आज की तारीख में कारोबार हो या जॉब्स, इनसे सबंधित लगभग सभी सेक्टर जहां लोग काम करके कमाई कर रहे हैं वे कई तरह के खतरों से घिरे रहने लगे है। क्या डवलपमेंट का मतलब लोगों के सामने खतरे बढ़ाना है? क्या डवलपमेंट कुछ लोगों को फायदा देने व बड़ी संख्या में लोगों को कमी या डर में जीने के लिए होता है? क्या डवलपमेंट की भावना को सरकारों द्वारा अनदेखा किया जा रहा है? इन सवालों की गंभीरता कितनी है यह आप तय करें पर आज के माहौल में ऐसे सवाल बड़ी संख्या में उठने लगे हैं। AI (आर्टिफिशियल इटेंलिजेंस) जैसी नई टेक्नोलॉजी जिसे आज तक का सबसे बड़ा इन्नोवेशन माना जा रहा है, इससे 50 प्रतिशत लोगों की नौकरी चले जाने की आशंका जताई जा रही है। कोई भी इन्नोवेशन तभी सार्थक या काबिले तारीफ कहा जा सकता है जब वह बड़ी संख्या में लोगों के काम आ सके या उनके जीवन को आसान बना सके। अगर ्रढ्ढ इतनी बड़ी संख्या में वाकई नौकरियों को खा जाने की पॉवर रखती है तो इस इन्नोवेशन का फायदा कितने लोगों को होगा यह समझना मुश्किल नहीं है। Common Sense के हिसाब से अगर AI का नौकरियां पर मंडराता खतरा साफ हो चुका है और सरकारें भी यह जान चुकी है तो फिर AI के बढ़ते दायरे को रोककर इसके प्रभाव को सीमित करने की दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए लेकिन इसके संकेत कही भी नहीं मिल रहे हैं यानि पॉवरफुल कारोबारियों व सरकारों के बीच का गठबंधन इसे और आगे बढ़ाने पर आपसी सहमति से काम कर रहा है जो डवलपमेंट की मूल भावना से उल्टा काम कहा जा सकता है। यह भी सही है कि ्रढ्ढ से भले ही कई जॉब्स खत्म हो जाएंगे और उनकी जगह नए जॉब्स पैदा होंगे पर खत्म हुए जॉब्स के मुकाबले नए जॉब्स की संख्या बहुत ही कम रहेगी। अब तो इस खतरे को कई दिग्गज ग्लोबल कंपनियों के प्रमुख भी स्वीकार कर यह चेतावनी देने लगे हैं कि AI से बड़ी संख्या में जॉब्स खत्म होंगे।
एक एक्सपर्ट के अनुसार अब इस बात से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता कि कौन कितना काबिल है या उसके पास कैसी स्किल है क्योंकि उसके काम AI से किए जा सकते हैं। चाहे कोई डिजाइनर हो, प्रोग्रामर हो, वकील हो, सेल्समेन हो, कस्टमर सर्विस करता हो या फाइनेंस सेक्टर का महारथी हो, लगभग ऐसे सभी काम AI से करने के दावे किए जाने लगे है। कई बड़ी कंपनियां नए लोगों को तब तक जॉब पर नहीं रखने की पॉलिसी बना चुकी है तब तक यह कंन्फर्म न हो जाए कि AI से उन नए लोगों के काम नहीं करवाए जा सकते। कॉर्पोरेट सेक्टर में काम कर रहे लोगों की ्रढ्ढ के बारे में सोच हर हफ्ते बदलने लगी है जो ्रढ्ढ के उपयोग व दूसरी जगहों पर इसके फायदों पर लगातार नजर रखने लगे हैं। AI से संबंधित मिले-जुले अनुभवों के बीच इस बात से कोई इन्कार नहीं कर रहा है कि AI से जॉब्स को खतरा है जो यह सवाल भी उठाता है कि क्या AI के डवलपमेंट के पीछे यही सबसे बड़ा उद्देश्य रहा होगा? हम जिस लगातार डवलप होती दुनिया का हिस्सा बन चुके है वह ऐसी दिशा में आगे बढ़ रही है जहां डवलपमेंट के साथ-साथ खतरों की संख्या व तरीके भी लगातार बढ़ते जाएंगे जिनका अंदाजा लगाकर उनका सामना करते रहने की काबिलियत डवलप करना नया नॉर्मल बनता जाएगा। ऐसा लगने लगा है कि डवलपमेंट का यही स्वरूप सभी को स्वीकार हो चुका है क्योंकि अगर ऐसा न होता तो AI के खतरों को बताने की इच्छाशक्ति का प्रदर्शन बहुत पहले ही शुरू हो जाता। तभी तो इंटेलिजेंट लोगों सहित सरकारों द्वारा यह जानते हुए भी अनजान बने रहने की शानदार स्किल का प्रदर्शन AI के डवलपमेंट के मामले में हम कई सालों से देख रहे हैं। खतरों से खेलते-खेलते मंजिल तक पहुंचने के पहले ही थककर हार मान लेने के कई उदाहरण रोजाना खबरों में दिखने लगे हैं जिनकी जांच-पड़ताल में ऐसे कारणों पर भी नजर रखनी चाहिए जो खतरों भरे डवलपमेंट की उपज कहे जा सकते हैं। अधिकांश उदाहरण डवलपमेंट से कदम न मिला पाने के संकेत देते है यानि डवलपमेंट के लिए खतरों को न चाहते हुए भी गले लगाने की मजबूरी के बढ़ते ट्रेंड के बारे में बहुत कुछ बताने वाले कहे जा सकते हैं।