प्रदेश के सीएम भजनलाल शर्मा की हमेशा से यह सोच रही है कि राज्य में बड़े औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जाएं, जो पूर्ण इंडस्ट्रीयल टाउनशिप के रूप में उभरें। इन टाउनशिप में मैन्युफैक्चरिंग एवं सर्विस के साथ-साथ लॉजिस्टिक, वेयरहाउसिंग तथा सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी सभी आवश्यक सहायक सेवाओं का समावेश हो, ताकि ये क्षेत्र अपने आप में आर्थिक विकास के प्रमुख केंद्र बन सकें। इसी सोच के अनुरूप जोधपुर-पाली-मारवाड़ इंडस्ट्रीयल क्षेत्र लगभग 3600 हैक्टेयर भूमि पर विकसित किया जा रहा है। यह क्षेत्र राज्य की सबसे बड़ी इंडस्ट्रीयल टाउनशिप के रूप में स्थापित होगा और प्रदेश के आर्थिक विकास को नई गति प्रदान करेगा। डीएमआईसी परियोजना विकसित करने के लिये राजस्थान इंडस्ट्रीयल कॉरिडर्स डवलपमेंट कॉरपोरेशन का गठन किया गया है जिसमें राजस्थान सरकार की ओर से रीको की 51 पर्सेंट हॉल्डिंग है तथा भारत सरकार की ओर से राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारे विकास कार्यान्वयन ट्रस्ट (NICDIT) की 49 पर्सेंट पूंजी है। पश्चिमी राजस्थान अब देश के सबसे तेजी से विकसित हो रहे औद्योगिक क्षेत्रों में उभर रहा है। पचपदरा में शुरू होने जा रही रिफाइनरी, वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (WDFC) शुरू होने के बाद तथा अमृतसर-जामनगर हाईवे समेत तेजी से बढ़ते लॉजिस्टिक नेटवर्क के कारण यह क्षेत्र वैश्विक निवेशकों की पसंदीदा जगह बनती जा रही है। यह औद्योगिक टाउनशिप जोधपुर-पाली के मध्य स्थित होने के कारण राष्ट्रीय राजमार्गो से बेहतर तरीके से जुड़ी हुई है तथा हवाई अड्डा भी मात्र 30 किमी की दूरी पर स्थित होने के कारण यह लोकेशन उद्योगों एवं सर्विस सेक्टर को देश के उत्तर पश्चिम से दक्षिण पश्चिम बाजारों तक तेज कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। लॉजिस्टिक लागत कम करने के लिये लूणी रोहट मारवाड जंक्शन रेल लाइन के दोहरीकरण का कार्य किया जा रहा है जिससे सीधे वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से कनेक्टिविटी हो सकेगी और निर्यात क्षमता बढ़ सकेगी। किसी भी निवेश का सबसे बड़ा आधार ऊर्जा एवं जल की निर्बाध आपूर्ति होती है। इसके लिये राज्य में प्रथम बार विद्युत सप्लाई भी रिडको द्वारा ही की जायेगी। इसके लिये पावर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 300 करोड़ से अधिक व्यय किये जा रहे हैं। यहां निर्बाध विद्युत आपूर्ति के लिए 220 केवी की दोहरी लाईन डाली जा रही है तथा उच्च क्षमता के ट्रॉंसफार्मर लगाये जायेंगे। गैस की उपलब्धता के लिये स्पर लाईन डाली जा रही है। उक्त औद्योगिक टाउनशिप में भविष्य में कुल 1200 से अधिक इकाइयां स्थापित होने की संभावना है जिनसे वर्ष 2042 तक लगभग तीन लाख लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है। 1,578 एकड़ क्षेत्र में विकसित होने वाले फेज-ए में भारत सरकार द्वारा रूपये 922 करोड़ की स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है। इसमें रूपये 322.80 करोड़ भारत सरकार की अंश पूंजी के रूप में तथा रूपये 105 करोड़ सॉफ्ट लोन के रूप में उपलब्ध कराया जा रहा है। इस फेज के लिये भूमि रिडको को सौंपी गयी है तथा परियोजना क्रियान्वयन के लिए रूपये 193.60 करोड़ रिडको को भारत सरकार से प्राप्त हो चुके हैं।