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04-04-2025

जल्दी सुनवाई की अपील को लेकर अदालत ने अनिल अंबानी पर 25,000 रुपये का ‘जुर्माना’ लगाया

  •  बंबई उच्च न्यायालय ने उद्योगपति अनिल अंबानी पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना आयकर विभाग के अप्रैल 2022 में जारी नोटिस को चुनौती देने वाली अपनी याचिका पर बिना मतलब तत्काल सुनवाई के अनुरोध को लेकर लगाया गया है। न्यायाधीश एम एस सोनक और जितेंद्र जैन की खंडपीठ ने कहा कि मामले को जरूरी बताया गया जबकि ऐसा कुछ नहीं था। खंडपीठ ने कहा कि एक गलत धारणा बनाकर मामले को जरूरी बताकर तत्काल सुनवाई की सुविधा का लाभ नहीं उठाया जा सकता। अदालत ने 27 मार्च के अपने आदेश में कहा कि इसके अलावा, चुनौती केवल कारण बताओ नोटिस को दी गई। खंडपीठ ने याचिका पर तत्काल सुनवाई के आग्रह को लेकर अंबानी के आवेदन को खारिज कर दिया और 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया। जुर्माना राशि दो सप्ताह के भीतर टाटा मेमोरियल अस्पताल को देने को कहा गया है। एक अप्रैल को जब याचिका नियमित सुनवाई के लिए आई, तो अंबानी के वकील रफीक दादा ने पीठ के समक्ष कहा कि 27 मार्च को कर विभाग ने संबंधित आकलन वर्ष के लिए अपना आदेश पारित किया था। उन्होंने याचिका वापस लेने का आग्रह किया और पीठ को सूचित किया कि लगाया गया जुर्माना जमा कर दिया गया है। अदालत ने बयान को स्वीकार कर लिया और याचिका को वापस ले लिया गया मानते हुए उसका निपटान कर दिया।

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जल्दी सुनवाई की अपील को लेकर अदालत ने अनिल अंबानी पर 25,000 रुपये का ‘जुर्माना’ लगाया

 बंबई उच्च न्यायालय ने उद्योगपति अनिल अंबानी पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना आयकर विभाग के अप्रैल 2022 में जारी नोटिस को चुनौती देने वाली अपनी याचिका पर बिना मतलब तत्काल सुनवाई के अनुरोध को लेकर लगाया गया है। न्यायाधीश एम एस सोनक और जितेंद्र जैन की खंडपीठ ने कहा कि मामले को जरूरी बताया गया जबकि ऐसा कुछ नहीं था। खंडपीठ ने कहा कि एक गलत धारणा बनाकर मामले को जरूरी बताकर तत्काल सुनवाई की सुविधा का लाभ नहीं उठाया जा सकता। अदालत ने 27 मार्च के अपने आदेश में कहा कि इसके अलावा, चुनौती केवल कारण बताओ नोटिस को दी गई। खंडपीठ ने याचिका पर तत्काल सुनवाई के आग्रह को लेकर अंबानी के आवेदन को खारिज कर दिया और 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया। जुर्माना राशि दो सप्ताह के भीतर टाटा मेमोरियल अस्पताल को देने को कहा गया है। एक अप्रैल को जब याचिका नियमित सुनवाई के लिए आई, तो अंबानी के वकील रफीक दादा ने पीठ के समक्ष कहा कि 27 मार्च को कर विभाग ने संबंधित आकलन वर्ष के लिए अपना आदेश पारित किया था। उन्होंने याचिका वापस लेने का आग्रह किया और पीठ को सूचित किया कि लगाया गया जुर्माना जमा कर दिया गया है। अदालत ने बयान को स्वीकार कर लिया और याचिका को वापस ले लिया गया मानते हुए उसका निपटान कर दिया।


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