विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सभी देशों से आग्रह किया है कि वे अगले 10 वर्ष में मीठे ड्रिंक्स (कोक), शराब और तम्बाकू जैसे हानिकारक प्रॉडक्ट्स पर टैक्स इतने बढ़ा दें कि इनकी कीमत कम से कम डेढ़ गुना हो जाए। सेविल में आयोजित यूएन फाइनेंस फॉर डवलपमेंट कॉन्फ्रेंस में डब्ल्यूएचओ ने इस नई स्ट्रेटेजी को सामने रखा। डब्ल्यूएचओ के अनुसार सिनटैक्स बढ़ाने से वैश्विक स्तर पर पुरानी बीमारियों पर लगाम लगाने के साथ ही हेल्थ सिस्टम के लिए फंड्स की व्यवस्था करने में मदद मिलेगी। डब्ल्यूएचओ के असिस्टेंट डायरेक्टर जनरल फॉर हेल्थ प्रमोशन एंड डिजीज प्रिवेंशन, जेरेमी फैरर ने कहा हेल्थ टैक्स सबसे प्रभावी उपायों में से एक है। इस स्ट्रेटेजी, जिसे ...3 बाई 35 नाम दिया गया है, का टार्गेट 2035 तक 1 ट्रिलियन डॉलर तक का रेवेन्यू जेनरेट करना है। इस फंड का इस्तेमाल गरीब और कर्ज के बोझ में दबे देशों को मदद में किया जा सकेगा। डब्ल्यूएचओ के हेल्थ इकोनॉमिस्ट गुइलेर्मो सांडोवाल के अनुसार यदि इस स्ट्रेटेजी को लागू किया जाता है तो आज जिस प्रॉडक्ट की प्राइस 4 डॉलर है वो कीमत 2035 तक 10 डॉलर तक पहुंच सकती है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार कोलंबिया और साउथ अफ्रीका आदि देशों में इस प्रॉडक्ट्स पर टैक्स बढऩे के बाद उनकी खपत घटी और टैक्स रेवेन्यू बढ़ा। हालांकि इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ बिवरेजेस एसोसिएशंस की एक्जेक्टिव डायरेक्टर केट लोटमैन ने डब्ल्यूएचओ की इस स्ट्रेटेजी की आलोचना करते हुए कहा एक दशक की स्टडी से पता चलता है कि शुगरी ड्रिंक्स (कोक) पर टैक्स लगाने से न तो स्वास्थ्य में सुधार हुआ है और न ही मोटापे में कमी आई है। वर्ष 2012 से 2022 के बीच लगभग 140 देशों ने तम्बाकू पर 50 परसेंट से अधिक टैक्स बढ़ाया है। डब्ल्यूएचओ अब अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड पर भी टैक्स बढ़ाने की संभावना तलाश रहा है।