ट्रंप के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो बिना थके इंडिया को टार्गेट कर रहे हैं। कुछ रिपोर्ट्स कहती हैं कि इंडिया में एथेनॉल पर हुए हंगामे के लिए 2.5 करोड़ डॉलर की फंडिंग की गई। क्योंकि 20 परसेंट एथेनॉल बंद हुआ तो पेट्रोल की डिमांड 20 परसेंट बढ़ जाएगी जो ग्लोबल ऑइल लॉबी के लिए किसी जैकपॉट से कम नहीं है। वैसे भी ट्रंप खुलकर अमेरिकी ऑइल लॉबी के साथ खेल रहे हैं और ईवी की सब्सिडी बंद कर चुके हैं। वर्ष 1990 में जापान का जीडीपी 3.13 ट्रि. डॉलर था और अमेरिका का 5.98 ट्रिलियन डॉलर यानी दो गुना भी नहीं। लेकिन आज है 30 ट्रिलियन डॉलर यानी करीब साढ़े सात गुना। उसके बाद शुरू हुए (या किया गया) क्राइसिस से जापान आज तक नहीं उबर पाया है। अन्स्र्ट एंड यंग ने अगस्त की ईवाई इकोनॉमी वॉच में कहा है कि पीपीपी के आधार पर भारत 2038 तक 34.2 ट्रिलियन डॉलर के जीडीपी के साथ दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन सकता है। ईवाई के अनुसार अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान के मुकाबले भारत के पास बड़ा एडवांटेज है। रिपोर्ट कहती है चीन 2030 तक करीब 42.2 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी (पीपीपी) के साथ अव्वल होगा लेकिन एजिंग आबादी और बढ़ता डैट बड़े चैलेंज हैं। वल्र्ड बैंक के अनुसार पीपीपी यानी परचेज पावर पैरिटी यानी किसी प्रॉडक्ट को खरीदने के लिए अमेरिका में और भारत में कितने पैसे खर्च करने पड़ते हैं। रिपोर्ट कहती है अमेरिका का डैट -टू-जीडीपी रेश्यो 120 परसेंट से ज्यादा है और ग्रोथ रेट स्लो है। जर्मनी और जापान, जैसी एडवांस्ड इकोनॉमी हैं लेकिन ज्यादा उम्र और एक्सपोर्ट पर निर्भरता बड़े चैलेंज हैं। वहीं भारत के पास यंग आबादी है, बंपर लोकल डिमांड है और सरकार की माली हालत अच्छी है। आईएमएफ के अनुसार, भारत की इकोनॉमी 2030 तक 20.7 ट्रिलियन डॉलर (पीपीपी) तक पहुंच सकती है। ईवाई इकॉनमी वॉच के अनुसार, 2028 तक बाजार विनिमय दर (मार्केट एक्सचेंज रेट) के आधार पर भी जर्मनी को पीछे छोड़ भारत तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन जाएगा। सबसे बड़ी इकोनॉमीज में भारत सबसे अलग है। क्योंकि यहां की औसत आयु 28.8 वर्ष है, हाई सेविंग रेट है, डैट टू जीडीपी रेश्यो 2024 के 81.3 परसेंट से घटकर 2030 तक 75.8 परसेंट रह जाने का अनुमान है जबकि अन्य देशों में कर्ज बढ़ रहा हैं।