और वाणिज्य विभाग में विशेष सचिव राजेश अग्रवाल बुधवार को दल में शामिल होंगे। चार दिवसीय वार्ता बृहस्पतिवार को संपन्न होगी। यह यात्रा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि दोनों पक्षों को कृषि और वाहन जैसे क्षेत्रों में मुद्दों का समाधान करना है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका ने इंडिया सहित कई देशों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की समयसीमा एक अगस्त तक के लिए बढ़ा दी है। इस महीने की शुरुआत में, इंडियन दल वार्ता के लिए वाशिंगटन में था। दोनों पक्षों के बीच 26 जून से दो जुलाई तक वार्ता हुई थी। दल एक बार फिर वार्ता के लिए अमेरिका पहुंच गया है। इंडिया ने कृषि और डेयरी उत्पादों पर शुल्क में रियायत की अमेरिकी मांग को लेकर अपना रुख कड़ा कर लिया है। इंडिया ने अबतक डेयरी क्षेत्र में मुक्त व्यापार समझौते में अपने किसी भी व्यापारिक साझेदार को कोई शुल्क रियायत नहीं दी है। इंडिया इस अतिरिक्त शुल्क (26 प्रतिशत) को हटाने की मांग कर रहा है। वह इस्पात और एल्युमीनियम (50 प्रतिशत) और वाहन (25 प्रतिशत) क्षेत्रों पर शुल्क में ढील की भी मांग कर रहा है।

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चीन, अन्य देशों पर टैरिफ में बढ़ोतरी से इंडिया को अमेरिकी एक्सपोर्ट में मिलेगा बेनेफिट

 डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के चीन, कनाडा और मेक्सिको सहित अन्य देशों पर उच्च शुल्क लगाए जाने के बाद, अमेरिका को इंडियन एक्सपोर्ट और अधिक प्रतिस्पर्धी हो जाएगा। नीति आयोग ने एक रिपोर्ट में यह कहा है। आयोग ने व्यापार पर अपनी तिमाही रिपोर्ट के तीसरे संस्करण में कहा कि उत्पादों की संख्या और अमेरिकी बाजार के आकार, दोनों के संदर्भ में, अमेरिकी बाजारों में इंडिया के लिए महत्वपूर्ण अवसर होंगे। आयोग ने कहा, ‘‘इंडिया को शीर्ष 30 श्रेणियों (एचएस यानी हार्मोनाइज्ड प्रणाली दो स्तर) में से 22 में प्रतिस्पर्धी लाभ मिलने की उम्मीद है। इन वस्तुओं का बाजार 2,285.2 अरब डॉलर का है। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन, कनाडा और मेक्सिको इन श्रेणियों में अमेरिका के प्रमुख एक्सपोर्टर्स हैं, इसलिए इन देशों पर क्रमश: 30 प्रतिशत, 35 प्रतिशत और 25 प्रतिशत का उच्च शुल्क इंडिया की प्रतिस्पर्धी क्षमता को बढ़ाएगा। आयोग ने कहा कि इंडिया की प्रतिस्पर्धी क्षमता 30 में से छह श्रेणियों में अपरिवर्तित रहेगी। यह अमेरिका को किए जाने वाले एक्सपोर्ट का 32.8 प्रतिशत और अमेरिका के कुल आयात का 26 प्रतिशत है। मूल्य के हिसाब से यह 26.5 अरब डॉलर है। आयोग ने कहा कि एचएस-दो स्तर पर छह उत्पाद श्रेणियों के लिए, इंडिया को उच्च औसत शुल्क (एक से तीन प्रतिशत के बीच) का सामना करना पड़ रहा है, जिसपर अमेरिका के साथ बातचीत की जा सकती है। रिपोर्ट कहती है, ‘‘78 उत्पादों में इंडिया को प्रतिस्पर्धी लाभ मिलने की उम्मीद है। ये इंडिया के एक्सपोर्ट में 52 प्रतिशत और कुल अमेरिकी आयात में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं।’’ एचएस-4 स्तर पर शीर्ष 100 उत्पादों में से 17 उत्पादों (जो अमेरिका को इंडिया के एक्सपोर्ट का 28 प्रतिशत हिस्सा हैं) के लिए, आयोग ने कहा कि शुल्क अंतर में कोई बदलाव नहीं होने के कारण इंडिया का प्रतिस्पर्धी लाभ अपरिवर्तित बना हुआ है। आयोग ने यह भी कहा कि इंडिया को 1,265 अरब अमेरिकी डॉलर के बाजार में चीन, कनाडा और मेक्सिको की तुलना में उच्च शुल्क अंतर वाले क्षेत्रों... खनिज और ईंधन, परिधान, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक, फर्नीचर और समुद्री खाद्य पदार्थों... में लाभ होगा।’’ इस बीच, प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर एक और दौर की वार्ता के लिए इंडियन वाणिज्य मंत्रालय का एक दल अमेरिका पहुंच गया है। यह बातचीत सोमवार से शुरू हो रही है। इंडिया के मुख्य वार्ताकार और वाणिज्य विभाग में विशेष सचिव राजेश अग्रवाल बुधवार को दल में शामिल होंगे। चार दिवसीय वार्ता बृहस्पतिवार को संपन्न होगी। यह यात्रा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि दोनों पक्षों को कृषि और वाहन जैसे क्षेत्रों में मुद्दों का समाधान करना है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका ने इंडिया सहित कई देशों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की समयसीमा एक अगस्त तक के लिए बढ़ा दी है। इस महीने की शुरुआत में, इंडियन दल वार्ता के लिए वाशिंगटन में था। दोनों पक्षों के बीच 26 जून से दो जुलाई तक वार्ता हुई थी। दल एक बार फिर वार्ता के लिए अमेरिका पहुंच गया है। इंडिया ने कृषि और डेयरी उत्पादों पर शुल्क में रियायत की अमेरिकी मांग को लेकर अपना रुख कड़ा कर लिया है। इंडिया ने अबतक डेयरी क्षेत्र में मुक्त व्यापार समझौते में अपने किसी भी व्यापारिक साझेदार को कोई शुल्क रियायत नहीं दी है। इंडिया इस अतिरिक्त शुल्क (26 प्रतिशत) को हटाने की मांग कर रहा है। वह इस्पात और एल्युमीनियम (50 प्रतिशत) और वाहन (25 प्रतिशत) क्षेत्रों पर शुल्क में ढील की भी मांग कर रहा है।


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