नफा नुकसान के माध्यम से हमारा संपर्क बड़ी कंपनियों के साथ-साथ छोटी व मीडियम कंपनियों से भी रोजाना होता है और कारोबारियों से जुड़े रहने की यह सुविधा उनकी काबिलियत, कौशल व स्किल के बारे में एक से बढक़र एक बातें बताती है। आमतौर पर ऐसे लोगों को फॉलो करके सीखने का प्रयास किया जाता हैं जो ऊंचे लेवल पर होते है, जिनकी कंपनी का टर्नओवर ज्यादा होता है, जिनकी बातें सुनी जाती है, जिन्हें मीडिया प्रमुखता देता है और जो सफलता हासिल करते हुए बहुत वेल्दी बन जाते हैं। हमारे देश में आज 28-30 लाख कंपनियां रजिस्टर्ड है जिनमें से 65 प्रतिशत यानि करीब 18-19 लाख कंपनियां एक्टिव है और कारोबार कर रही है। इनमें से 70-80 प्रतिशत कंपनियां सालाना 25 करोड़ से कम टर्नओवर वाली है जिन्हें मीडियम व छोटी कंपनियां माना जाता है। ऐसी कंपनियों का टर्नओवर भले ही कम हो पर इनकी कहानियां कारोबारी सफलता और विफलता को समझने का सबसे शानदार बिजनिस कोर्स कही जा सकती है। कई कारोबारियों से बात करने और उनके अनुभव सुनने व समझने पर पता चलता है कि कारोबारों की सफलता के पीछे कुछ फार्मूले एक जैसे ही होते है जो छोटी-बड़ी सभी कंपनियों पर समान रूप लागू होते हैं। स्टार्टअप की इंटेलिजेंट कारोबारी व्यवस्था में काम करने वालों को भले ही ये फार्मूले उपयोगी न लगे लेकिन इन्हीं फार्मूलों ने देश के MSME सेक्टर को मजबूत करने में महत्वपूर्ण रोल निभाया है जिससे कारोबारों के मामले में MSME सेक्टर के योगदान को कोई चैलेंज नहीं कर सकता।अधिकतर कारोबारी मदद मांगने में हिचकिचाने को सही नहीं मानते। उन्हें शुरुआत में मदद मांगने में इसलिए शर्म महसूस होती थी ताकि दूसरों को यह न लगे कि उनकी समझ कम है और वे यह नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं पर धीरे-धीरे पता चलने लगता है कि मदद मांगना कोई शर्म की बात नहीं है बल्कि यह तो फ्री में करने वाला सबसे स्मार्ट काम माना जा सकता है। कुछ समय बाद यह भी साफ हो जाता है कि वास्तव में मदद करने वाले कौन-कौन है और वे ही कारोबारी सफलता के सामने न दिखने वाले नायक बन जाते हैं। कहा भी गया है कि व्यक्ति अकेला कुछ नहीं कर सकता बल्कि समय-समय पर मिला कई लोगों का साथ उसके लिए आगे बढऩे का रास्ता तैयार करता है। कारोबारों की सफलता के पीछे Commitment यानि जुबान का पक्का होना भी महत्वपूर्ण रहा है। जिस काम के लिए समय तय हो चुका है वह काम उसी समय तक हर हाल में होना चाहिए। यही नहीं फोन पर जवाब न देने, बहाने बनाने, देरी होने की सूचना न देने जैसे व्यवहार कारोबार पर सीधा असर डालते हैं और इनके बारे में माफी की गुजाइंश कम ही रहती है लेकिन आजकल ऐसे व्यवहार चलन में है जो अच्छी पहचान के लिए किसी खतरे से कम नहीं है। कारोबारियों की सलाह है कि कारोबारी निर्णयों में Emotion (भावनाओं) से ज्यादा होमवर्क करना व प्रेक्टिकल होना जरूरी है। ग्रोथ करने के लिए जोश में लिए गए निर्णयों को नुकसान का कारण बनने में देर नहीं लगती और इसका पता नुकसान होने के बाद ही चलता है इसलिए कुछ भी नया करने या बड़ा दाव लगाने से पहले बाजार को बारिकी से समझना पहली शर्त है।
