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26-06-2025

जुनून पर भारी पड़ती ‘जरूरतें’!

  •  अपना Passion (जुनून) फॉलो करने की इच्छा रखने वाले कितने लोग अपनी पसंद का काम हासिल करने में सफल हो पा रहे हैं, यह सभी जानते हैं लेकिन ज्यादातर लोग भले ही कोई भी काम या जॉब कर रहे हो उनके लिए Side Income यानि एक से ज्यादा तरीकों से कमाई करना मजबूरी बनता जा रहा है। ऐसा क्यों हो रहा है इसके कई कारण हैं पर सबसे बड़ा कारण यह है कि एक जॉब या काम करके जितनी जरूरत है उतनी इनकम हासिल नहीं हो पा रही है। यह स्थिति बता रही है कि वर्किंग क्लास की इनकम के मुकाबले उनके खर्चे ज्यादा होने लगे हैं या उनके खर्चों को पूरा करने जितनी इनकम वे एक जॉब या काम से नहीं कमा पा रहे हैं इकोनोमिक्स की दुनिया के इंटेलिजेंट लोग, सरकार में ऊंचे पदों पर बैठे अफसर, पॉलिसियां बनाने वाले पढ़े-लिखे लोग, हर स्थिति को पहले समझने की पॉवर रखने वाली देश की Elite क्लास और हमेशा आगे बढऩे का सपना बेचकर पॉवर में आने वाले राजनेता इनकम और खर्चों के बीच बढ़ते जा रहे इस गैप को सही मानते हैं या गलत यह वे जाने पर Common Sense कहती है कि यह स्थिति इकोनोमी में कमजोरी का संकेत देने वाली मानी जाती है। यह भी कड़वा सच है कि इकोनोमी की सही स्थिति बता रहे इस सबसे बड़े संकेत को कोई स्वीकार करके बोलने या बताने की हिम्मत नहीं करेगा क्योंकि उनके पास कई दूसरे जरूरी कामों का दबाव है पर यह साफ होता जा रहा है कि आज की व आने वाली जेनरेशन के अधिकतर लोगों के पास एक समय में एक काम या जॉब करके अपनी बढ़ती जरूरतों को पूरी करने की लक्जरी और सहुलियत नहीं रह पाएगी। एक दिन में दो काम करने की मजबूरी इस बात का भी सबूत है कि अब कॅरियर बनाना पहले के मुकाबले मुश्किल और बिल्कुल अलग होता जा रहा है और लोग इस स्थिति को स्वीकारने की मानसिकता डवलप करने लगे हैं। पिछले जेनरेशन के ज्यादातर लोग जानते हैं कि पहले जब कोई अपने पसंद के कॅरियर में आगे बढऩे लगता था तो उसे दूसरा जॉब करके ज्यादा कमाई करने की आवश्यकता नहीं होती थी पर वर्ष 2008 व वर्ष 2020 की मंदी का सामना कर चुके 1996 के बाद जन्में लोग (Genz) इस डर में रहने लगे हैं कि मंदी का अगला दौर बिना आहट के कभी भी आ सकता है। इन्हें कभी भी नौकरी चले जाने, कही ट्रांसफर हो जाने, सैलेरी में कटौती होने या खुद को काम लायक अपडेट न कर पाने का डर घेरे रहता है जिसके चलते एक से ज्यादा जॉब इन्हें सुरक्षा की फीलिंग देते हैं। दूसरा काम या जॉब करने से ज्यादा दिलचस्प बात यह है कि लोग ऐसे काम भी करने लगे हैं जो उनकी पढ़ाई, टे्रनिंग या स्किल से दूर-दूर तक मेल नहीं खाते। ऐसा इसलिए है क्योंकि काम या जॉब अब Passion से नहीं बल्कि Needs  (जरूरतों)  से तय होने लगे हैं और जरूरतें लोगों को कैसा भी काम करने के लिए तैयार करने की पॉवर रखती है। दो काम/जॉब करने के बढ़ते ट्रेंड को देखते हुए कई कॉलेज, यूनिवर्सिटी व स्कूल अपने स्टूडेंट को उनकी पढ़ाई से बिल्कुल अलग तरह-तरह की स्किल सिखाने लगे हैं ताकि उनके पास जॉब/काम करने के ज्यादा मौके उपलब्ध रह सके। कई लोगों के लिए अपना व  परिवार का जहां है वहां Survival (बने रहना) सबसे बड़ा चैलेंज बनता जा रहा है जिसके चलते एक समय में दो काम/जॉब की तरह ओवरटाइम, लॉटरी, सट्टा, इंवेस्टमेंट, किराया, ब्याज आदि जैसी Side Income बड़ी संख्या में संपन्न क्लास को भी लुभाने लगी है। जो भी स्थितियां बन रही है वह समझते सभी है पर कुछ कर पाने की इच्छाशक्ति अब लोगों में शायद नहीं बची तभी तो जीवन के कॅरियर बनाने के सबसे बड़े Passion को अपनी Needs के सामने हारते हुए देखने के दर्द का अहसास भी सामने नहीं आ पा रहा है। यह बताता है कि Needs को बढ़ाते-बढ़ाते उन्हें पूरा करते रहने में तन और मन झोंककर रखने की व्यवस्था को हर हाल में स्वीकार करना ही आगे बढऩे की निशानी बन गई है जबकि जरूरतों को सीमित बनाकर रखने की ‘सीख’ दुनिया के कई सफल व वेल्दी लोग देते आए हैं और इस ‘सीख’ का योगदान वेल्थ क्रिएशन करने व जुनून को आजमाने के मामले में कम नहीं कहा जा सकता।

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जुनून पर भारी पड़ती ‘जरूरतें’!

