स्टेलैंटिस क्राइसिस में फंसे अपने लक्जरी स्पोर्ट्स कार ब्रांड मसरेटी को बेचने के प्लान पर काम कर रही है। बात दरअसल यह है कि स्टेलैंटिस अपने 14 ब्रांड्स वाले लंबे-चौड़े पोर्टफोलियो को ओवरहॉल करने की कोशिश में है। स्टेलैंटिस ने हाल ही एंटोनियो फिलोसा को अपना नया सीईओ बनाया है और उनके आते ही मसरेटी के फ्यूचर को लेकर बात शुरू हो गई। फ्रेंच-इटालियन ऑटोमोटिव कंपनी स्टेलैंटिस के 14 ब्रांड्स में जीप, क्राइसलर, प्यूजो, और अल्फा रोमियो शामिल हैं। अन्य यूरोपियन कारमेकरों की तरह, दुनिया की चौथी सबसे बड़ी ऑटोमेकर भी यूएस प्रेसिडेंट डॉनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए भारी इम्पोर्ट टैरिफ और चीनी कंपीटिशन से पैदा हुए कड़े चैलेंज से जूझ रही है। स्टेलैंटिस ने अप्रैल की शुरुआत में मैकिंजी को आगे का रास्ता सुझाने के लिए कंसल्टेंट बनाया था। मसरेटी और अल्फा रोमियो अपने फ्यूचर के प्लान को रिव्यू कर रही हैं ऐसे में मैकिंजी को इन पर ट्रंप टैरिफ के असर को समझने का काम दिया गया है। मैकिंजी मसरेटी को बेचने के विकल्प पर भी विचार कर रही है। हालांकि स्टेलैंटिस के प्रवक्ता ने कहा कि मसरेटी बिकाऊ नहीं है। फिलोसा के पूर्ववर्ती कार्लोस टावारेस, जिन्होंने यूएस मार्केट में खराब प्रदर्शन के बाद दिसंबर में रिजाइन किया, उन्होंने किसी भी ब्रांड को बेचने के प्लान से इनकार किया था। हालांकि कुछ इनवेस्टर्स और एनालिस्ट्स का कहना है कि स्टेलैंटिस को पोर्टफोलियो को स्ट्रीमलाइन करने की जरूरत है। वर्ष 2024 में मसरेटी की सेल्स आधी से भी ज्यादा घटकर केवल 11,300 यूनिट्स रह गई। स्टेलैंटिस ने पिछले साल मसरेटी के बिजनस प्लान को रोक दिया था इसलिए उसके पास फिलहाल नए मॉडल का कोई लॉन्च प्लान नहीं है। हालांकि मसरेटी के ब्रांड हेड सान्तो फिसीली ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि फिलोसा के सीईओ का पद संभालने के बाद नए मॉडल का प्लान पेश किया जाएगा। एनेलिस्ट कहते हैं कि 14 ब्रांड्स का बड़ा पोर्टफोलियो होने के कारण स्टेलैंटिस सभी ब्रांड्स में सही तरह से इंवेस्ट नहीं कर पा रही है ऐसे में कंपनी को प्राथमिकता तय करनी होगी। हालांकि रिपोर्ट्स में कहा गया है कि मैकिंजी को मसरेटी को बेचने के लिए खरीदार तलाशने का काम नहीं दिया गया है। मैकिंजी को बेचने सहित मसरेटी के लिए सभी विकल्पों पर विचार करने के कहा गया है। हालांकि चेरी जैसे चीनी ऑटोमेकर मसरेटी जैसे ऐसे यूरोपीय ऑटो ब्रांड्स में दिलचस्पी ले सकते हैं। इससे उन्हें यूरोप के मार्केट में अपना दखल बढ़ाने में मदद मिल सकती है। आप जानते हैं चीन की साइक ने 2007 में ब्रिटेन की एमजी मोटर और 2010 में गीली ने स्वीडन की वोल्वो को खरीदा था। आप यह भी जानते हैं कि यूके के पावरब्रांड जेएलआर को टाटा मोटर्स ने 2008 में 2.3 बिलियन डॉलर में खरीदा था।