धान का उत्पादन कम एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में चावल के ऊंचे भाव होने से निर्यातक हरियाणा पंजाब की राइस मिलों से लगातार खरीद कर रहे हैं, जिससे रूक रूक कर सरपट तेजी का रुख बना हुआ है तथा ऐसा आभास हो रहा है कि भविष्य में 10 रुपए प्रति किलो बासमती प्रजाति के चावल धीरे-धीरे और बढ़ जाएगी। पिछले कई वर्षों से बासमती प्रजाति के चावल में स्टॉकिस्टों को घाटे की मार झेलनी पड़ी है। राइस मिलों में ऊंचे भाव के धान फंसने से ब्याज भाड़ा लगाकर नुकसान रहा है, क्योंकि ऊंचे भाव सीजन पर ही बन गए थे। वहीं विश्वस्तरीय जंग एक दूसरे देशों से चलने से निर्यात अनुकूल नहीं रहा है तथा काफी निर्यातकों के चावल के भुगतान, हूती विद्रोहियों के अलावा कई तरह की कठिनाइयों से कई महीने तक समुद्री मार्ग बाधित रहने से निर्यात कम रहा। इस बार पंजाब में फसल को नुकसान हुआ है तथा सितंबर अक्टूबर में भाव धान के नीचे रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारतीय चावल के निर्यात के अवसर, यहां नीचे भाव होने से ज्यादा लग रहे हैं, इन परिस्थितियों में चालू सीजन बासमती चावल के व्यापार में रिस्क नहीं लग रहा है तथा अच्छी तेजी की उम्मीद दिखाई दे रही है। हरियाणा पंजाब के धान उत्पादक क्षेत्रों में बारीक धान की आपूर्ति सितंबर अक्टूबर की बरसात से अपेक्षाकृत कम हो रही है। मंडियों में जो आवक पिछले पखवाड़े औसतन में 78-80 लाख बोरी हो गई थी, वह कुछ बढक़र 65-66 लाख बोरी रह गई है। इसके अलावा अन्य राज्यों की मंडियों में 15-20 लाख बोरी दैनिक रह गई। इसके प्रभाव से धान के भाव पिछले सप्ताह 200/300 रुपए प्रति कुंतल तेज रहे। आज भी 50-60 रुपए बढक़र धान 1509 के भाव 3100/3250 रुपए के बीच हो गए हैं। 1718 धान 3450/3550 रुपए पर पहुंच गए हैं। इसके अलावा 1121 धान का उत्पादन अब काफी कम हो रहा है, उसके भाव 4050/4250 तक अलग-अलग मंडियों में बोल रहे हैं। इसके प्रभाव से पुन: बासमती चावल में लिवाली निकलने से 100/150 रुपए की और तेजी आ गई है। नया 1509 धान, 1718 एवं 1401 की बिजाई अधिक होने के बावजूद भी बाढ़ एवं बरसात से काफी प्रभावित हुई है, इसके अलावा पिछले महीने की लगातार बरसात से व्यापक नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है। उसमें भी उत्पादन और कम हो जाने से 27-28 प्रतिशत कम होने की ताजा रिपोर्ट आ रही है। यही कारण है कि टोहाना करनाल चीका सफीदों तरावड़ी कुरुक्षेत्र बहजोई जहांगीराबाद दादरी दनकौर उझानी रुद्रपुर बरेली आदि मंडियों में आवक गत वर्ष की तुलना में 36-37 प्रतिशत कम हो रही है। चावल 1509 में एक पखवाड़े के अंतराल 700 रुपए की बढ़त पर 6200/6300 रुपए यहां हो गए हैं तथा एक्स मिल में 6100/6200 रुपए तक व्यापार हुआ है। यह नीचे में 5300/5400 रुपए बिक गया था। आज भी बढ़त दर्ज की गई। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय चावल सस्ते पड़ रहे हैं, इसलिए निर्यातकों की खरीद आने लगी है। पाकिस्तान में भी धान की फसल को व्यापक नुकसान हुआ है।, जिस कारण वहां घरेलू चावल की तुलना में ऊंचे भाव चल रहे हैं। अत: वर्तमान भाव के बारीक चावल में 10 रुपए प्रति किलो की आने वाले समय में और तेजी आ जाएगी।