TOP

ई - पेपर Subscribe Now!

ePaper
Subscribe Now!

Download
Android Mobile App

Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

05-12-2025

कंज्यूमर डिमांड ले रही कंपनियों की रिमांड!

  •  कहते हैं...इंडिया इज थर्ड लार्जेस्ट कंज्यूमर मार्केट...अमेरिका और चीन के बाद। भारत के कंज्यूमर मार्केट का कुल साइज करीब 17 लाख करोड़ डॉलर यानी करीब 142 लाख करोड़ रुपये का है और इसमें 8-10 परसेंट सीएजीआर से ग्रोथ हो रही है। यानी 145 करोड़ की आबादी वाला लो इनकम देश भारत कंज्यूमर इकोनॉमी का ग्लोबल पावरहाउस है। लेकिन एफएमसीजी में कुछ अलग ही ट्रेंड नजर आ रहा है। एफएमसीजी कंपनियों की वेल्यू तो बढ़ रही है लेकिन वॉल्यूम नहीं। इसका सीधा अर्थ हुआ कि एफएमसीजी सैक्टर वॉल्यूम ग्रोथ नहीं बल्कि कंपनियों द्वारा प्राइस बढ़ाने के कारण चल रहा है। यानी डिमांड स्लोडाउन से होने वाले घाटे को न्यूट्रलाइज करने के लिए कंपनियां प्राइस बढ़ा रही हैं। एनेलिस्ट कहते हैं कि एफएमसीजी सैक्टर में वॉल्यूम ग्रोथ केवल 2 परसेंट वहीं कंपनियों के रेवेन्यू 6 परसेंट बढ़े हैं। तो सवाल है डिमांड में ग्रोथ हो क्यों नहीं रही है जबकि इकोनॉमी ग्रोथ 6-7 परसेंट बनी हुई है। साथ में लगी टेबल के अनुसार भारत का एफएमसीजी मार्केट वर्ष 2024 में 245.40 बिलियन डॉलर यानी करीब 20 लाख करोड़ रुपये का था। 2032 तक यह बढक़र 665.63 बिलियन डॉलर यानी आज के मुकाबले करीब ढाई गुना हो जाएगा। भारत में 30.02 करोड़ परिवार हैं जिनमें से 85-90 परसेंट को एफएमसीजी कंज्यूमर माना जाता है। भारत के एक परिवार में औसत 4.44 सदस्य हैं। यानी भारत में एफएमसीजी का कंज्यूमर बेस 115-120 करोड़ लोगों का है। एनेलिस्ट कहते हैं कि मारिको (पैराशूट नारियल तेल वाली कंपनी) ने हेयर ऑइल की प्राइस  59 परसेंट बढ़ाई है जबकि इसका सेल्स वॉल्यूम घटा है। इसी तरह पतंजलि के एडिबल ऑइल बिजनस का रेवेन्यू 17 परसेंट बढ़ा है जबकि सेल्स वॉल्यूम 7 परसेंट घटा है। एनेलिस्ट्स के अनुसार कह सकते हैं कि प्राइस बढऩे के कारण कंज्यूमर जरूरत के हिसाब से ही खरीदारी कर रहा है...यानी कॉशस (सतर्क) है। एक ओर तो मास मार्केट प्रोडक्ट्स का सेल्स वॉल्यूम फ्लेट या घट रहा है वहीं उसी प्रोडक्ट के प्रीमियम वेरिएंट की परफॉर्मेन्स बेहतर रही है। लेकिन कोलगेट इस ट्रेंड में भी फिट नहीं होती क्योंकि उसका रेवेन्यू और वॉल्यूम दोनों 5-6' घटे हैं। सीधा अर्थ है कि डिमांड व प्राइसिंग का समीकरण ट्रिकी यानी पेचीदा है। एनेलिस्ट्स के अनुसार एफएमसीजी में ग्रोथ डिमांड नहीं प्राइसिंग स्ट्रेटेजी के दम पर है।

Share
कंज्यूमर डिमांड ले रही कंपनियों की रिमांड!

