केरल समेत दक्षिण भारत में पिछले कुछ दिनों से मौसम धूप और बरसात का बना हुआ है। इसके बाद भी कालीमिर्च में हाल ही में थोड़ी तेजी आई है। अत: आगामी दिनों में हाजिर में कालीमिर्च मजबूत ही बनी रहने के आसार हैं। इस वर्ष का मानसून सीजन आधे से अधिक बीत गया है। बहरहाल, इन दिनों केरल में दिन में धूप खिली होने तथा रात में वर्षा होने की जानकारी मिली। अनुभवी व्यापारियों का कहना है कि यह मौसम कालीमिर्च की फसल के लिए लाभकारी साबित हो सकता है। हालांकि अभी राजधानी और इसके निकटवर्ती क्षेत्रों में मानसूनी वर्षा सामान्य के आसपास ही हुई है लेकिन अन्य राज्यों में अच्छी वर्षा होने तथा अनेक क्षेत्रों में बाढ़ आने या बाढ़ जैसे हालात बनने की खबरें भी आ रही हैं। श्रीलंका से आयातित माल भी देश में पहुंचने की प्रतीक्षा हो रही है। इसकी वजह से बिक्री में थोड़ा सुधार होने जबकि स्टॉक बढऩे की चर्चाएं चल रही हैं। बहरहाल, इससे पूर्व कर्नाटक में कालीमिर्च की नई फसल की अच्छी आवक हो रही थी। हालांकि इससे पूर्व चालू सीजन के दौरान केरल के बाद कर्नाटक में भी कालीमिर्च की नई फसल करीब 50 प्रतिशत ही आने का अनुमान व्यक्त किया गया था। केरल में भी कालीमिर्च का उत्पादन करीब 20-25 प्रतिशत कमजोर आने के अनुमान व्यक्त किए जा रहे थे। केरल में करीब छ: महीने पूर्व ही कालीमिर्च की नई फसल की आवक का श्रीगणेश हो गया था। इसके बाद करीब पांच-साढ़े पांच महीनों से कर्नाटक में भी मरकरा कालीमिर्च की फसल मंडिय़ों में आ रही है। इसकी अच्छी मात्रा में आवक भी हो रही है। इतना ही नहीं, इस बार इसका पूरा दबाव बनने की उम्मीद भी नहीं दिख रही है क्योंकि फसल करीब आधी ही आने की आशंका व्यक्त की जा रही है। बहरहाल, आपूर्ति कमजोर बनी होने की वजह से घरेलू बाजारों में हाल ही में इस प्रमुख किराना जिंस में तेजी भी आई है। दूसरी ओर, हाल ही के वर्षों में केरल में कालीमिर्च के व्यापार में उल्लेखनीय बदलाव हुआ है। राज्य के कालीमिर्च किसान सीधे ही खपतकर्ता राज्यों को इस प्रमुख किराना जिंस की आपूर्ति कर रहे हैं। राज्य की कोच्चि समेत अन्य बड़ी मंडिय़ों में इसकी आवक नगण्य ही बनी हुई है। हालांकि केरल के ग्रामीण तथा देहाती क्षेत्रों में न केवल नई फसल ही आ रही है बल्कि अन्य खपतकार राज्यों के लिए किसानों द्वारा वहीं से इसकी आपूर्ति के सौदे भी किए जा रहे हैं। बीते कुछ समय से केरल की कोच्चि समेत अन्य प्रमुख मंडिय़ों में कालीमिर्च का थोक व्यापार सुस्त बना हुआ है। आवक भी नीची बताई जा रही है। पूर्व में रहे विपरीत मौसम और इसकी वजह से कर्नाटक और केरल जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों से कालीमिर्च की आपूर्ति सामान्य से तंग बनी हुई थी। आपूर्ति और उपलब्धता सामान्य से तंग होने और लिवाली बढऩे यहां स्थित थोक किराना बाजार में कालीमिर्च मरकरा 5 रुपए और बढक़र फिलहाल 720-730 रुपए प्रति किलोग्राम पर बनी हुई है। इससे पूर्व इसमें 15 रुपए की तेजी आई थी। कोच्चि में इसकी कीमत हाल ही में 10 रुपए मंदी होकर 680/690 रुपए प्रति किलोग्राम पर बनी होने की जानकारी मिली। इससे पूर्व इसमें 10-15 रुपए की तेजी आई थी। मसाला बोर्ड के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार हाल ही में समाप्त हुए वित्त वर्ष 2025-26 के आरंभिक दो महीनों में देश से कुल 215.46 करोड़ रुपए कीमत की 3661.78 टन कालीमिर्च का निर्यात हुआ है। एक वर्ष पूर्व की आलोच्य अवधि में इसकी 3296.32 टन मात्रा का निर्यात हुआ था और इससे 144.74 करोड़ रुपए की आय हुई थी। आगामी दिनों में हाजिर में कालीमिर्च मजबूत ही बनी रहने का अनुमान है।