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23-05-2025

सरकार ने मसाला एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए एसपीआईसीईडी योजना की पेश

  •  मसाला बोर्ड ने वित्त वर्ष 2026 के लिए सस्टेनेबिलिटी इन स्पाइस सेक्टर थ्रू प्रोग्रेसिव, इनोवेटिव एंड कोलैबोरेटिव इंटरवेंशन फॉर एक्सपोर्ट डेवलपमेंट (एसपीआईसीईडी ) योजना शुरू की है। इस योजना के तहत किसानों और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को मसालों के उत्पादन, गुणवत्ता और एक्सपोर्ट को बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना का उद्देश्य छोटी और बड़ी इलायची की उत्पादकता बढ़ाना, कटाई के बाद की प्रक्रियाओं की गुणवत्ता में सुधार करना और वैल्यू-एडेड, जीआई-टैग्ड और जैविक मसालों के उत्पादन और एक्सपोर्ट को प्रोत्साहित करना है। एसपीआईसीईडी योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन 26 मई से शुरू होंगे। मसाला एक्सपोर्टक योजना के एक्सपोर्ट डेवलपमेंट और प्रमोशन कंपोनेंट के तहत 30 जून तक आवेदन कर सकते हैं, जबकि किसान और एफपीओ दूसरी कैटेगरी में डेवलपमेंट कंपोनेंट के तहत 30 सितंबर तक आवेदन जमा कर सकते हैं। यह योजना इलायची के बागानों की दोबारा रोपाई और कायाकल्प, जल संसाधनों के विकास, माइक्रो-इरिगेशन, जैविक खेती को बढ़ावा देने और अच्छी कृषि पद्धतियों (गुड एग्रीकल्चरल प्रैक्टिस) के विस्तार के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इसके अलावा, यह योजना बेहतर उत्पाद गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आधुनिक ड्रायर, स्लाइसर और ग्रेडिंग मशीनों जैसे बेहतर कटाई के बाद के इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना को सपोर्ट करती है। यह योजना किसानों और एफपीओ को मसाला पॉलिशर, हल्दी बॉयलर, मिंट डिस्टिलेशन यूनिट और थ्रेसिंग मशीनों जैसी आवश्यक कटाई के बाद की मशीनों की खरीद के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान करती है। इसके अलावा, यह योजना अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों, बायर-सेलर बैठकों और अन्य बाजार संपर्क कार्यक्रमों में हितधारकों की भागीदारी को सुविधाजनक बनाकर विपणन प्रयासों में मदद करती है। यह योजना पहली बार एक्सपोर्ट करने वाले और छोटे व्यवसायों को समर्थन देने को उच्च प्राथमिकता देती है, जिससे उन्हें वैश्विक बाजारों में भारतीय मसालों को प्रदर्शित करने में सक्षम बनाया जा सके। भारत दुनिया का सबसे बड़ा मसाला उत्पादक और एक्सपोर्टक है। वित्त वर्ष 2024 के दौरान, देश ने 4.46 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के मसालों का एक्सपोर्ट किया। वित्त वर्ष 2025 (दिसंबर 2024 तक) में, भारत ने 29,016 करोड़ रुपए (3.36 बिलियन अमेरिकी डॉलर) मूल्य के मसालों का एक्सपोर्ट किया। पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न मसालों का उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 2024 में मसालों का उत्पादन 12 मिलियन मीट्रिक टन होने का अनुमान था, जबकि वित्त वर्ष 2023 में उत्पादन 11.14 मिलियन टन रहा। वित्त वर्ष 2022 में यह 11.12 मिलियन टन था। वित्त वर्ष 2023 के दौरान, भारत से मसालों का एक्सपोर्ट वित्त वर्ष 2022 के 3.46 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढक़र 3.73 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। सरकार द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 31 मार्च, 2025 को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष के दौरान भारत के जैविक खाद्य उत्पादों के एक्सपोर्ट में भी 35 प्रतिशत की जोरदार वृद्धि दर्ज की गई है, जो 665.96 मिलियन डॉलर (लगभग 5,700 करोड़ रुपए) हो गई है, जबकि 2023-24 में यह आंकड़ा 494.80 मिलियन डॉलर था।