 अपना Passion (जुनून) फॉलो करने की इच्छा रखने वाले कितने लोग अपनी पसंद का काम हासिल करने में सफल हो पा रहे हैं, यह सभी जानते हैं लेकिन ज्यादातर लोग भले ही कोई भी काम या जॉब कर रहे हो उनके लिए Side Income यानि एक से ज्यादा तरीकों से कमाई करना मजबूरी बनता जा रहा है। ऐसा क्यों हो रहा है इसके कई कारण हैं पर सबसे बड़ा कारण यह है कि एक जॉब या काम करके जितनी जरूरत है उतनी इनकम हासिल नहीं हो पा रही है। यह स्थिति बता रही है कि वर्किंग क्लास की इनकम के मुकाबले उनके खर्चे ज्यादा होने लगे हैं या उनके खर्चों को पूरा करने जितनी इनकम वे एक जॉब या काम से नहीं कमा पा रहे हैं इकोनोमिक्स की दुनिया के इंटेलिजेंट लोग, सरकार में ऊंचे पदों पर बैठे अफसर, पॉलिसियां बनाने वाले पढ़े-लिखे लोग, हर स्थिति को पहले समझने की पॉवर रखने वाली देश की Elite क्लास और हमेशा आगे बढऩे का सपना बेचकर पॉवर में आने वाले राजनेता इनकम और खर्चों के बीच बढ़ते जा रहे इस गैप को सही मानते हैं या गलत यह वे जाने पर Common Sense कहती है कि यह स्थिति इकोनोमी में कमजोरी का संकेत देने वाली मानी जाती है। यह भी कड़वा सच है कि इकोनोमी की सही स्थिति बता रहे इस सबसे बड़े संकेत को कोई स्वीकार करके बोलने या बताने की हिम्मत नहीं करेगा क्योंकि उनके पास कई दूसरे जरूरी कामों का दबाव है पर यह साफ होता जा रहा है कि आज की व आने वाली जेनरेशन के अधिकतर लोगों के पास एक समय में एक काम या जॉब करके अपनी बढ़ती जरूरतों को पूरी करने की लक्जरी और सहुलियत नहीं रह पाएगी। एक दिन में दो काम करने की मजबूरी इस बात का भी सबूत है कि अब कॅरियर बनाना पहले के मुकाबले मुश्किल और बिल्कुल अलग होता जा रहा है और लोग इस स्थिति को स्वीकारने की मानसिकता डवलप करने लगे हैं। पिछले जेनरेशन के ज्यादातर लोग जानते हैं कि पहले जब कोई अपने पसंद के कॅरियर में आगे बढऩे लगता था तो उसे दूसरा जॉब करके ज्यादा कमाई करने की आवश्यकता नहीं होती थी पर वर्ष 2008 व वर्ष 2020 की मंदी का सामना कर चुके 1996 के बाद जन्में लोग (Genz) इस डर में रहने लगे हैं कि मंदी का अगला दौर बिना आहट के कभी भी आ सकता है। इन्हें कभी भी नौकरी चले जाने, कही ट्रांसफर हो जाने, सैलेरी में कटौती होने या खुद को काम लायक अपडेट न कर पाने का डर घेरे रहता है जिसके चलते एक से ज्यादा जॉब इन्हें सुरक्षा की फीलिंग देते हैं। दूसरा काम या जॉब करने से ज्यादा दिलचस्प बात यह है कि लोग ऐसे काम भी करने लगे हैं जो उनकी पढ़ाई, टे्रनिंग या स्किल से दूर-दूर तक मेल नहीं खाते। ऐसा इसलिए है क्योंकि काम या जॉब अब Passion से नहीं बल्कि Needs  (जरूरतों)  से तय होने लगे हैं और जरूरतें लोगों को कैसा भी काम करने के लिए तैयार करने की पॉवर रखती है। दो काम/जॉब करने के बढ़ते ट्रेंड को देखते हुए कई कॉलेज, यूनिवर्सिटी व स्कूल अपने स्टूडेंट को उनकी पढ़ाई से बिल्कुल अलग तरह-तरह की स्किल सिखाने लगे हैं ताकि उनके पास जॉब/काम करने के ज्यादा मौके उपलब्ध रह सके। कई लोगों के लिए अपना व  परिवार का जहां है वहां Survival (बने रहना) सबसे बड़ा चैलेंज बनता जा रहा है जिसके चलते एक समय में दो काम/जॉब की तरह ओवरटाइम, लॉटरी, सट्टा, इंवेस्टमेंट, किराया, ब्याज आदि जैसी Side Income बड़ी संख्या में संपन्न क्लास को भी लुभाने लगी है। जो भी स्थितियां बन रही है वह समझते सभी है पर कुछ कर पाने की इच्छाशक्ति अब लोगों में शायद नहीं बची तभी तो जीवन के कॅरियर बनाने के सबसे बड़े Passion को अपनी Needs के सामने हारते हुए देखने के दर्द का अहसास भी सामने नहीं आ पा रहा है। यह बताता है कि Needs को बढ़ाते-बढ़ाते उन्हें पूरा करते रहने में तन और मन झोंककर रखने की व्यवस्था को हर हाल में स्वीकार करना ही आगे बढऩे की निशानी बन गई है जबकि जरूरतों को सीमित बनाकर रखने की ‘सीख’ दुनिया के कई सफल व वेल्दी लोग देते आए हैं और इस ‘सीख’ का योगदान वेल्थ क्रिएशन करने व जुनून को आजमाने के मामले में कम नहीं कहा जा सकता।


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