मखाने की फसल इस बार बिहार के सभी उत्पादक क्षेत्रों में बढिय़ा बताई जा रही है, लेकिन फसल में 15 दिन का विलंब होने एवं पुराना माल शॉर्टेज में आने से नई माल के प्रेशर से पहले एक बार बाजार 140/150 रुपए बढ़ सकता है। मखाने की नई फसल दरभंगा गुलाब बाग पूर्णिया काढ़ागोला, मालदा दालखोला, गेराबारी, हरिशचंद्रपुर आदि सभी उत्पादक क्षेत्रों में बढिय़ा बताई जा रही है, लेकिन पुराना माल उक्त मंडियों में पूरी तरह समाप्त हो चुका है, जिससे माल मिलना मुश्किल हो गया है। केसरवानी ब्रदर्स के प्रोपराइटर जितेंद्र केसरी का कहना है कि दिल्ली सहित उत्तर भारत की मंडियों में ग्राहकी पिछले एक महीने से बहुत ही कम रह जाने से अपेक्षित तेजी नहीं बन पाई, लेकिन उत्पादक मंडियों में माल पूरी तरह समाप्त हो चुका है। पूर्णिया लाइन में 1000/1025 रुपए प्रति किलो के भाव में भी प्रचुर मात्रा में माल मांगने पर नहीं मिलेगा। इसी तरह हरदा हरिशचंद्रपुर लाइन में भी 1075/1100 रुपए प्रति किलो के भाव बोल रहे हैं, लेकिन हाजिर में माल मांगने पर वहां उपलब्ध नहीं है। हम मानते हैं कि 20 दिन बाद नया माल उत्पादक मंडियों में शुरू हो जाएगा, लेकिन उस समय रक्षाबंधन एवं श्री कृष्ण जन्माष्टमी की खपत के लिए लिवाली रहेगी, इस वजह से मंदा अगस्त के दूसरे पखवाड़े में ही आएगा। बाजारों में चर्चा है कि आगे के सौदे 700 रुपए प्रति किलो के भाव से पूर्णिया लाइन में छिटपुट होने लगे हैं, लेकिन वह माल कब मिलेगा, इसकी अभी गारंटी नहीं है। फिलहाल कुल मिलाकर यहां ग्राहकी कमजोर होने से एवरेज माल 1150/1250 रुपए प्रति किलो के बीच चल रहे हैं, बढिय़ा सिलेक्टेड माल 1600/1700 रुपए भी कारोबारी बोल रहे हैं, लेकिन कुल मिलाकर ग्राहकी अनुकूल नहीं है। पिछले दो दिनों से बाजार में पूछपरक आने लगी है, उधर जयपुर लुधियाना अमृतसर लखनऊ कानपुर आगरा एवं सहारनपुर लाइन में भी बिक्री निकलने लगी है, इसे देखते हुए अगले 10 दिनों में बाजार यहां से तेज लग रहा है। अत: अभी घबराकर माल काटने की कोई जरूरत नहीं है। नया माल आने पर पाइप लाइन में माल नहीं होने से वहीं पर कारोबारी बाजार को घटने नहीं देंगे। गौरतलब है कि इस बार जो भी माल है, उत्तर भारत के वितरक मंडियों में ही थोड़ा बहुत पड़ा है, इसलिए अभी टेंशन फ्री व्यापार करना चाहिए।