गत अक्टूबर से मटर का वायदा व्यापार सरकार द्वारा शुरू किया गया है। दूसरी ओर कनाडा से भारत सरकार का कुछ खटास पैदा होने से आयातक बंदरगाहों पर स्टाक के माल की बिकवाली घटाकर बेचने से पीछे हट गए हैं। यहां भी मंदिर के दलदल के बाद बाजार ठहर गए हैं, जिससे 2/3 रुपए प्रति किलो की कम से कम अगले महीने सुधार लग रहा है। यूपी एमपी में इस बार मटर की बिजाई 40 प्रतिशत कम होने की अभी तक खबरें आ रही है। किसान मंदे भाव देखकर लगातार दूसरी फसलें बिजाई करने में लगे हुए हैं। सब्जियों में टमाटर गोभी एवं हरी मिर्च की खेती ज्यादा हो रही है, आलू भी ज्यादा बोया गया है। इसका प्रभाव मटर की बिजाई पर प्रतिकूल पड़ा था तथा उन दिनों मौसम भी गर्म होने से कम ग्रोथ में ही मटर में फूल लगने लगे थे। इसके लिए टेंपरेचर आकर दिसंबर के बाद हुआ है, इसलिए उत्पादन कम होने की संभावना है। बिजाई का समय बीत चुका है नई फसल आ रही है, लेकिन प्रेशर में नहीं माल आ रहा है। जिस कारण हरी मटर के भाव ऊंचे होने से किसान पकाने के पक्ष में नहीं हैं। हम मानते हैं कि कनाडा की मटर भारतीय बंदरगाहों पर प्रचुर मात्रा में स्टॉक में पड़ी हुई है, इन सब के बावजूद भी सरकार द्वारा वायदा बाजार में मटर के व्यापार को अनुमति दे दिये जाने से अब कारोबारी हाजिर कंटेनर को घटकर नहीं बेच रहे हैं। भारतीय बंदरगाहों पर जो मटर 3320 रुपए बिकी थी, उसके भाव 3300/3350 रुपए बोलने लगे हैं। यहां भी छनी हुई मटर क्वालिटी अनुसार तेज बोलने लगे हैं। मटर की बिजाई किसानों द्वारा नीचे भाव को देखकर कम किया जा रहा है, अभी तक ललितपुर झांसी लाइन में बिजाई काफी कम हुई है। इस बार पिछेती बरसात से फसल भी लेट हो गई है। गौरतलब है कि कनाडा से भारतीय संबंध अच्छे नहीं होने से नए सौदी आयात कर करने से पीछे हट गए हैं तथा आगे के जो सौदे हुए हैं, वह भी शिपमेंट होने में डर बना हुआ है। इन परिस्थितियों में क्वालिटी अनुसार देसी विदेशी मटर में अच्छी तेजी के आसार बन गए हैं। अब तक 22-23 लाख मीट्रिक टन मटर आ चुकी है तथा सस्ती होने के चलते 16 लाख मीट्रिक टन खप चुकी है, कुछ बंदरगाहों पर एवं कुछ ट्रेडर्स के पास मंडियों में माल पड़ा हुआ है। अब वर्तमान में भारतीय बंदरगाह वाली मंडियों में काफी नीचे हाजिर में भाव सुनने में आ रहा है, यहां भी मटर 38 रुपए से कम में मिलना मुश्किल है। उधर घरेलू फसल की बिजाई चौतरफा कम बताई जा रही है तथा मटर आने में अभी 3 महीने का समय बाकी है तथा कनाडा में सितंबर-अक्टूबर में फसल आई है, लेकिन घरेलू मंडियों में मटर के भाव पिछले 8 महीने से लगातार टूटने से कनाडा में भी बिजाई कम हुई थी तथा प्रतिकूल मौसम होने से वहां उत्पादन में पोल की खबरें आ रही हैं। आयातकों का कहना है कि मटर में आई भारी गिरावट को देखकर अन्य उत्पादक देश भी मटर की बिजाई इस बार कम किये थे, ऐसी प्रत्यक्षदर्शी वहां बोल रहे हैं। दूसरी ओर वायदा बाजार में कल से मटर का व्यापार शुरू हो रहा है, इसका डिलीवरी सेंटर कानपुर रहने वाला है, इससे व्यापार में चाल बनने वाली है। जो मटर यहां 38 रुपए प्रति किलो छना हुआ बिका था, उसके भाव अब 38.5 रुपए बोलने लगे हैं। अत: यहां से मटर में अब मंदा नहीं लग रहा है।