खुद पर और अपने कारोबार पर पक्का भरोसा रखने से मुश्किल समय को कम परेशानी में निकाला जा सकता है। कारोबारों को चलाने में उनके लीडर का Mindset बहुत बड़ा रोल अदा करता है। पॉजिटिव Mindset से विनम्रता के साथ सीखते हुए कठिन निर्णय लिए जा सकते हैं और कारोबार अगर ज्यादा इंवेस्टमेंट की मांग करता है तो उसकी व्यवस्था करने का निर्णय करना उतना मुश्किल नहीं होता। साथ ही कारोबारी का पॉजिटिव Mindset उसके सप्लायर व अन्य कारोबारी पार्टनरों से सपोर्ट लेने लायक रिश्ता बनाने में भी मदद करता है। जब उधार या फंडिग की बात आती है तो इसके लिए सतर्कता रखना जरूरी है। ऐसे सफल व शानदार कारोबारों के उदाहरण कम नहीं है जो उधार के चंगुल में फंसकर फेल हो गए। उधार ऐसे नए कारोबारों को भी डुबो देता है जो पहले ही अपनी जगह बनाने के दर्द से जूझ रहे होते हैं। धीरे-धीरे आगे बढऩे से खुद की व कारोबार की ताकत को समझने का समय मिलता है ताकि समय रहते कारोबारी स्ट्रेटेजी में बदलाव किया जा सके। टेक्नोलॉजी से पहले कस्टमर पर फोकस करने के सटीक फार्मूले को बदलने की कोशिशे नए स्टार्टअप कर रहे हैं जबकि यही फार्मूला कारोबार को लम्बे समय तक चलाने में मददगार साबित होता आया है। कारोबारों का फोकस खुद के विजन को बेचने की जगह कस्टमर क्या चाहता है वह बेचने पर होना चाहिए यानि स्ड्डद्यद्गह्य पर ध्यान देने से यह आसानी से समझा जा सकता है कि कस्टमर की किसमें कितनी रुचि है। लम्बे समय तक कारोबार के साथ बने रहने के फार्मूले ने कई सफल व नामी कारोबारों को आगे बढऩे में सपोर्ट किया है। यह दिलचस्प है कि खराब से खराब स्थिति में हार नहीं मानने और थककर न रूकने की सोच ने बहुत से चमत्कार दिखाए हैं और इसके कई उदाहरण हम 30-40 साल से काम कर रहे सफल कारोबारों के इतिहास में देख सकते हैं। खुद को होशियार व सबसे समझदार मानने की गलती कारोबारी के लिए खतरनाक साबित हो सकती है क्योंकि कारोबारी सफलता में जितना योगदान व्यक्ति के ॥ड्डह्म्स्र ङ्खशह्म्द्म या आइडिया का है उतना ही उसके रुह्वष्द्म (किस्मत) का भी कहा जा सकता है और यह भी सच है कि किसी के पास कितना भी शानदार व यूनिक (अनोखा) बिजनस आइडिया हो उसपर कही न कही कोई पहले ही काम कर चुका होता है यानि उसे आजमा कर देखा जा चुका है। ये भी संकेत व उदाहरण मिलते है कि जो कारोबार हमे कम अच्छे लगते है या हमारा ध्यान नहीं खींचते वे ही सबसे ज्यादा प्रॉफिट कमाने वाले होते हैं और आखिरी में अपने सहयोगियों व साथ जुड़े लोगों और पार्टनरों के प्रति विनम्र व सहयोग का व्यवहार रखने का पुण्य कारोबार को कई रूपों में जरूर मिलता है जिसकी अहमियत पर गैर जरूरी कामों और समय की कमी के बहानों के बीच ध्यान नहीं जाता।