अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने कहा है कि अगर देश का सुप्रीम कोर्ट रेसिप्रोकल टैरिफ को खारिज कर देता है तो ट्रंप प्रशासन रिबेट्स (हर्जाना) देगा। हाल ही एक संघीय अपील अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि ट्रंप ने भारी शुल्क लगाकर प्रेसिडेंट की की शक्तियों का अतिक्रमण किया। जिस एमरजेंसी कानून के तहत ये टैरिफ लगाए गए हैं उनके लिए सीनेट की मंजूरी ली जानी चाहिए। एक न्यूज चैनल के मीट द प्रेस में बोलते हुए बेसेंट ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट 29 अगस्त के फैडरल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखता है, तो ट्रेजरी विभाग को लगभग आधे टैरिफ की वापसी करनी होगी। उन्होंने कहा, यह ट्रेजरी के लिए बेहद बुरा होगा लेकिन अगर कोर्ट कहता है, तो हमें करना ही पड़ेगा। बेसेंट ने कहा कि रिबेट्स के अलावा कई और रास्ते मौजूद हैं, लेकिन वे प्रेसिडेंट ट्रंप की नेगोशिएट (मोलभाव) करने की स्थिति को कमजोर करेंगे। पिछले महीने अमेरिकी कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द फैडरल सर्किट ने अपने फैसले में कहा था कि इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट प्रेसिडेंट ट्रंप को रेसिप्रोकल टैरिफ और ट्रैफिकिंग टैरिफ लगाने का अधिकार नहीं देता। अगर यह फैसला कायम रहता है, तो प्रेसिडेंट ट्रंप की टैरिफ आधारित रणनीति पटरी से उतर जाएगी। इसी फैसले के कारण अगस्त की शुरुआत में घोषित की गई नई टैरिफ दरों को अब तक लागू नहीं किया गया है। मीट द प्रेस में ही बेसेंट ने यूरोपीय साझेदारों से रूस पर आर्थिक दबाव बढ़ाने की अपील भी की। उन्होंने कहा कि इससे प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन को यूक्रेन के साथ शांति वार्ता करने के लिए मजबूर किया जा सकता है। बेसेंट ने संकेत दिया कि वॉशिंगटन यूरोपीय देशों के साथ मिलकर उन देशों पर और प्रतिबंध लगाने के लिए तैयार है जो रूसी तेल खरीदते हैं। इन देशों में भारत भी शामिल है।