नई दिल्ली। गत सप्ताह नीचे वाले भाव में बारीक चावल में निर्यातकों की खरीद चलने से तेजी की सुगबुगाहट शुरू हो गयी है। सेला 1121 चावल मंदे के दलदल के बाद 200 रुपए तेज हो गया। इसके साथ-साथ अभी बारीक प्रजाति मेें भी इसी क्रम में मजबूती बनी हुई है। जून शिपमेंट की लिवाली को देखते हुए 300/400 रुपए की और तेजी लग रही है। वहीं दलहनों में उड़द 400 रुपए लुढ़क गया। तुवर भी 100 रुपए नीचे आ गयी। चना 300/325 रुपए लुढ़क गया। आलोच्य सप्ताह सभी बारीक चावल में निर्यातकों व स्टॉकिस्टों की मांग सुधरने सेे 150/200 रुपए का इजाफा हो गया। सेला 1121 चावल 200 रुपए बढ़कर 6150 रुपए प्रति क्विंटल हो गया। चीका की राइस मिलों में 6100 रुपए का व्यापार हुआ, लेकिन उसके बाद निर्यातकों को माल नहीं मिला। उधर तरावड़ी एवं कैथल की राइस मिलों में 6150/6181 रुपए तक व्यापार सुना गया। वहीं निसिंग के एक राइस मिल का 6211 रुपए तक 1121 सेला बढिय़ा लैन्थ वाला बिकने की खबर थी। व्यापारियों का कहना है कि अंदर का धान 3400 रुपए बोलने लगे हैं तथा इसकी मिलिंग करने पर 6500 रुपए की लागत पड़ रही है। स्टीम 7600/7700 का बैठ रहा है। नई फसल आने में अभी लम्बा समय बाकी है। इसे देखते हुए इसमें 200/300 रुपए की शीघ्र और तेजी लग रही है। गेहूं में भी 5/7 रुपए की मजबूती लिये बाजार बंद हुआ क्योंकि यूपी में सरकारी धर्मकांटों पर 50 हजार टन के करीब दैनिक आवक हो रही है तथा शत-प्रतिशत सरकार खरीद कर रही है। अब तक सकल खरीद 299.13 लाख टन पर पहुंच गयी है। वहीं हरियाणा में खरीद बिल्कुल बंद हो चुकी है। दलहनों में जीएसटी की दहशत से चौतरफा बिकवाली का माहौल बना हुआ है, जिससे उड़द 400 रुपए टूटकर एसक्यू 5900 रुपए एवं चंदौसी लाइन का 4900 रुपए रह गया। देशी चना भी लारेंस रोड पर खड़ी मोटर में 5450 से लुढ़ककर 5150 रुपए नीचे में रह गया। तुवर भी 150 रुपए टूटकर 3700 रुपए बिकने के बाद 3750 रुपए बोली गयी। जबकि मसूर 3700 रुपए की बिल्टी नीचे में बिकने के बाद 4000 रुपए पर पहुंच गयी, क्योंकि मुंबई में आयातक कनाडा के माल और घटाकर बेचने से पीछे हट गये। मंंूग में यूपी की नई फसल आने के बावजूद फसल में पोल के अंदेशे से 100 रुपए बाजार सुर्ख हो गया।
- एनएनएस