 कहते हैं...इंडिया इज थर्ड लार्जेस्ट कंज्यूमर मार्केट...अमेरिका और चीन के बाद। भारत के कंज्यूमर मार्केट का कुल साइज करीब 17 लाख करोड़ डॉलर यानी करीब 142 लाख करोड़ रुपये का है और इसमें 8-10 परसेंट सीएजीआर से ग्रोथ हो रही है। यानी 145 करोड़ की आबादी वाला लो इनकम देश भारत कंज्यूमर इकोनॉमी का ग्लोबल पावरहाउस है। लेकिन एफएमसीजी में कुछ अलग ही ट्रेंड नजर आ रहा है। एफएमसीजी कंपनियों की वेल्यू तो बढ़ रही है लेकिन वॉल्यूम नहीं। इसका सीधा अर्थ हुआ कि एफएमसीजी सैक्टर वॉल्यूम ग्रोथ नहीं बल्कि कंपनियों द्वारा प्राइस बढ़ाने के कारण चल रहा है। यानी डिमांड स्लोडाउन से होने वाले घाटे को न्यूट्रलाइज करने के लिए कंपनियां प्राइस बढ़ा रही हैं। एनेलिस्ट कहते हैं कि एफएमसीजी सैक्टर में वॉल्यूम ग्रोथ केवल 2 परसेंट वहीं कंपनियों के रेवेन्यू 6 परसेंट बढ़े हैं। तो सवाल है डिमांड में ग्रोथ हो क्यों नहीं रही है जबकि इकोनॉमी ग्रोथ 6-7 परसेंट बनी हुई है। साथ में लगी टेबल के अनुसार भारत का एफएमसीजी मार्केट वर्ष 2024 में 245.40 बिलियन डॉलर यानी करीब 20 लाख करोड़ रुपये का था। 2032 तक यह बढक़र 665.63 बिलियन डॉलर यानी आज के मुकाबले करीब ढाई गुना हो जाएगा। भारत में 30.02 करोड़ परिवार हैं जिनमें से 85-90 परसेंट को एफएमसीजी कंज्यूमर माना जाता है। भारत के एक परिवार में औसत 4.44 सदस्य हैं। यानी भारत में एफएमसीजी का कंज्यूमर बेस 115-120 करोड़ लोगों का है। एनेलिस्ट कहते हैं कि मारिको (पैराशूट नारियल तेल वाली कंपनी) ने हेयर ऑइल की प्राइस  59 परसेंट बढ़ाई है जबकि इसका सेल्स वॉल्यूम घटा है। इसी तरह पतंजलि के एडिबल ऑइल बिजनस का रेवेन्यू 17 परसेंट बढ़ा है जबकि सेल्स वॉल्यूम 7 परसेंट घटा है। एनेलिस्ट्स के अनुसार कह सकते हैं कि प्राइस बढऩे के कारण कंज्यूमर जरूरत के हिसाब से ही खरीदारी कर रहा है...यानी कॉशस (सतर्क) है। एक ओर तो मास मार्केट प्रोडक्ट्स का सेल्स वॉल्यूम फ्लेट या घट रहा है वहीं उसी प्रोडक्ट के प्रीमियम वेरिएंट की परफॉर्मेन्स बेहतर रही है। लेकिन कोलगेट इस ट्रेंड में भी फिट नहीं होती क्योंकि उसका रेवेन्यू और वॉल्यूम दोनों 5-6' घटे हैं। सीधा अर्थ है कि डिमांड व प्राइसिंग का समीकरण ट्रिकी यानी पेचीदा है। एनेलिस्ट्स के अनुसार एफएमसीजी में ग्रोथ डिमांड नहीं प्राइसिंग स्ट्रेटेजी के दम पर है।


Label

PREMIUM

CONNECT WITH US

X
Login
X

Login

X

Click here to make payment and subscribe
X

Please subscribe to view this section.

X

Please become paid subscriber to read complete news