भारत सरकार सेज (स्पेशल इकोनॉमिक जोन) यूनिट्स को ड्यूटी फोरगोन आधार पर लोकल मार्केट में माल बेचने की अनुमति देने के प्लान पर काम कर रही है। सूत्रों के अनुसार लोकल मार्केट में एक्सपोर्ट क्वॉलिटी के प्रॉडक्ट्स मिलने से कंपीटिटिवनैस बढ़ाने में मदद मिलेगी। स्पेशल इकोनॉमिक जोन एक्ट में संशोधन में हो रही देरी को देखते हुए एक्जेक्टिव ऑर्डर के जरिए यह छूट दे सकती है। सेज में चल रही यूनिट्स को इनपुट टेक्स क्रेडिट (एक्सपोर्ट इंसेंटिव) दिया जाता है। ड्यूटी फोरगोन कॉन्सेप्ट के जरिए वहीं इंसेंटिव अब लोकल मार्केट में प्रॉडक्ट्स बेचने पर भी मिलेगा। माना जा रहा है कि सेज के लिए यह बड़ी राहत होगी जिन्हें मिनिमम अल्टरनेट टैक्स (मैट) लागू होने और डायरेक्ट टेक्स कर छूट की सनसेट क्लॉज के बाद से नुकसान झेलना पड़ा है। रिपोर्ट्स के अनुसार सेज यूनिट्स लोकल मार्केट में कस्टम ड्यूटी की जगह सिर्फ ड्यूटी फोरगोन (इनपुट्स पर मिला टेक्स क्रेडिट) के आधार पर सामान बेचने की अनुमति की लंबे समय से मांग कर रही थीं। इससे टैक्स बोझ घटेगा और लोकल मैन्युफैक्चरर के मुकाबले सेज यूनिट्स के प्रॉडक्ट्स कंपीटिटिव हो सकेंगे। वर्तमान नियमों के तहत सेज यूनिट्स को पूरी कस्टम्स ड्यूटी चुकाने के बाद ही लोकल मार्केट में प्रॉडक्ट्स बेचने की बेचने की अनुमति है। लेकिन कस्टम्स ड्यूटी लग जाने से ये प्रॉडक्ट इंपोर्टेड की तरह महंगे हो जाते हैं और प्राइस कंपीटिशन में टिक नहीं पाते। हाल में सरकार ने सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेंट मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए सेज नियमों में कई नियामक सुधार किए हैं।