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27-06-2025

PSU कंपनियों का मार्केट कैप 5 वर्षों में 57 लाख करोड़ रुपए बढ़ा

  •  भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (पीएसयू) का बाजार पूंजीकरण बीते पांच वर्षों में 57 लाख करोड़ रुपए बढक़र जून 2025 में 69 लाख करोड़ रुपए हो गया है, जो मार्च 2020 में 12 लाख करोड़ रुपए था। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 20 से वित्त वर्ष 25 के दौरान पीएसयू कंपनियों की आय 36 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़ी है, जो कि निजी कंपनियों की तुलना में अधिक है। वहीं, इस दौरान बीएसई पीएसयू इंडेक्स में 32 प्रतिशत की सीएजीआर से इजाफा हुआ है। रिपोर्ट में बताया गया कि वित्त वर्ष 25 में मंदी के बावजूद मुनाफे में बढ़ोतरी जारी है। निष्कर्षों से पता चला कि दशक भर लंबी रिकवरी स्टोरी बैलेंस शीट की सफाई, नीतिगत अनुकूलता और क्षेत्र-विशिष्ट संरचनात्मक बदलावों पर आधारित है। रिपोर्ट के अनुसार, रैली और अच्छे मुनाफे के कारण कुल मार्केटकैप में पीएसयू की हिस्सेदारी अब बढक़र 15.3 प्रतिशत हो गई है, जो कि वित्त वर्ष 22 में 10.1 प्रतिशत थी। मार्केटकैप के साथ-साथ पीएसयू कंपनियों के मुनाफे में भी इजाफा हुआ है। यह वित्त वर्ष 25 में बढक़र 5.3 लाख करोड़ रुपए हो गया है, जो कि वित्त वर्ष 20 में 1.2 लाख करोड़ रुपए था। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 25 में बीएफएसआई का योगदान पीएसयू मुनाफे में 38 प्रतिशत रहा है, जो कि वित्त वर्ष 20 में मात्र 7 प्रतिशत था। वहीं, वित्त वर्ष 20-25 के बीच सरकारी कैपिटल गुड्स कंपनियों के मुनाफे में 28 प्रतिशत के सीएजीआर से इजाफा हुआ है। इसकी वजह डिफेंस और इन्फ्रा के ऑर्डर्स में पीएसयू की हिस्सेदारी बढऩा है।  रिपोर्ट में आगे कहा गया कि आने वाले दो वर्षों में पीएसयू के बढऩे वाले मुनाफे में से 53 प्रतिशत का योगदान बीएफएसआई सेगमेंट से आने की उम्मीद है। घाटे में चल रही पीएसयू की हिस्सेदारी अब कुल लाभ पूल में सिर्फ 1 प्रतिशत है, जो वित्त वर्ष 18 के आंकड़े 45 प्रतिशत से कम है। रिपोर्ट के अनुसार, संरचनात्मक सुधार पीएसयू कंपनियों में आए बदलाव की बड़ी वजह है।

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PSU कंपनियों का मार्केट कैप 5 वर्षों में 57 लाख करोड़ रुपए बढ़ा

 भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (पीएसयू) का बाजार पूंजीकरण बीते पांच वर्षों में 57 लाख करोड़ रुपए बढक़र जून 2025 में 69 लाख करोड़ रुपए हो गया है, जो मार्च 2020 में 12 लाख करोड़ रुपए था। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 20 से वित्त वर्ष 25 के दौरान पीएसयू कंपनियों की आय 36 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़ी है, जो कि निजी कंपनियों की तुलना में अधिक है। वहीं, इस दौरान बीएसई पीएसयू इंडेक्स में 32 प्रतिशत की सीएजीआर से इजाफा हुआ है। रिपोर्ट में बताया गया कि वित्त वर्ष 25 में मंदी के बावजूद मुनाफे में बढ़ोतरी जारी है। निष्कर्षों से पता चला कि दशक भर लंबी रिकवरी स्टोरी बैलेंस शीट की सफाई, नीतिगत अनुकूलता और क्षेत्र-विशिष्ट संरचनात्मक बदलावों पर आधारित है। रिपोर्ट के अनुसार, रैली और अच्छे मुनाफे के कारण कुल मार्केटकैप में पीएसयू की हिस्सेदारी अब बढक़र 15.3 प्रतिशत हो गई है, जो कि वित्त वर्ष 22 में 10.1 प्रतिशत थी। मार्केटकैप के साथ-साथ पीएसयू कंपनियों के मुनाफे में भी इजाफा हुआ है। यह वित्त वर्ष 25 में बढक़र 5.3 लाख करोड़ रुपए हो गया है, जो कि वित्त वर्ष 20 में 1.2 लाख करोड़ रुपए था। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 25 में बीएफएसआई का योगदान पीएसयू मुनाफे में 38 प्रतिशत रहा है, जो कि वित्त वर्ष 20 में मात्र 7 प्रतिशत था। वहीं, वित्त वर्ष 20-25 के बीच सरकारी कैपिटल गुड्स कंपनियों के मुनाफे में 28 प्रतिशत के सीएजीआर से इजाफा हुआ है। इसकी वजह डिफेंस और इन्फ्रा के ऑर्डर्स में पीएसयू की हिस्सेदारी बढऩा है।  रिपोर्ट में आगे कहा गया कि आने वाले दो वर्षों में पीएसयू के बढऩे वाले मुनाफे में से 53 प्रतिशत का योगदान बीएफएसआई सेगमेंट से आने की उम्मीद है। घाटे में चल रही पीएसयू की हिस्सेदारी अब कुल लाभ पूल में सिर्फ 1 प्रतिशत है, जो वित्त वर्ष 18 के आंकड़े 45 प्रतिशत से कम है। रिपोर्ट के अनुसार, संरचनात्मक सुधार पीएसयू कंपनियों में आए बदलाव की बड़ी वजह है।


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