पुरानी प्राइस वाला स्टॉक विशेषरूप से एफएमसीजी कंपनियों के लिए गले ही हड्डी बन रहा था। कई कंपनियों ने नई प्राइस वाले स्टॉक की डिस्पैच बढ़ा दिए थे और डिस्ट्रीब्यूटर्स से पुराने स्टॉक से बाद में निपटने को कहा था। अब कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री ने बड़ी राहत देते हुए ओल्ड स्टॉक पर रिवाइज्ड प्राइस (घटी हुई एमआरपी) के लिए स्टिकर या स्टाम्प लगाने की छूट दे दी है। सरकार ने कहा है बदलाव केवल एमआरपी में किया जा सकेगा और मैन्युफैक्चरिंग डेट, बेस्ट बिफोर (एक्सपायरी) डेट और अन्य अनिवार्य विवरण में कोई बदलाव नहीं किया जा सकेगा। एनेलिस्ट कहते हैं कि क्लैरिटी मिल जाने से कंपनियों के इंवेटरी मैनेजमेंट आसान हो जाएगा और कंज्यूमर को भी फायदा होगा। पहले कंपनियां कह रही थीं कि घटी हुई प्राइस वाले पैकेज अक्टूबर के मध्य तक कस्टमर तक पहुंच पाएंगे। लेकिन अब कस्टमर को तुरंत फायदा मिलने लग जाएगा और कंपनियों के लिए पुराने स्टॉक से निपटना आसान हो जाएगा। मिनिस्ट्री ने कहा है कि नई एमआरपी स्टैम्पिंग या स्टिकर लगाकर या ऑनलाइन प्रिंटिंग से लिखी जा सकती है। कंपनियों को इस पुराने स्टॉक को निपटाने के लिए 31 दिसंबर तक का समय दिया गया है। अधिसूचना के अनुसार, कंपनियों को घटी हुई प्राइस के बारे में कंज्यूमर को जानकारी देने के लिए दो अखबारों में विज्ञापन भी चलाने होंगे। एफएमसीजी कंपनियों ने यह भी क्लैरिटी मांगी थी कि क्या फिक्स्ड प्राइस पैक (5 रु., 10 रु.) पर घटी हुई प्राइस का फायदा ग्रामेज (वजन) बढ़ाकर दिया जा सकता है या नहीं। एंटी-प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी को फिर से एक्टिव करने का प्लान : केंद्र सरकार ने साफ किया है कि जीएसटी कटौती का लाभ कंज्यूमर तक पहुंचाने के लिए कोई कानूनी कदम उठाने का प्लान नहीं है लेकिन सीजीएसटी एक्ट, 2017 में ऐसा प्रावधान मौजूद है जिसे जरूरत पडऩे पर केवल नोटिफाई कर लागू किया जा सकता है।
