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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

06-10-2025

ऑनलाइन डिलीवरी से सिकुडऩे लगा सुपरमार्केट स्पेस

  •  आपको याद होगा एक समय था जब शॉपिंग मॉल्स में सुपरमार्केट्स सबसे ज्यादा स्पेस में होते थे। यहां पर शॉपिंग करने में इतना वक्त लगता था कि अधिकांश वीकेंड्स पर बिलिंग करना टेडी खीर होता था। रिटेलिंग सेक्टर करवट ले रहा है और इस समय बोलबाला क्विक कॉमर्स का चल निकला है। ई-कॉमर्स के साथ क्विक कॉमर्स ने बाजार को एक स्पीड दे रखी है। हां, इसका दखल फिलहाल बड़े शहरों में ज्यादा है। असर यह है कि शॉपिंग मॉल्स में स्थित सुपरमार्केट्स का स्पेस साइज सिकुड़ रहा है। करीब पचास प्रतिशत की सिकुडऩ है और दूसरी ओर कन्ज्यूमर बिहेवियर क्विक कॉमर्स की ओर अट्रेक्ट हो रहा है। फिजिकल फुटफॉल्स शॉपिंग मॉल्स में कम होने के कारण सुपरमार्केट्स की वायबिलिटी प्रभावित हो रही थी, इसलिये स्पेस को घटाया जा रहा है। एक समय 30,000 से 50,000 स्कवायर फीट में सुपरमार्केट ऑपरेट होते थे लेकिन यह साइज अब पचास प्रतिशत घट रही है। एक मिलियन स्कवायर फीट के मॉल में तीस से पचास हजार स्कवायर फीट स्पेस सुपरमार्केट की होती थी। रियल एस्टेट एक्जीक्यूटिव्ज और इंडस्ट्री के एक्सपटर््स के अनुसार ऑनलाइन ग्रॉसरी डिलीवरी ने सुपरमार्केट स्पेस को ट्रिगर किया है। डिजीटल कन्वीनियंस ने मॉल्स में फुटफॉल्स को कम किया है। इसका असर लार्ज साइज सुपरमार्केट्स में फुटफॉल्स पर पड़ा है। गत पांच वर्ष में कुछ ने साइज को घटाया है तो कुछ क्लोज हो गये हैं।

    कुशमान एंड वेकफील्ड के रिटेल इन्डिया हैड ने कहा है कि टिपिकल सुपरमार्केट लीजिंग साइज 15,000 से 20,000 स्कवायर फीट पर आ गई है। अरबन और सेमी-अरबन कन्ज्यूमर्स का ट्रस्ट अब क्विक कॉमस पर बढ़ रहा है। ब्लिंकइट, जेप्टो, इन्स्टामार्ट पर ग्रॉसरी, हाउसहोल्ड इसेंशियल्यस की डिलीवरी हो जाती है। साथ ही आकर्षक डिस्काउंट भी मिलते हैं। इसलिये यह शिफ्टिंग देखी जा रही है। टोटल क्विक कॉमर्स परचेज में 75 प्रतिशत शेयर ग्रॉसरी और दैनिक जरूरी चीजों का है। इसलिये ब्रिक एंड मोर्टार स्टोर्स की रेलेवेंस को झटका लग रहा है। एक्सपर्ट्स के अनुसार प्रीमियम सुपरमार्केट्स अपने ऑफर्स और एक्सपीरियंस के साथ कन्ज्यूमर्स को अट्रेक्ट करने में सफल भी हो रहे हैं। साथ ही कन्ज्यूमर्स भी शॉपिंग एक्सपीरियंस को बढ़ाने के लिये प्रीमियम सेगमेंट को प्रीफर कर रहे हैं। वे नया एक्सपीरियंस तो अवश्य चाहते हैं। सुपरमार्केट्स का स्पेस को कम करना या एक्जिट लेना , एफएंडबी(फूड एंड बेवेरेजेज), ब्यूटी एंड वैलनेस, एथलीजर, ज्वैलरी आदि को आगे ला रहे हैं। कुशमान एंड वेकफील्ड रिपोर्ट के अनुसार यह सेगमेंट्स मॉल्स में अच्छा स्पेस ले रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार प्रीमियम मॉल्स में ब्यूटी एंड वैलनेस ब्राण्ड्स ने मॉल्स में अपना दखल करीब दोगुना कर लिया है। फूड एंड बेवेरेजेज आउटलैट्स 15 से 18 प्रतिशत मॉल्स स्पेस, एथलीजर और स्पोर्ट्स ब्राण्ड्स 11 से 13 प्रतिशत का स्पेस ले रहे हैं। ज्वैलरी ब्राण्ड्स दो से तीन प्रतिशत का स्पेस शेयर लेने लगे हैं। एथलीजर ब्राण्ड्स के आउटलैट्स भी मॉल्स में बेहतर स्पेस ले रहे हैं। कुल मिलाकर मार्केट का परिदृश्य देखें तो क्विक कॉमर्स ने सुपरमार्केट्स में फुटफॉल्स को प्रभावित किया है। यंगस्टर्स तो ऑनलाइन ग्रॉसरी आदि चीजों की डिलीवरी पर ज्यादा भरोसा कर रहे हैं। वे इसे कन्वीनियंस से जुड़ा हुआ मानते हैं।

