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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

01-09-2025

जीएसटी कट यानि ‘अच्छे दिन’ की दस्तक

  •  देशभर में बरकत बरस रही है। रेनफॉल का नक्शा देखने लायक है। कुछ रिपोर्ट्स कहती हैं 1 परसेंट और कुछ कहती हैं 6 परसेंट ज्यादा बारिश हो चुकी है। मतलब कोटा तो पूरा हो ही चुका है। अगले पंद्रह दिन में जो होगी वो बोनस। कम से कम दो सीजन (खरीफ और रबी) बंपर यील्ड रहेगी। यानी भारत के खीसे में ज्यादा माल होगा। तो ज्यादा खर्च करने की ताकत होगी। फिर मोदी सरकार भी तो लाल किले से बंपर दिवाली की आवाज बुलंद कर चुकी है। जीएसटी 2.0 के तहत नए रेट स्लैब पर फैसला करने के लिए 3 और 4 सितंबर को काउंसिल की बैठक होने वाली है। इसलिए वेट एंड वॉच बस खत्म होने को है। अभी ज्यादातर गाडिय़ों पर 28 परसेंट जीएसटी लगाया जाता है, लेकिन माना जा रहा है कि 28 परसेंट स्लैब में आने वाले 90 परसेंट आइटम और वेहीकल्स 18 परसेंट स्लैब में लाए जाएंगे। यदि हो गया तो आपकी चारों अंगुलियां घी में होंगी। गाड़ी सस्ती होगी तो लोन कम लेना पड़ेगा, लोन कम लेना पड़ेगा तो ईएमआई कम आएगी। और जीएसटी घटेगा को गाड़ी की एक्स-शोरूम कीमत कम होगी, और एक्सशोरूम कीमत कम होगी तो इंश्योरेंस, रोडटैक्स और रजिस्ट्रेशन में भी बचत होगी। इंवेस्टमेंट बैंक नोमुरा ने जीएसटी 2.0 के तहत टैक्स कटौती से प्राइस में आने वाली कमी और कुल बचत का एनेलिसिस किया है जिसके कुछ अंश आपके लिए पेश हैं।

    वाह कार सरकार : सबसे ज्यादा फायदा स्मॉल कार सेगमेंट में होगा। अभी मारुति ऑल्टो के10 से लेकर वैगनआर, बलेनो और डिजायर जैसी बेस्टसेलर कारों पर  28 परसेंट जीएसटी की वजह से मही पड़ती हैं। टैक्स घटने से इनकी ऑन-रोड कीमत करीब 60 हजार से 80 हजार रुपये तक कम हो जाएगी। इससे ईएमआई में भी बड़ी राहत मिलेगी। मारुति डिजायर की ईएमआई यदि अभी 15,519 रुपये है, वह घटकर 14,195 रुपये हो जाएगी। इसी तरह, वैगनआर और बलेनो में भी हर महीने 1,000 से 1,200 रुपये तक की बचत हो सकती है। लोअर मिडल क्लास के लिए इतनी बचत भी बहुत होती है। इतने में तो महीने का तेल-पानी का खर्च निकल जाएगा। वैसे बारिश होगी तो सब भीगेंगे। स्मॉल कार की तरह फायदा एसयूवी पर भी होगा। फिलहाल एसयूवी पर जीएसटी और सेस मिलाकर लगभग 45 परसेंट टैक्स लगता है। प्रस्तावित कटौती के बाद यह दर 40 परसेंट हो जाएगी। इसका असर सीधे बेस्टसेलर एसयूवी मॉडलों पर पड़ेगा। मारुति सुज़ुकी ब्रेज़ा की कीमत करीब 40,000 रुपये घट जाएगी जबकि महिंद्रा एक्सयूवी 700 के बायर्स के लिए जैकपॉट की बात कही जा रही है।  नोमुरा ने कहा है कि महिन्द्रा एक्सयूवी700 के कस्टमर को लगभग 1 लाख 10 हजार रुपये तक की भारी राहत मिलेगी। ह्यूंदे क्रेटा जैसी एसयूवी की कीमतों में भी कमी देखने को मिलेगी। इस कटौती से एसयूवी सेगमेंट में रुकी हुई मांग को दोबारा गति मिल सकती है।

    किश्त की फेहरिश्त : कार बायर के लिए सबसे बड़ी राहत ईएमआई में दिखाई देगी। कार की कीमत घटने से बैंक से लिया जाने वाला लोन अमाउंट भी कम हो जाएगा। इसका सीधा असर ईएमआई पर पड़ेगा। रिपोर्ट कहती है कि स्मॉल कार के बायर को हर महीने 1 हजार से 1,300 रुपये तक बचत की बचत होने का अनुमान है। लेकिन यदि आप पांच साल का लोन लेंगे तो छोटी दिखने वाली सेविंग 70 से 80 हजार रुपये तक पहुंच जाएगी। महिंद्रा एक्सयूवी 700 की प्राइस में करीब 1.1 लाख रुपये तक की कटौती होने से ईएमआई 2 हजार से 3 हजार रुपये तक कम हो जाएगी। इसे पूरे कार लाइफ साइकल पर फला कर देखें तो किसी जैकपॉट से कम नहीं है। नोमुरा के अनुसार एक्सयूवी 700 पर 5 साल का लोन है तो कुल सेविंग 1.2 से 1.5 लाख रुपये तक हो सकती है। मतलब जीएसटी कटौती कोई फल नहीं बल्कि फल का पेड़ है जिससे सालों-साल फायदा होगा।

