कोई भी व्यापारी कितना भी होशियार क्यों न हो, उसे दूसरों को मूर्ख समझने की भूल कभी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कमोडिटी व्यापार में हर व्यापारी अपनी जरूरतों और हिसाब-किताब से चलता है और बाजार में बैठे हर व्यक्ति की जरूरतें एक जैसी नहीं होतीं। ग्वार सीड और ग्वार गम व्यापार में भी इस समय कुछ ऐसी ही स्थिति है। पिछले दो सीजन से व्यापारियों ने ग्वार सीड का भाव प्रति क्विंटल 6650 रुपये से ऊपर नहीं देखा है। बाजार में इसकी कोई खास मांग भी नहीं है। हालांकि, दो महीने के वायदा के भावों में अंतर के कारण कैलेंडर स्प्रेड में व्यापार करने वालों को इस समय 12 से 14 फीसदी का ब्याज मिल रहा है। इसलिए ऐसे ब्याज आधारित निवेश करने वाले निवेशक को ग्वार सीड खरीदते देख मूर्ख समझने वाले व्यापारी ही गलती कर रहे हैं। यह सही है कि ग्वार सीड और ग्वार गम के दाम में लंबे समय से बढ़ोतरी नहीं हुई है। फिर भी इस सीजन में ग्वार सीड की खेती में कोई खास गिरावट नहीं आएगी। चूंकि इस बार मानसून जल्दी शुरू हुआ है, इसलिए बताया जा रहा है कि राजस्थान और गुजरात के ग्वार सीड उत्पादक इलाकों में जहां सिंचित जमीन है, वहां बुआई शुरू हो गई है। इन इलाकों की फसल सीजन से थोड़ा पहले आएगी। दूसरी ओर, स्टॉकिस्टों की ओर से भी इस बार मांग कम है। यही वजह है कि 21 अप्रैल को ग्वार गम का भाव प्रति क्विंटल 10228 रुपये था, जो 17 जून को गिरकर 9200 रुपये पर आ गया। जबकि ग्वार सीड का भाव 21 अप्रैल को 5337 रुपये प्रति क्विंटल था, जो 17 जून को गिरकर 5030 रुपये पर आ गय।
वर्ष 2023-24 में भारत का ग्वार सीड उत्पादन 9.55 लाख टन था और पिछले सीजन यानी 2024-25 में 10 लाख टन से थोड़ा अधिक उत्पादन होने की खबर है। अगर व्यापारियों का अनुमान सही रहा और बारिश समय पर हुई तो अगले सीजन में ग्वार सीड का उत्पादन 10 से 10.50 लाख टन होगा। जिससे आने वाले दिनों में कीमत में गिरावट भी आ सकती है। ऐसे में किसानों को बहुत ही समझदारी से बुआई करने की जरूरत है। मान लीजिए कि वर्तमान में एनसीडीईएक्स वायदा में ग्वार सीड का भाव सितंबर और अक्टूबर डिलीवरी के लिए 5200 रुपये प्रति क्विंटल है और पुट ऑप्शन में 5400 रुपये के भाव पर 100 से 150 रुपये का प्रीमियम देना पड़ रहा है तो किसानों को बुआई के समय ही पुट ऑप्शन खरीदकर न्यूनतम लाभ बुक कर लेना चाहिए। इसलिए, अगर डिलीवरी के समय कीमत कम भी हो, तो भी उन्हें अपनी मेहनत का उचित रिटर्न मिलेगा। इसके अलावा, अगर डिलीवरी के समय कीमत 5600 रुपये से ऊपर जाती है, तो वे प्रीमियम को छोड़ करके स्पॉट मार्केट में ग्वार के बीज को ऊंचे दाम पर बेचने का अधिकार बरकरार रखेंगे। किसानों को ऑप्शन ट्रेडिंग के इन फायदों को समझने की जरूरत है। बीते सप्ताह हाजिर बाजार और वायदा बाजार में भाव में कोई खास अंतर नहीं रहा। मिलर्स के पास फिलहाल ग्वार गम का पर्याप्त स्टॉक है। साथ ही स्टॉकिस्ट और निर्यातक भी इस तथ्य को जानते हैं, इसलिए स्टॉक करके नया निवेश करने की बजाय जरूरत पडऩे पर खरीदने की मानसिकता रखते हैं। मंडियों में बीते सप्ताह रोजाना औसतन 4000 से 5000 बोरी की आवक दर्ज की गई। बरसात का मौसम आगे बढ़ते ही आवक कम होने की उम्मीद है। युद्ध के बाद निर्यात बाजार खुलने की उम्मीद थी, लेकिन अभी तक ऐसी कोई खास खरीद नहीं हुई है। अब स्प्लिट की मांग पर निर्भर है। जुलाई से अगले सीजन की रोपाई जोर पकडऩे पर ही रोपाई की तस्वीर साफ होगी।