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10-05-2025

ब्रिटेन से एफटीए में पीएलआई समर्थित मेडिकल डिवाइसेज पर शुल्क कटौती छठे वर्ष से करेगा इंडिया

  •  ब्रिटेन के साथ अपने मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत भारत उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में शामिल मेडिकल डिवाइसेज पर इम्पोर्ट शुल्क केवल छठे वर्ष से कम करेगा। एक सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी। समझौते के लिए वार्ता के समापन की घोषणा दोनों पक्षों ने छह मई को की थी। इसका उद्देश्य अगले पांच वर्षों में वस्तुओं और सेवाओं में द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 60 अरब डॉलर से बढ़ाकर 120 अरब डॉलर करना है। अधिकारी ने कहा कि उपभोक्ताओं की जरूरतों को ‘मेक इन इंडिया’ (भारत में विनिर्माण करो) कार्यक्रम के साथ जोड़ते हुए, पीएलआई के अंतर्गत आने वाले चिकित्सा उपकरणों पर केवल छठे वर्ष से शुल्क में कमी (कोई उन्मूलन नहीं) की पेशकश की गई है। भारत में इस क्षेत्र पर आयात शुल्क 7.5 प्रतिशत तक है, जबकि ब्रिटेन में यह 4.2 प्रतिशत है। कुछ उद्योग विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि शुल्क में कमी से चीन जैसे देशों से इन वस्तुओं की डंपिंग हो सकती है। इस पर अंकुश लगाने के लिए भारत को इस क्षेत्र के लिए उच्च मूल्य-संवर्धन मानदंड लागू करने चाहिए ताकि रियायती शुल्क पर आयात की अनुमति मिल सके। अनुमान के अनुसार, 2023-24 में ब्रिटेन से भारत का चिकित्सा उपकरणों का आयात 35 प्रतिशत बढक़र 2,295 करोड़ रुपये हो जाएगा। देश का निर्यात लगभग 1,000 करोड़ रुपये है। दोनों देशों के बीच व्यापार वाले प्रमुख उपकरणों में कीटाणुनाशक, चश्मे, श्वास उपकरण, श्रवण यंत्र, आर्थोपेडिक उपकरण, रेडियोग्राफी उपकरण तथा चिकित्सा, शल्य चिकित्सा, दंत चिकित्सा और पशु चिकित्सा विज्ञान में प्रयुक्त उपकरण शामिल हैं। सरकार ने चिकित्सा उपकरणों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई प्रोत्साहन योजना की घोषणा की है। चिकित्सा उपकरणों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना के अंतर्गत, 19 नई परियोजनाएं चालू की गई हैं और 44 उत्पादों का उत्पादन शुरू हो गया है, जिनमें उच्च-स्तरीय चिकित्सा उपकरण जैसे कि लीनियर एक्सेलेरेटर, एमआरआई मशीन, सीटी-स्कैन, मैमोग्राम, सी-आर्म्स, अल्ट्रासाउंड मशीन आदि शामिल हैं। देश में इन्हें पहले आयात किया जाता था। समझौते के तहत भारत, ब्रिटेन के 90 प्रतिशत आयात पर शुल्क कम करेगा, तथा इनमें से 85 प्रतिशत शुल्क लाइनें या उत्पाद श्रेणियां 10 वर्षों के भीतर शुल्क मुक्त हो जाएंगी।

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ब्रिटेन से एफटीए में पीएलआई समर्थित मेडिकल डिवाइसेज पर शुल्क कटौती छठे वर्ष से करेगा इंडिया

 ब्रिटेन के साथ अपने मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत भारत उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में शामिल मेडिकल डिवाइसेज पर इम्पोर्ट शुल्क केवल छठे वर्ष से कम करेगा। एक सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी। समझौते के लिए वार्ता के समापन की घोषणा दोनों पक्षों ने छह मई को की थी। इसका उद्देश्य अगले पांच वर्षों में वस्तुओं और सेवाओं में द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 60 अरब डॉलर से बढ़ाकर 120 अरब डॉलर करना है। अधिकारी ने कहा कि उपभोक्ताओं की जरूरतों को ‘मेक इन इंडिया’ (भारत में विनिर्माण करो) कार्यक्रम के साथ जोड़ते हुए, पीएलआई के अंतर्गत आने वाले चिकित्सा उपकरणों पर केवल छठे वर्ष से शुल्क में कमी (कोई उन्मूलन नहीं) की पेशकश की गई है। भारत में इस क्षेत्र पर आयात शुल्क 7.5 प्रतिशत तक है, जबकि ब्रिटेन में यह 4.2 प्रतिशत है। कुछ उद्योग विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि शुल्क में कमी से चीन जैसे देशों से इन वस्तुओं की डंपिंग हो सकती है। इस पर अंकुश लगाने के लिए भारत को इस क्षेत्र के लिए उच्च मूल्य-संवर्धन मानदंड लागू करने चाहिए ताकि रियायती शुल्क पर आयात की अनुमति मिल सके। अनुमान के अनुसार, 2023-24 में ब्रिटेन से भारत का चिकित्सा उपकरणों का आयात 35 प्रतिशत बढक़र 2,295 करोड़ रुपये हो जाएगा। देश का निर्यात लगभग 1,000 करोड़ रुपये है। दोनों देशों के बीच व्यापार वाले प्रमुख उपकरणों में कीटाणुनाशक, चश्मे, श्वास उपकरण, श्रवण यंत्र, आर्थोपेडिक उपकरण, रेडियोग्राफी उपकरण तथा चिकित्सा, शल्य चिकित्सा, दंत चिकित्सा और पशु चिकित्सा विज्ञान में प्रयुक्त उपकरण शामिल हैं। सरकार ने चिकित्सा उपकरणों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई प्रोत्साहन योजना की घोषणा की है। चिकित्सा उपकरणों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना के अंतर्गत, 19 नई परियोजनाएं चालू की गई हैं और 44 उत्पादों का उत्पादन शुरू हो गया है, जिनमें उच्च-स्तरीय चिकित्सा उपकरण जैसे कि लीनियर एक्सेलेरेटर, एमआरआई मशीन, सीटी-स्कैन, मैमोग्राम, सी-आर्म्स, अल्ट्रासाउंड मशीन आदि शामिल हैं। देश में इन्हें पहले आयात किया जाता था। समझौते के तहत भारत, ब्रिटेन के 90 प्रतिशत आयात पर शुल्क कम करेगा, तथा इनमें से 85 प्रतिशत शुल्क लाइनें या उत्पाद श्रेणियां 10 वर्षों के भीतर शुल्क मुक्त हो जाएंगी।


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