    सब का भला : ऑटो इंक वैसे भी स्लो ग्रोथ से परेशान है। जो थोड़ी-बहुत साख बची है वो एसयूवी के कारण है। स्मॉल और कॉम्पेक्ट सैगमेंट की कारों की सेल्स में रिवाइवल की उम्मीद कमजोर पड़ रही है। लेकिन जीएसटी कट इस पूरे सैगमेंट को हॉटवायर (झटका देकर गाड़ी को स्टार्ट करना) कर सकता है। टोयोटा और महिंद्रा एंड महिंद्रा को छोडक़र बाकी पीवी कंपनियों को स्लो ुपड़ती कार सेल्स को रिवाइव करने के लिए ड्रॉइंग बोर्ड पर जाना पड़ रहा है। अन-अफोर्डेबल लेवल तक प्राइस बढऩे, फ्यूल कॉस्ट, इंटरेस्ट कॉस्ट  में इजाफा होने और कोविड क्राइसिस के चलते छोटी कारों की मांग पहले से ही दबाव में है।  ऐसे समय में टैक्स घटाकर प्राइस आउट (प्राइस बढऩे के कारण बायर का मार्केट से बाहर हो जाना) हो चुके बायर को फिर से मार्केट में लौटाया जा सकता है। ऑटो कंपनियों ने सरकार को जो प्लान दिया है उससे टेक्स कट से सेल्स वॉल्यूम बढ़ेगा और रेवेन्यू कलेक्शन में नहीं के बराबर घाटा होगा। कार  सेल्स बढ़ेगी तो जीएसटी, रजिस्ट्रेशन, इंश्योरेंस जीएसटी, लोन जीएसटी और रोड टेक्स आदि हर कंपोनेंट से सरकार को कमाई होगी और घाटे की भरपाई हो सकती है। फिर इंडस्ट्री में ग्रोथ आएगी जो इंवेस्टमेंट और जॉब्स पर जो प्रेशर है वो भी घटेगा।

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जीएसटी कट यानि ‘अच्छे दिन’ की दस्तक

 देशभर में बरकत बरस रही है। रेनफॉल का नक्शा देखने लायक है। कुछ रिपोर्ट्स कहती हैं 1 परसेंट और कुछ कहती हैं 6 परसेंट ज्यादा बारिश हो चुकी है। मतलब कोटा तो पूरा हो ही चुका है। अगले पंद्रह दिन में जो होगी वो बोनस। कम से कम दो सीजन (खरीफ और रबी) बंपर यील्ड रहेगी। यानी भारत के खीसे में ज्यादा माल होगा। तो ज्यादा खर्च करने की ताकत होगी। फिर मोदी सरकार भी तो लाल किले से बंपर दिवाली की आवाज बुलंद कर चुकी है। जीएसटी 2.0 के तहत नए रेट स्लैब पर फैसला करने के लिए 3 और 4 सितंबर को काउंसिल की बैठक होने वाली है। इसलिए वेट एंड वॉच बस खत्म होने को है। अभी ज्यादातर गाडिय़ों पर 28 परसेंट जीएसटी लगाया जाता है, लेकिन माना जा रहा है कि 28 परसेंट स्लैब में आने वाले 90 परसेंट आइटम और वेहीकल्स 18 परसेंट स्लैब में लाए जाएंगे। यदि हो गया तो आपकी चारों अंगुलियां घी में होंगी। गाड़ी सस्ती होगी तो लोन कम लेना पड़ेगा, लोन कम लेना पड़ेगा तो ईएमआई कम आएगी। और जीएसटी घटेगा को गाड़ी की एक्स-शोरूम कीमत कम होगी, और एक्सशोरूम कीमत कम होगी तो इंश्योरेंस, रोडटैक्स और रजिस्ट्रेशन में भी बचत होगी। इंवेस्टमेंट बैंक नोमुरा ने जीएसटी 2.0 के तहत टैक्स कटौती से प्राइस में आने वाली कमी और कुल बचत का एनेलिसिस किया है जिसके कुछ अंश आपके लिए पेश हैं।