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ऑनलाइन डिलीवरी से सिकुडऩे लगा सुपरमार्केट स्पेस

 आपको याद होगा एक समय था जब शॉपिंग मॉल्स में सुपरमार्केट्स सबसे ज्यादा स्पेस में होते थे। यहां पर शॉपिंग करने में इतना वक्त लगता था कि अधिकांश वीकेंड्स पर बिलिंग करना टेडी खीर होता था। रिटेलिंग सेक्टर करवट ले रहा है और इस समय बोलबाला क्विक कॉमर्स का चल निकला है। ई-कॉमर्स के साथ क्विक कॉमर्स ने बाजार को एक स्पीड दे रखी है। हां, इसका दखल फिलहाल बड़े शहरों में ज्यादा है। असर यह है कि शॉपिंग मॉल्स में स्थित सुपरमार्केट्स का स्पेस साइज सिकुड़ रहा है। करीब पचास प्रतिशत की सिकुडऩ है और दूसरी ओर कन्ज्यूमर बिहेवियर क्विक कॉमर्स की ओर अट्रेक्ट हो रहा है। फिजिकल फुटफॉल्स शॉपिंग मॉल्स में कम होने के कारण सुपरमार्केट्स की वायबिलिटी प्रभावित हो रही थी, इसलिये स्पेस को घटाया जा रहा है। एक समय 30,000 से 50,000 स्कवायर फीट में सुपरमार्केट ऑपरेट होते थे लेकिन यह साइज अब पचास प्रतिशत घट रही है। एक मिलियन स्कवायर फीट के मॉल में तीस से पचास हजार स्कवायर फीट स्पेस सुपरमार्केट की होती थी। रियल एस्टेट एक्जीक्यूटिव्ज और इंडस्ट्री के एक्सपटर््स के अनुसार ऑनलाइन ग्रॉसरी डिलीवरी ने सुपरमार्केट स्पेस को ट्रिगर किया है। डिजीटल कन्वीनियंस ने मॉल्स में फुटफॉल्स को कम किया है। इसका असर लार्ज साइज सुपरमार्केट्स में फुटफॉल्स पर पड़ा है। गत पांच वर्ष में कुछ ने साइज को घटाया है तो कुछ क्लोज हो गये हैं।

कुशमान एंड वेकफील्ड के रिटेल इन्डिया हैड ने कहा है कि टिपिकल सुपरमार्केट लीजिंग साइज 15,000 से 20,000 स्कवायर फीट पर आ गई है। अरबन और सेमी-अरबन कन्ज्यूमर्स का ट्रस्ट अब क्विक कॉमस पर बढ़ रहा है। ब्लिंकइट, जेप्टो, इन्स्टामार्ट पर ग्रॉसरी, हाउसहोल्ड इसेंशियल्यस की डिलीवरी हो जाती है। साथ ही आकर्षक डिस्काउंट भी मिलते हैं। इसलिये यह शिफ्टिंग देखी जा रही है। टोटल क्विक कॉमर्स परचेज में 75 प्रतिशत शेयर ग्रॉसरी और दैनिक जरूरी चीजों का है। इसलिये ब्रिक एंड मोर्टार स्टोर्स की रेलेवेंस को झटका लग रहा है। एक्सपर्ट्स के अनुसार प्रीमियम सुपरमार्केट्स अपने ऑफर्स और एक्सपीरियंस के साथ कन्ज्यूमर्स को अट्रेक्ट करने में सफल भी हो रहे हैं। साथ ही कन्ज्यूमर्स भी शॉपिंग एक्सपीरियंस को बढ़ाने के लिये प्रीमियम सेगमेंट को प्रीफर कर रहे हैं। वे नया एक्सपीरियंस तो अवश्य चाहते हैं। सुपरमार्केट्स का स्पेस को कम करना या एक्जिट लेना , एफएंडबी(फूड एंड बेवेरेजेज), ब्यूटी एंड वैलनेस, एथलीजर, ज्वैलरी आदि को आगे ला रहे हैं। कुशमान एंड वेकफील्ड रिपोर्ट के अनुसार यह सेगमेंट्स मॉल्स में अच्छा स्पेस ले रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार प्रीमियम मॉल्स में ब्यूटी एंड वैलनेस ब्राण्ड्स ने मॉल्स में अपना दखल करीब दोगुना कर लिया है। फूड एंड बेवेरेजेज आउटलैट्स 15 से 18 प्रतिशत मॉल्स स्पेस, एथलीजर और स्पोर्ट्स ब्राण्ड्स 11 से 13 प्रतिशत का स्पेस ले रहे हैं। ज्वैलरी ब्राण्ड्स दो से तीन प्रतिशत का स्पेस शेयर लेने लगे हैं। एथलीजर ब्राण्ड्स के आउटलैट्स भी मॉल्स में बेहतर स्पेस ले रहे हैं। कुल मिलाकर मार्केट का परिदृश्य देखें तो क्विक कॉमर्स ने सुपरमार्केट्स में फुटफॉल्स को प्रभावित किया है। यंगस्टर्स तो ऑनलाइन ग्रॉसरी आदि चीजों की डिलीवरी पर ज्यादा भरोसा कर रहे हैं। वे इसे कन्वीनियंस से जुड़ा हुआ मानते हैं।


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