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12-04-2025

ग्लोबल अनिश्चितता के बीच ‘इंडिया’ दूसरे उभरते बाजारों से बेहतर प्रदर्शन करने को तैयार : जेफरीज

  •  वैश्विक ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने भारत पर ओवरवेट कॉल जारी करते हुए कहा है कि बढ़ती वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत दूसरे उभरते बाजारों (ईएम) से बेहतर प्रदर्शन करने को तैयार है। अपने लेटेस्ट नोट में जेफरीज ने कहा कि हालांकि सूचकांक के पूर्ण प्रदर्शन का अनुमान लगाना कठिन है, लेकिन भारत को अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन करने वाला देश बनना चाहिए। जेफरीज ने कहा कि अमेरिका और चीन की मांग के प्रति भारत का सीमित जोखिम एक की-बफर है। सबसे बड़ा एक्सपोर्ट पार्टनर होने के बावजूद भी अमेरिका को भारत का एक्सपोर्ट देश के सकल घरेलू उत्पाद का मात्र 2.3 प्रतिशत है। व्यापार अधिशेष भी उतना ही मामूली है, जिससे अमेरिका की सख्त व्यापार नीति का प्रभाव कम हो जाता है। अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 26 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। लेकिन यह आंकड़ा चीन, इंडोनेशिया और ताइवान पर लगाए गए शुल्कों की तुलना में अभी भी कम है। जेफरीज के नोट के अनुसार, वास्तव में, भारत सरकार अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार वार्ता के तहत अधिक अनुकूल शर्तें हासिल करने के बारे में काफी आश्वस्त है। ब्रेंट क्रूड के इस साल अब तक लगभग 20 प्रतिशत की गिरावट के साथ लगभग 60 डॉलर प्रति बैरल पर आने से भारत को अप्रत्याशित लाभ हो रहा है, जो कि एक प्रमुख शुद्ध तेल आयातक है। जेफरीज का मानना है कि इस गिरावट से चालू खाता शेष में सुधार होता है, अमेरिकी व्यापार अधिशेष में संभावित कमी की भरपाई होती है और यहां तक कि सरकार को उच्च ईंधन शुल्क से राजस्व में वृद्धि भी मिलती है। ब्रोकरेज ने ऋणदाताओं, बिजली, दूरसंचार, ऑटो और रियल एस्टेट को प्राथमिकता दी है। विदेशी और घरेलू निवेशकों ने मार्च 2025 में भारतीय इक्विटी बाजार में मजबूत विश्वास दिखाया, जिसमें एफआईआई और डीआईआई दोनों ही शुद्ध खरीदार के रूप में उभरे। जेएम फाइनेंशियल सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के अनुसार, एफआईआई ने 975 मिलियन डॉलर का निवेश किया, जबकि डीआईआई ने महीने के दौरान 4.3 बिलियन डॉलर की शुद्ध खरीद के साथ और भी मजबूत योगदान दिया। इस महीने एफआईआई सेंटीमेंट में शानदार बदलाव देखा गया। मार्च के पहले पखवाड़े में यानी 19 तारीख तक, एफआईआई शुद्ध विक्रेता थे, लेकिन बाद के पखवाड़े में एग्रेसिव खरीदार बन गए और भारतीय इक्विटी में 3.6 बिलियन डॉलर का निवेश किया। इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को कहा कि 90-दिवसीय विराम समाप्त होने पर जो व्यापारिक साझेदार देश 9 जुलाई तक अमेरिका के साथ समझौता करने में सक्षम नहीं होगा, उसके लिए अमेरिका आने वाले सामानों पर मूल रूप से घोषित रेसिप्रोकल दर पर टैरिफ लगाया जाएगा। इस खबर के कारण शुक्रवार को सुबह के कारोबार में भारतीय शेयर बाजार में उछाल आया।

     
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ग्लोबल अनिश्चितता के बीच ‘इंडिया’ दूसरे उभरते बाजारों से बेहतर प्रदर्शन करने को तैयार : जेफरीज

 वैश्विक ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने भारत पर ओवरवेट कॉल जारी करते हुए कहा है कि बढ़ती वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत दूसरे उभरते बाजारों (ईएम) से बेहतर प्रदर्शन करने को तैयार है। अपने लेटेस्ट नोट में जेफरीज ने कहा कि हालांकि सूचकांक के पूर्ण प्रदर्शन का अनुमान लगाना कठिन है, लेकिन भारत को अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन करने वाला देश बनना चाहिए। जेफरीज ने कहा कि अमेरिका और चीन की मांग के प्रति भारत का सीमित जोखिम एक की-बफर है। सबसे बड़ा एक्सपोर्ट पार्टनर होने के बावजूद भी अमेरिका को भारत का एक्सपोर्ट देश के सकल घरेलू उत्पाद का मात्र 2.3 प्रतिशत है। व्यापार अधिशेष भी उतना ही मामूली है, जिससे अमेरिका की सख्त व्यापार नीति का प्रभाव कम हो जाता है। अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 26 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। लेकिन यह आंकड़ा चीन, इंडोनेशिया और ताइवान पर लगाए गए शुल्कों की तुलना में अभी भी कम है। जेफरीज के नोट के अनुसार, वास्तव में, भारत सरकार अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार वार्ता के तहत अधिक अनुकूल शर्तें हासिल करने के बारे में काफी आश्वस्त है। ब्रेंट क्रूड के इस साल अब तक लगभग 20 प्रतिशत की गिरावट के साथ लगभग 60 डॉलर प्रति बैरल पर आने से भारत को अप्रत्याशित लाभ हो रहा है, जो कि एक प्रमुख शुद्ध तेल आयातक है। जेफरीज का मानना है कि इस गिरावट से चालू खाता शेष में सुधार होता है, अमेरिकी व्यापार अधिशेष में संभावित कमी की भरपाई होती है और यहां तक कि सरकार को उच्च ईंधन शुल्क से राजस्व में वृद्धि भी मिलती है। ब्रोकरेज ने ऋणदाताओं, बिजली, दूरसंचार, ऑटो और रियल एस्टेट को प्राथमिकता दी है। विदेशी और घरेलू निवेशकों ने मार्च 2025 में भारतीय इक्विटी बाजार में मजबूत विश्वास दिखाया, जिसमें एफआईआई और डीआईआई दोनों ही शुद्ध खरीदार के रूप में उभरे। जेएम फाइनेंशियल सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के अनुसार, एफआईआई ने 975 मिलियन डॉलर का निवेश किया, जबकि डीआईआई ने महीने के दौरान 4.3 बिलियन डॉलर की शुद्ध खरीद के साथ और भी मजबूत योगदान दिया। इस महीने एफआईआई सेंटीमेंट में शानदार बदलाव देखा गया। मार्च के पहले पखवाड़े में यानी 19 तारीख तक, एफआईआई शुद्ध विक्रेता थे, लेकिन बाद के पखवाड़े में एग्रेसिव खरीदार बन गए और भारतीय इक्विटी में 3.6 बिलियन डॉलर का निवेश किया। इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को कहा कि 90-दिवसीय विराम समाप्त होने पर जो व्यापारिक साझेदार देश 9 जुलाई तक अमेरिका के साथ समझौता करने में सक्षम नहीं होगा, उसके लिए अमेरिका आने वाले सामानों पर मूल रूप से घोषित रेसिप्रोकल दर पर टैरिफ लगाया जाएगा। इस खबर के कारण शुक्रवार को सुबह के कारोबार में भारतीय शेयर बाजार में उछाल आया।

 

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