वाह कार सरकार : सबसे ज्यादा फायदा स्मॉल कार सेगमेंट में होगा। अभी मारुति ऑल्टो के10 से लेकर वैगनआर, बलेनो और डिजायर जैसी बेस्टसेलर कारों पर  28 परसेंट जीएसटी की वजह से मही पड़ती हैं। टैक्स घटने से इनकी ऑन-रोड कीमत करीब 60 हजार से 80 हजार रुपये तक कम हो जाएगी। इससे ईएमआई में भी बड़ी राहत मिलेगी। मारुति डिजायर की ईएमआई यदि अभी 15,519 रुपये है, वह घटकर 14,195 रुपये हो जाएगी। इसी तरह, वैगनआर और बलेनो में भी हर महीने 1,000 से 1,200 रुपये तक की बचत हो सकती है। लोअर मिडल क्लास के लिए इतनी बचत भी बहुत होती है। इतने में तो महीने का तेल-पानी का खर्च निकल जाएगा। वैसे बारिश होगी तो सब भीगेंगे। स्मॉल कार की तरह फायदा एसयूवी पर भी होगा। फिलहाल एसयूवी पर जीएसटी और सेस मिलाकर लगभग 45 परसेंट टैक्स लगता है। प्रस्तावित कटौती के बाद यह दर 40 परसेंट हो जाएगी। इसका असर सीधे बेस्टसेलर एसयूवी मॉडलों पर पड़ेगा। मारुति सुज़ुकी ब्रेज़ा की कीमत करीब 40,000 रुपये घट जाएगी जबकि महिंद्रा एक्सयूवी 700 के बायर्स के लिए जैकपॉट की बात कही जा रही है।  नोमुरा ने कहा है कि महिन्द्रा एक्सयूवी700 के कस्टमर को लगभग 1 लाख 10 हजार रुपये तक की भारी राहत मिलेगी। ह्यूंदे क्रेटा जैसी एसयूवी की कीमतों में भी कमी देखने को मिलेगी। इस कटौती से एसयूवी सेगमेंट में रुकी हुई मांग को दोबारा गति मिल सकती है।

किश्त की फेहरिश्त : कार बायर के लिए सबसे बड़ी राहत ईएमआई में दिखाई देगी। कार की कीमत घटने से बैंक से लिया जाने वाला लोन अमाउंट भी कम हो जाएगा। इसका सीधा असर ईएमआई पर पड़ेगा। रिपोर्ट कहती है कि स्मॉल कार के बायर को हर महीने 1 हजार से 1,300 रुपये तक बचत की बचत होने का अनुमान है। लेकिन यदि आप पांच साल का लोन लेंगे तो छोटी दिखने वाली सेविंग 70 से 80 हजार रुपये तक पहुंच जाएगी। महिंद्रा एक्सयूवी 700 की प्राइस में करीब 1.1 लाख रुपये तक की कटौती होने से ईएमआई 2 हजार से 3 हजार रुपये तक कम हो जाएगी। इसे पूरे कार लाइफ साइकल पर फला कर देखें तो किसी जैकपॉट से कम नहीं है। नोमुरा के अनुसार एक्सयूवी 700 पर 5 साल का लोन है तो कुल सेविंग 1.2 से 1.5 लाख रुपये तक हो सकती है। मतलब जीएसटी कटौती कोई फल नहीं बल्कि फल का पेड़ है जिससे सालों-साल फायदा होगा।

सब का भला : ऑटो इंक वैसे भी स्लो ग्रोथ से परेशान है। जो थोड़ी-बहुत साख बची है वो एसयूवी के कारण है। स्मॉल और कॉम्पेक्ट सैगमेंट की कारों की सेल्स में रिवाइवल की उम्मीद कमजोर पड़ रही है। लेकिन जीएसटी कट इस पूरे सैगमेंट को हॉटवायर (झटका देकर गाड़ी को स्टार्ट करना) कर सकता है। टोयोटा और महिंद्रा एंड महिंद्रा को छोडक़र बाकी पीवी कंपनियों को स्लो ुपड़ती कार सेल्स को रिवाइव करने के लिए ड्रॉइंग बोर्ड पर जाना पड़ रहा है। अन-अफोर्डेबल लेवल तक प्राइस बढऩे, फ्यूल कॉस्ट, इंटरेस्ट कॉस्ट  में इजाफा होने और कोविड क्राइसिस के चलते छोटी कारों की मांग पहले से ही दबाव में है।  ऐसे समय में टैक्स घटाकर प्राइस आउट (प्राइस बढऩे के कारण बायर का मार्केट से बाहर हो जाना) हो चुके बायर को फिर से मार्केट में लौटाया जा सकता है। ऑटो कंपनियों ने सरकार को जो प्लान दिया है उससे टेक्स कट से सेल्स वॉल्यूम बढ़ेगा और रेवेन्यू कलेक्शन में नहीं के बराबर घाटा होगा। कार  सेल्स बढ़ेगी तो जीएसटी, रजिस्ट्रेशन, इंश्योरेंस जीएसटी, लोन जीएसटी और रोड टेक्स आदि हर कंपोनेंट से सरकार को कमाई होगी और घाटे की भरपाई हो सकती है। फिर इंडस्ट्री में ग्रोथ आएगी जो इंवेस्टमेंट और जॉब्स पर जो प्रेशर है वो भी घटेगा।


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