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सरकार ने मसाला एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए एसपीआईसीईडी योजना की पेश

 मसाला बोर्ड ने वित्त वर्ष 2026 के लिए सस्टेनेबिलिटी इन स्पाइस सेक्टर थ्रू प्रोग्रेसिव, इनोवेटिव एंड कोलैबोरेटिव इंटरवेंशन फॉर एक्सपोर्ट डेवलपमेंट (एसपीआईसीईडी ) योजना शुरू की है। इस योजना के तहत किसानों और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को मसालों के उत्पादन, गुणवत्ता और एक्सपोर्ट को बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना का उद्देश्य छोटी और बड़ी इलायची की उत्पादकता बढ़ाना, कटाई के बाद की प्रक्रियाओं की गुणवत्ता में सुधार करना और वैल्यू-एडेड, जीआई-टैग्ड और जैविक मसालों के उत्पादन और एक्सपोर्ट को प्रोत्साहित करना है। एसपीआईसीईडी योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन 26 मई से शुरू होंगे। मसाला एक्सपोर्टक योजना के एक्सपोर्ट डेवलपमेंट और प्रमोशन कंपोनेंट के तहत 30 जून तक आवेदन कर सकते हैं, जबकि किसान और एफपीओ दूसरी कैटेगरी में डेवलपमेंट कंपोनेंट के तहत 30 सितंबर तक आवेदन जमा कर सकते हैं। यह योजना इलायची के बागानों की दोबारा रोपाई और कायाकल्प, जल संसाधनों के विकास, माइक्रो-इरिगेशन, जैविक खेती को बढ़ावा देने और अच्छी कृषि पद्धतियों (गुड एग्रीकल्चरल प्रैक्टिस) के विस्तार के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इसके अलावा, यह योजना बेहतर उत्पाद गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आधुनिक ड्रायर, स्लाइसर और ग्रेडिंग मशीनों जैसे बेहतर कटाई के बाद के इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना को सपोर्ट करती है। यह योजना किसानों और एफपीओ को मसाला पॉलिशर, हल्दी बॉयलर, मिंट डिस्टिलेशन यूनिट और थ्रेसिंग मशीनों जैसी आवश्यक कटाई के बाद की मशीनों की खरीद के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान करती है। इसके अलावा, यह योजना अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों, बायर-सेलर बैठकों और अन्य बाजार संपर्क कार्यक्रमों में हितधारकों की भागीदारी को सुविधाजनक बनाकर विपणन प्रयासों में मदद करती है। यह योजना पहली बार एक्सपोर्ट करने वाले और छोटे व्यवसायों को समर्थन देने को उच्च प्राथमिकता देती है, जिससे उन्हें वैश्विक बाजारों में भारतीय मसालों को प्रदर्शित करने में सक्षम बनाया जा सके। भारत दुनिया का सबसे बड़ा मसाला उत्पादक और एक्सपोर्टक है। वित्त वर्ष 2024 के दौरान, देश ने 4.46 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के मसालों का एक्सपोर्ट किया। वित्त वर्ष 2025 (दिसंबर 2024 तक) में, भारत ने 29,016 करोड़ रुपए (3.36 बिलियन अमेरिकी डॉलर) मूल्य के मसालों का एक्सपोर्ट किया। पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न मसालों का उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 2024 में मसालों का उत्पादन 12 मिलियन मीट्रिक टन होने का अनुमान था, जबकि वित्त वर्ष 2023 में उत्पादन 11.14 मिलियन टन रहा। वित्त वर्ष 2022 में यह 11.12 मिलियन टन था। वित्त वर्ष 2023 के दौरान, भारत से मसालों का एक्सपोर्ट वित्त वर्ष 2022 के 3.46 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढक़र 3.73 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। सरकार द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 31 मार्च, 2025 को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष के दौरान भारत के जैविक खाद्य उत्पादों के एक्सपोर्ट में भी 35 प्रतिशत की जोरदार वृद्धि दर्ज की गई है, जो 665.96 मिलियन डॉलर (लगभग 5,700 करोड़ रुपए) हो गई है, जबकि 2023-24 में यह आंकड़ा 494.80 मिलियन डॉलर था।


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