इंडिया रेस्तरां इंडस्ट्री डॉमीनेंट ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉम्र्स जैसे स्विगी, जोमाटो आदि आल्टरनेटिव्ज से पे्रशर महसूस कर रही है। कारण यह है कि यह डीप डिस्काउंट देते हैं और इससे इंडस्ट्री का प्रॉफिट प्रभावित हो रहा है। रेस्तरां इंडस्ट्री के लिये अनसस्टेनेबल बिजनेस मॉडल से सामना हो रहा है। ऐसे में वे मोबिलिटी फम्र्स जैसे रैपिडो आदि से पार्टनरशिप कर रही हैं ताकि फूड डिलीवरी को आसान बनाया जा सके। नेशनल रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ इंडिया(एनआरएआई)पे्रसीडेंट के अनुसार वे कन्ज्यूमर डेटाबेस एक्सेस चाहते हैं। उनके ऑर्डर्स का असर डाइन-इन फुटफॉल्स पर आ रहा है और यह चिंता का विषय है। जेन जेड कस्टमर्स में ऑनलाइन फूड डिलीवरी का के्रज ज्यादा है और इससे उन पर यह फर्क भी आ रहा है कि फूड क्वालिटी कमजोर हो रही है। ऑनलाइन ऑर्डर फास्ट देने पड़ते हैं और इससे फूड क्वालिटी पर असर आता है। मोबिलिटी कम्पनी जैसे रैपिडो एसोसिएशन के साथ सहयोग कर फूड डिलीवरी नेटवर्क को मजबूत करना चाहती है। देश के प्रमुख शहरों में यह योजना है। इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के अनुसार फूड डिलीवरी मॉडल के आगे बढऩे की सम्भावना है। जेन जेड कन्ज्यूमर्स की ओर से डिमांड ज्यादा रहती है। 75 प्रतिशत ऑनलाइन फूड ऑर्डर्स जेन जेड कन्ज्यूमर्स से ही आ रहे हैं। यह वह वर्ग भी है जो डील सीकर है और चीप ऑप्शंस को देखता व पसंद करता है। आने वाले दो दशकों में यही बड़ा कस्टमर गु्रप भी रहेगा। अब तो क्विक डिलीवरी प्लेटफॉर्म भी जेन जेड के कारण फलने-फूलने लग हैं। देश का फूड सर्विस मार्केट गत वर्ष 80 बिलियन डॉलर का रहा था और वर्ष 2030 तक 10 से 11 प्रतिशत की दर से बढऩे की सम्भावना है। इस दौरान ऑनलाइन फूड डिलीवरी मार्केट 9.1 बिलियन डॉलर से बढक़र 23 बिलियन डॉलर का हो जाने की सम्भावना है। कन्सल्टिंग फर्म रेडसीर के डेटा में यह अनुमान लगाया गया है। उनके अनुसार वर्तमान में फूड डिलीवरी मार्केट में स्विगी और जोमाटो डॉमीनेट कर रहे हैं। रेस्तरां के लिये डिलीवरी प्लेटफॉर्म फीस 5 से 20 प्रतिशत के करीब है। यह ऑर्डर साइज पर निर्भर करती है। जनवरी में ब्लिंकइट बिस्ट्रो और स्विगी बोल्ट के साथ 10 मिनट रेडी-टू-ईट फूड डिलीवरी सर्विस को पेश किया गया और इस प्रकार की प्राइवेट लेबलिंग का एनआरएआई ने विरोध किया। यह रेस्तरां के बिजनेस मॉडल पर सीधे-सीधे कॉम्पीटीशन वार कहा जा सकता है।