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08-04-2025

एनसीएलएटी ने जी एंटरटेनमेंट के खिलाफ आईडीबीआई बैंक की दिवाला कार्यवाही शुरू करने की याचिका खारिज की

  •  राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील अधिकरण (एनसीएलएटी) ने आईडीबीआई बैंक की उस याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया जिसमें जी एंटरटेनमेंट के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया गया था। एनसीएलएटी की दो सदस्यीय पीठ ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (एनसीएलटी) की मुंबई पीठ द्वारा पारित आदेश को बरकरार रखा जिसने जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (जेडईईएल) के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू करने की निजी ऋणदाता की याचिका को खारिज कर दिया था। प्राधिकरण ने हालांकि आईडीबीआई बैंक को दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) की धारा 10ए में उल्लिखित अवधि से परे चूक के लिए नई याचिका दायर करने की स्वतंत्रता प्रदान की। धारा 10ए के अनुसार, किसी भी वित्तीय व परिचालन लेनदार द्वारा 25 मार्च 2020 को या उसके बाद उत्पन्न किसी भी चूक के लिए एक वर्ष की अवधि तक किसी भी देनदार के खिलाफ कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) शुरू करने के लिए कोई आवेदन दायर नहीं किया जा सकता है।  कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान लॉकडाउन के बाद चरणबद्ध तरीके से आर्थिक गतिविधियां फिर से शुरू होने के बाद कंपनियों की मदद के लिए सरकार ने आईबीसी में यह विशेष प्रावधान शामिल किया था। आईडीबीआई बैंक ने 19 मई 2023 को पारित एनसीएलटी के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें न्यायाधिकरण ने उसकी याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) की धारा 10ए के तहत यह अनुरोध उचित नहीं है। एनसीएलटी पीठ ने अपने आदेश में कहा कि आईडीबीआई बैंक से उधार लेने वाले ‘सिटी नेटवर्क्स’ ने भुगतान में चूक की है और जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (जील) इसकी कॉर्पोरेट गारंटर है। हालांकि, यह चूक आईबीसी की धारा 10ए के तहत निर्दिष्ट समय-सीमा के दौरान की गई। एनसीएलटी ने कहा कि धारा 10ए 25 मार्च 2020 या उसके बाद 25 मार्च 2021 तक की गई चूक के लिए संहिता की धारा 7, 9 और 10 के तहत किसी भी आवेदन को दायर करने पर पूर्णत: और हमेशा के लिए रोक लगाती है। सिटी नेटवर्क्स ने कार्यशील पूंजी सुविधा के लिए 150 करोड़ रुपये का ऋण लिया है और समझौते के अनुसार उसे ऋण सेवा आरक्षित खाता (डीएसआरए) बनाए रखना होगा। डीएसआरए में, कार्यशील पूंजी पर ब्याज के दो तिमाहियों के बराबर ‘क्रेडिट बैलेंस’ को सिटी नेटवर्क्स द्वारा पुनर्भुगतान तक हर समय बनाए रखना आवश्यक था। हालांकि इसमें चूक हुई। आईडीबीआई बैंक ने पांच मार्च 2021 को जील द्वारा प्रदान की गई गारंटी को लागू किया और 18 फरवरी 2021 से आगे के ब्याज के साथ उससे 61.97 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा। उसने चूक के लिए 149.60 करोड़ रुपये की राशि का दावा किया है।

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एनसीएलएटी ने जी एंटरटेनमेंट के खिलाफ आईडीबीआई बैंक की दिवाला कार्यवाही शुरू करने की याचिका खारिज की

 राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील अधिकरण (एनसीएलएटी) ने आईडीबीआई बैंक की उस याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया जिसमें जी एंटरटेनमेंट के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया गया था। एनसीएलएटी की दो सदस्यीय पीठ ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (एनसीएलटी) की मुंबई पीठ द्वारा पारित आदेश को बरकरार रखा जिसने जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (जेडईईएल) के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू करने की निजी ऋणदाता की याचिका को खारिज कर दिया था। प्राधिकरण ने हालांकि आईडीबीआई बैंक को दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) की धारा 10ए में उल्लिखित अवधि से परे चूक के लिए नई याचिका दायर करने की स्वतंत्रता प्रदान की। धारा 10ए के अनुसार, किसी भी वित्तीय व परिचालन लेनदार द्वारा 25 मार्च 2020 को या उसके बाद उत्पन्न किसी भी चूक के लिए एक वर्ष की अवधि तक किसी भी देनदार के खिलाफ कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) शुरू करने के लिए कोई आवेदन दायर नहीं किया जा सकता है।  कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान लॉकडाउन के बाद चरणबद्ध तरीके से आर्थिक गतिविधियां फिर से शुरू होने के बाद कंपनियों की मदद के लिए सरकार ने आईबीसी में यह विशेष प्रावधान शामिल किया था। आईडीबीआई बैंक ने 19 मई 2023 को पारित एनसीएलटी के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें न्यायाधिकरण ने उसकी याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) की धारा 10ए के तहत यह अनुरोध उचित नहीं है। एनसीएलटी पीठ ने अपने आदेश में कहा कि आईडीबीआई बैंक से उधार लेने वाले ‘सिटी नेटवर्क्स’ ने भुगतान में चूक की है और जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (जील) इसकी कॉर्पोरेट गारंटर है। हालांकि, यह चूक आईबीसी की धारा 10ए के तहत निर्दिष्ट समय-सीमा के दौरान की गई। एनसीएलटी ने कहा कि धारा 10ए 25 मार्च 2020 या उसके बाद 25 मार्च 2021 तक की गई चूक के लिए संहिता की धारा 7, 9 और 10 के तहत किसी भी आवेदन को दायर करने पर पूर्णत: और हमेशा के लिए रोक लगाती है। सिटी नेटवर्क्स ने कार्यशील पूंजी सुविधा के लिए 150 करोड़ रुपये का ऋण लिया है और समझौते के अनुसार उसे ऋण सेवा आरक्षित खाता (डीएसआरए) बनाए रखना होगा। डीएसआरए में, कार्यशील पूंजी पर ब्याज के दो तिमाहियों के बराबर ‘क्रेडिट बैलेंस’ को सिटी नेटवर्क्स द्वारा पुनर्भुगतान तक हर समय बनाए रखना आवश्यक था। हालांकि इसमें चूक हुई। आईडीबीआई बैंक ने पांच मार्च 2021 को जील द्वारा प्रदान की गई गारंटी को लागू किया और 18 फरवरी 2021 से आगे के ब्याज के साथ उससे 61.97 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा। उसने चूक के लिए 149.60 करोड़ रुपये की राशि का दावा किया है।


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